भगवान कृष्ण का जन्म: जन्माष्टमी की पावन कथा
प्रस्तावना
भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव, जिसे जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है, हिन्दू धर्म में एक प्रमुख पर्व है। यह वह दिन है जब भगवान विष्णु ने धरती पर अवतार लेकर अधर्म का नाश किया और धर्म की स्थापना की। इस दिन की कथा एक प्रेरणा है कि अच्छाई, चाहे जितनी भी कठिनाइयाँ आएं, अंततः विजयी होती है।
भगवान कृष्ण का जन्म
भगवान कृष्ण का जन्म एक अत्यंत कठिन समय में हुआ था। उनकी माता देवकी और पिता वासुदेव को उनके भाई कंस ने बंदी बना रखा था। यह भविष्यवाणी हुई थी कि देवकी का आठवां पुत्र कंस का वध करेगा। इसी डर से, कंस ने देवकी के हर संतान को जन्म लेते ही मार दिया।
लेकिन भगवान की लीला को कोई समझ नहीं सकता। जब देवकी ने अपने सातवें पुत्र को गर्भ धारण किया, तो वह गर्भपात के रूप में दिखाई दिया। लेकिन असल में, वह गर्भ रहस्यमयी तरीके से वृंदावन की रानी रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित हो गया, जो आगे चलकर बलराम के रूप में जन्मे।
देवकी के आठवें पुत्र का जन्म आधी रात को जेल के भीतर हुआ। उस दिन आकाश में असंख्य तारे चमक रहे थे, और समूचा वातावरण पवित्रता से भरा हुआ था। भगवान विष्णु ने अपने आठवें अवतार के रूप में श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया। उसी रात, वासुदेव ने शिशु कृष्ण को यमुना पार कर नंदगांव में यशोदा और नंद बाबा के घर पहुँचा दिया, जहाँ कृष्ण ने बाल लीलाओं के साथ अपने जीवन की शुरुआत की। इस पवित्र दिन को हम आज जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी की सीख
भगवान कृष्ण का जन्म हमें यह सिखाता है कि जब कुछ अच्छा होना होता है, तो वह होकर रहता है। कठिनाइयाँ और बाधाएँ जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन अंततः अच्छाई ही विजयी होती है। यह पर्व इस सत्य को उजागर करता है कि सत्य और धर्म की जीत निश्चित है।
उपसंहार
जन्माष्टमी का पर्व हमें भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं और उनके जीवन से जुड़ी अनंत कहानियों की याद दिलाता है। यह दिन हमें अपने जीवन में धर्म, सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। भगवान कृष्ण का जीवन और उनकी शिक्षा हमें सिखाती है कि हर परिस्थिति में धैर्य और विश्वास बनाए रखना चाहिए, क्योंकि अंततः विजय सत्य और धर्म की होती है।
जन्माष्टमी के अवसर पर विशेष संदेश
भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी पर हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम उनके दिखाए हुए मार्ग पर चलेंगे और अपने जीवन में सत्य, धर्म और न्याय की स्थापना करेंगे।
जय श्रीकृष्ण!
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