घिंगारू: उत्तराखंड की पर्वतीय वानस्पति और इसके औषधीय गुण - ghingaru: uttarakhand ke parvatiy vanaspati aur isake aushadhiy gun
घिंगारू: उत्तराखंड की पर्वतीय वानस्पति और इसके औषधीय गुण - ghingaru: uttarakhand ke parvatiy vanaspati aur isake aushadhiy gun
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में पाया जाने वाला 'घिंगारू' एक औषधीय गुणों से भरपूर जंगली फल है। यह फल समुद्रतल से 3000 से 6500 फीट की ऊंचाई पर उगता है और रोजसी कुल का बहुवर्षीय पौधा है। घिंगारू की विशेषता और इसके स्वास्थ्य लाभ के बारे में जानकारी हाल ही में रक्षा जैव उर्जा अनुसंधान संस्थान, पिथौरागढ़ द्वारा की गई खोज के माध्यम से उजागर हुई है।
घिंगारू का परिचय:
घिंगारू एक छोटी सी झाड़ियों में उगने वाला जंगली फल है, जिसका आकार सेव के समान होता है, लेकिन आकार में बहुत छोटा होता है। इसका स्वाद हल्का खट्टा-मीठा होता है और बच्चे इसे 'छोटा सेव' कहकर चाव से खाते हैं। यह फल पर्वतीय क्षेत्रों के जंगलों में उगता है और पाचन की दृष्टि से लाभकारी होता है।
औषधीय गुण:
रक्तचाप और हाईपरटेंशन:
- घिंगारू के फलों का रस रक्तचाप और हाईपरटेंशन जैसी बीमारियों को दूर करने की क्षमता रखता है।
पाचन में सहायक:
- घिंगारू का फल पाचन की दृष्टि से लाभकारी है और इसे खाने से पाचन तंत्र को अच्छा रखा जा सकता है।
ऊर्जा प्रदान करना:
- घिंगारू में पर्याप्त मात्रा में शर्करा पायी जाती है, जो शरीर को तत्काल ऊर्जा प्रदान करती है।
खूनी दस्त का उपचार:
- इसके फलों को सुखाकर चूर्ण बनाकर दही के साथ खूनी दस्त का उपचार किया जाता है।
दांतों की देखभाल:
- घिंगारू की शाखाओं का उपयोग दातून के रूप में किया जाता है, जो दांतों के दर्द में राहत प्रदान करता है।
घिंगारू का प्रयोग:
हर्बल चाय:
- घिंगारू की पत्तियों से पहाड़ी हर्बल चाय बनाई जाती है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है।
लकड़ी का उपयोग:
- घिंगारू की मजबूत लकड़ी का उपयोग लाठी या हॉकी स्टिक बनाने में किया जाता है। इसकी लकड़ी काफी मजबूत और टिकाऊ मानी जाती है, और इसका उपयोग कृषि यंत्रों के निर्माण में भी किया जाता है।
वैज्ञानिक अध्ययन और संरक्षण:
वन अनुसन्धान केंद्र ने घिंगारू की नर्सरी में सफल संरक्षण किया है। इसके पौधों पर फल और फूल दोनों आ चुके हैं और प्रोटीन की काफी मात्रा पाई जाती है। इसके औषधीय गुणों की खोज के लिए रिसर्च भी किया जाएगा। घिंगारू का वैज्ञानिक नाम 'पैइराकैंथ क्रेनुलारा' है और यह प्रजाति पूर्वी एशिया के पर्वतीय इलाकों में पाई जाती है। कुमाऊं में इसके पौधे काफी मात्रा में पाए जाते हैं।
निष्कर्ष:
घिंगारू एक साधारण जंगली फल होते हुए भी अत्यधिक औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके उपयोग से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं और यह पर्वतीय क्षेत्र की जैव विविधता का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके संरक्षण और उपयोग से न केवल स्थानीय लोगों को लाभ होगा, बल्कि यह औषधीय अनुसंधान के लिए भी एक महत्वपूर्ण संसाधन साबित हो सकता है।
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