चूड़धार: शिरगुल महाराजा मंदिर(शिर्गुल मंदिर ) (Churdhar: Shirgul Maharaja Temple)

चूड़धार: शिरगुल महाराजा मंदिर(शिर्गुल मंदिर ) (Churdhar: Shirgul Maharaja Temple)

चूड़धार अभयारण्य का नाम चूड़धार चोटी के नाम पर रखा गया है, जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई 3647 मीटर है और यह भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के शिमला जिले के सिरमौर में स्थित है। चूड़धार चोटी सिरमौर जिले की सबसे ऊंची चोटी है और बाहरी हिमालय की भी सबसे ऊंची चोटी है। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर, शिमला, चौपाल और सोलन और उत्तराखंड के देहरादून के लोगों के लिए इस चोटी का बहुत धार्मिक महत्व है। चूड़धार श्री शिरगुल महाराज से संबंधित एक पवित्र स्थान है, जिन्हें चूड़ेश्वर महाराज  के नाम से भी जाना जाता है , सिरमौर और चौपाल में व्यापक रूप से पूजे जाने वाले देवता हैं। क्षेत्र के प्रमुख देवता भगवान शिरगुल महाराज हैं । कई देवता धार्मिक तीर्थयात्रा के लिए जाते हैं और भगवान शिरगुल के पवित्र मंदिर में स्नान करते हैं।
चूड़धार: शिरगुल महाराजा मंदिर(शिर्गुल मंदिर ) (Churdhar: Shirgul Maharaja Temple)

सिरमौर जिले के गिरीपार क्षेत्र की सबसे ऊंची चोटी व क्षेत्र के प्रसिद्व आराध्य देव शिरगुल महाराज की तपोस्थली चूड़धार यात्रा पर जिला प्रशासन ने पूर्ण रूप से रोक लगा दी है। प्रशासन ने चोटी पर बर्फबारी होने के बाद यात्रा पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना सामने न आए। जिले के अन्य क्षेत्रों में भी बर्फबारी से निपटने के लिए सभी आवश्यक प्रबंध पूरे कर लिए गए हैं। वहीं बर्फबारी वाले क्षेत्रों में लोगों को कठिनाइयों का सामना न करना पड़े, इसको लेकर जिला प्रशासन ने संबंधित विभागों को दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए हैं। डीसी सिरमौर राम कुमार गौतम ने बताया कि शरद ऋतु के मौसम को ध्यान में रखते हुए जिला सिरमौर के हरिपुरधार, संगड़ाह, नौहराधार व राजगढ आदि क्षेत्रों में बर्फबारी के मद्देनजर सभी आवश्यक प्रबंध पूरे कर लिए गए हैं। सभी विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि वे मूलभूत सुविधाएं सड़क, पानी व बिजली को मुहैया करवाने के लिए व्यापक प्रबंध करके रखें। उन्होंने बताया कि बर्फबारी को ध्यान में रखते हुए डिजास्टर मैनेजमैंट प्लान को भी एक्टिव कर दिया गया है। बता दें कि चूड़धार चोटी पर सीजन की दूसरी बर्फबारी हो चुकी है, लिहाजा सुरक्षा की दृष्टि से जिला में चूड़धार यात्रा पर प्रतिबंध लगाया गया है। 

