गौरा गणपत तेरे संग विराजे - gaura ganpat tere sang viraje

गौरा गणपत तेरे संग विराजे

गौरा गणपत तेरे संग विराजे,
अद्भुत छवि है साजे,
गौरा गणपत तेरे संग विराजे

इस पंक्ति में भक्त गणपति जी और गौरा (माँ पार्वती) के संग विराजमान होने की कामना कर रहे हैं। यह दृश्य भक्त के लिए अत्यंत अद्भुत और दिव्य माना जाता है।



गंगा जल भर के कावड लाऊ पूरी श्रद्धा से भोले तुम्हे नेहलाऊ
भोले शंकर तुम देव हो साखे,
अद्भुत छवि है साजे

यहां भक्त गंगा जल से कावड भरकर भोले शंकर (शिव जी) को स्नान कराते हैं और उनकी पूजा को पूरी श्रद्धा से निभाते हैं। भोले शंकर की दिव्यता और अद्भुत छवि का वर्णन किया गया है।

सनान करा के तुम को सजाऊ इतर अधीर भोले तुम को लगाऊ,
और चढ़ाऊ बेल और पत्ते,
अद्भुत छवि है साजे

भक्त शिव जी को स्नान कराकर उन्हें सजाते हैं और इत्र लगाते हैं। बेल पत्र और पत्ते चढ़ाते हैं, जिससे शिव जी की सुंदरता और दिव्यता को प्रकट किया जाता है।

मेरे जीवन की ये एक लगन है
रात दिन तेरी पूजा मेरा धर्म है
चरणों की धूलि से तिलक लगादे,
अद्भुत छवि है साजे

भक्त अपने जीवन की सबसे बड़ी लगन और धर्म मानते हैं कि वे दिन-रात शिव जी की पूजा करें। उनके चरणों की धूलि से तिलक लगाकर शिव जी की अद्भुत छवि को और भी सुंदर मानते हैं।

निष्कर्ष:

इस भक्ति गीत में भक्त शिव जी और गणपति जी की पूजा और सेवा को अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य मानते हैं। शिव जी की दिव्यता और अद्भुत छवि का वर्णन करते हुए, वे श्रद्धा और भक्ति से भरे हुए हैं। यह गीत भक्ति की गहराई और शिव जी के प्रति भक्तों की श्रद्धा को प्रकट करता है।

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