चूड़धार शिव मंदिर का इतिहास

शिरगुल देवता और बिज्जत महाराज हिमाचल के सदियों पुराने देवता हैं जो सिरमौर के चूड़धार में स्थित हैं। दोनों देवताओं के बीच सदियों पुरानी लड़ाई थी लेकिन अब 1,500 साल बाद, दोनों देवता अपनी लड़ाई खत्म करने के लिए तैयार हैं और वे जल्द ही क्षेत्र में एक संयुक्त जागरण में एक-दूसरे से मिलेंगे। इन देवताओं से दो-दो पंचायतों के लोग जुड़े हुए हैं। चढना और देवमानल पंचायतें ऐसी दो पंचायतें हैं जहां लोग अपने देवताओं के बीच लड़ाई के कारण मेलों और त्योहारों का आयोजन एक साथ नहीं कर सकते थे। लेकिन, अब वे एक जागरण के लिए एक साथ आएंगे, स्थानीय लोगों ने बताया। उन्होंने कहा कि एक बार दोनों देवताओं ने एक-दूसरे के साथ बहुत अच्छा रिश्ता साझा किया था जिसे शत-पाशा के नाम से जाना जाता था। लेकिन झगड़े के कारण वे एक-दूसरे से बात नहीं करते थे या स्थानीय मेलों में भी नहीं मिलते थे। लेकिन अब देवताओं ने स्थानीय लोगों को लड़ाई बंद करने और एक देवता मेले का आयोजन करने का आदेश दिया है जहां वे एक-दूसरे से मिलेंगे। इसका निर्णय दोनों पंचायतों की संयुक्त बैठक में लिया गया, जहां पंचायत प्रधान और गांवों के अन्य सदस्य मौजूद थे.

देवताओं का इतिहास

पुराणों के अनुसार शिरगुल देवता मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस पहाड़ी पर भगवान शिरगुल का सबसे प्रसिद्ध मंदिर जो 5000 वर्ष से अधिक पुराना है, आगंतुकों के लिए मुख्य आकर्षण है। बिज्जत महाराज भी क्षेत्र के प्रसिद्ध देवता हैं। दोनों देवताओं का दो पंचायतों चाढ़ना और देवमानल के लोगों के बीच काफी प्रभाव है। स्थानीय लोगों ने बताया कि करीब 1500 साल पहले देवमानल पंचायत के देव कारिन्दों ने चढना गांव में जगराते का आयोजन किया था, जहां वे शिरगुल देवता की पालकी लेकर गये थे. हालाँकि दोनों देवताओं के बीच बहस के बाद, चढना के लोगों ने देवमानल गाँव के एक कारिंदे को मार डाला और उसे शिरगुल देवता की पालकी में भेज दिया। उसके बाद न तो दोनों देवता किसी उत्सव में मिले और न ही दोनों पंचायतों के लोगों ने एक-दूसरे से कोई रिश्ता रखा। गौरतलब है कि क्षेत्र के 28,000 लोग इन दोनों देवताओं की पूजा करते हैं।
चूड़धार: शिरगुल महाराजा मंदिर(शिर्गुल मंदिर ) (Churdhar: Shirgul Maharaja Temple)

समस्याओं का मिलता है समाधान

शिरगुल महाराज मंदिर में दर्शन करने आए भक्तों के मन में अगर किसी प्रकार की समस्या या उलझन है तो वहां इसका समाधान यहां पानी की कोशिश करते हैं। बता दें कि शिरगुल महाराज मंदिर के पुजारी भगवान को साक्षी मानकर भक्तों के प्रश्नों का समाधान करते हैं।

लोगों की आस्था का केंद्र है चूड़धार मंदिर

आज यह मंदिर लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है. यहां सिरमौर के नौहराधार और शिमला के चौपाल से करीब छह घंटे की चढ़ाई चढ़कर पहुंचा जाता है. 11 हजार 965 फीट की ऊंचाई पर स्थित भगवान शिव की मूर्ति भक्तों को भगवान के साक्षात दर्शन का अनुभव कराती है. यहां पहुंचने पर शिमला और सिरमौर का खूबसूरत नजारा भी दिखता है. हर साल लाखों की संख्या में भक्तों पैदल चढ़कर भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं. जिला शिमला और सिरमौर की सबसे ऊंची चोटी पर विराजमान देवता शिरगुल महाराज में हिमाचल के साथ पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के जौनसार बाबर के भी लाखों लोगों की आस्था है.

कैसे पहुंचे चूड़धार मंदिर?

इन क्षेत्रों के हजारों लोग हर दिन अपने आराध्य देव के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. मई महीने से नवंबर महीने तक श्रद्धालुओं की संख्या हर दिन पांच हजार से भी अधिक रहती है. इसके अलावा मैदानी इलाकों से भी सैकड़ों पर्यटक देवस्थल चूड़धार पहुंचते हैं. शिरगुल महाराज के मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 20 से 25 किलोमीटर की पैदल यात्रा करना पड़ती है. चूड़धार पहुंचने के दो रास्ते हैं. पहला रास्ता जिला सिरमौर के नौहराधार से होकर गुजरता है. यहां से चूड़धार की दूरी तकरीबन 14 किलोमीटर है. दूसरा रास्ता जिला शिमला के सराहन चौपाल का है. यहां से चूड़धार सिर्फ 6 किलोमीटर की ही दूरी पर है. यहां से नजदीकी हवाई पट्टी 105 किलोमीटर दूर शिमला में और हवाई अड्डा 134 किलोमीटर दूर चंडीगढ़ में है. एयरपोर्ट से टैक्सी या बस से भी यहां पहुंचा जा सकता है. चूड़धार का निकटतम स्टेशन शिमला

सिरमौर जिला -

  • गायत्री मंदिर - यह मंदिर रेणुका में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण महात्मा पराया नन्द ब्रह्मचारी ने करवाया था। गायत्री माता को वेदों की माता भी कहा जाता है।

  1. गायत्री मंदिर रेणुका में स्थित (Gayatri Temple located in Renuka)

  • जगन्नाथ मंदिर - यह मंदिर सिरमौर जिले में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1681 ई. में राजा बुद्ध प्रकाश ने करवाया था। यहाँ सावन द्वादशी का मेला लगता है।

  1. हिमाचल प्रदेश में जगन्नाथ मंदिर( Jagannath Temple in Himachal Pradesh)
  2. श्री जगन्नाथ आरती - चतुर्भुज जगन्नाथ ( Shri Jagannath Aarti - Chaturbhuj Jagannath)

  • त्रिलोकपुर मंदिर - यह मंदिर सिरमौर जिले के त्रिलोकपुर स्थान पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1573 ई. में दीप प्रकाश ने करवाया था। यह मंदिर माता बाला सुन्दरी को समर्पित है, जिसे 84 घंटियों वाली देवी भी कहा जाता है।

  1. त्रिलोकपुर मंदिर सिरमौर (Trilokpur Temple Sirmaur)

  • शिर्गुल मंदिर - यह मंदिर चूड़धार पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिर्गुलको समर्पित है।

  1. चूड़धार: शिरगुल महाराजा मंदिर(शिर्गुल मंदिर ) (Churdhar: Shirgul Maharaja Temple)

  • देई साहिब मंदिर - देई साहिब मंदिर पौंटा का निर्माण 1889 ई. में राजा शमशेर प्रकाश की बहन देई साहिबा ने करवाया था।

  1. देई-का-मंदिर, पांवटा साहिब (Dei-ka-Mandir, Paonta Sahib)

  • कटासन मंदिर - कटासन मंदिर कोलर का निर्माण राजा जगत प्रकाश ने करवाया था।

  1. कटासन देवी मंदिर (सिरमोर) (Katasana Devi Temple (Sirmor))

  • लक्ष्मी नारायण मंदिर - लक्ष्मी नारायण मंदिर नाहन का निर्माण 1708 ई. में राजा भूप प्रकाश ने करवाया था।

  1. लक्ष्मी नारायण मंदिर नाहन (Laxmi Narayan Temple Nahan )

  • शिव मंदिर - शिव मंदिर रानी ताल नाहन का निर्माण 1889 ई. में राजा शमशेर प्रकाश ने अपनी रानी कुटलानी की स्मृति में करवाया था।

  1. शिव मंदिर रानी ताल नाहन (Shiv Mandir Rani Tal Nahan)

  • रामकुण्डी मंदिर - रामकुण्डी मंदिर नाहन का निर्माण 1767 ई. में राजा कीर्ति प्रकाश ने करवाया था।

  1. रामकुण्डी मंदिर नाहन(Ramkundi Temple Nahan)

  •  श्री महामाया बालासुंदरी जी मंदिर नाहन
  1. श्री महामाया बालासुंदरी जी मंदिर नाहन Shri Mahamaya Balasundari Ji Temple Nahan

टिप्पणियाँ