जागो सरस्वती गणेश मनाए: भक्ति गीत का विश्लेषण - jaago saraswati ganesh manaye: bhakti geet ka vishleshan

जागो सरस्वती गणेश मनाए: भक्ति गीत का विश्लेषण

जागो सरस्वती गणेश मनाए,
गणेश मनाए सर्व सुखः पाए,
हो जागो, सरस्वती गणेश मनाए,

इस पंक्ति में भक्त गणेश जी के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति प्रकट कर रहे हैं। वे आशा करते हैं कि गणेश जी की पूजा से सभी सुख और समृद्धि प्राप्त होगी।

गणपति लाडला माँ गौरा का,
शिव भोले का है वरदान,
इसको ध्याने से जग वालो, होता है कल्याण,
हो जागो सरस्वती....

यहाँ गणेश जी को माँ गौरा (पार्वती) और भगवान शिव का प्रिय बताया गया है। भक्तों का मानना है कि गणेश जी की पूजा से सभी को कल्याण प्राप्त होता है।

त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बन्धु च सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या च द्रविणम त्वमेव त्वमेव सर्वम मम देव देव
जय देव जय देव जय देव जय देव

यह श्लोक भगवान गणेश की महिमा को दर्शाता है, जिसमें उन्हें माता, पिता, मित्र, और सब कुछ बताया गया है। यह श्लोक गणेश जी की सर्वव्यापकता और उनकी सर्वसमर्थता को उजागर करता है।

रिद्धि सिद्धि नव निधि के दाता,
तुम हो सबके भाग्य विधाता,
मूसे की असवारी तेरी, अज़ब निराला वेश,
हो जागो, सरस्वती...

गणेश जी को रिद्धि और सिद्धि, नव निधियों का दाता बताया गया है। उनकी मूषक (चूहे) की सवारी और अनोखा वेश भक्तों को आकर्षित करता है।

कलातीत कल्याण कल्पांतकारी सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी,
जय देव जय देव जय देव जय देव,
चिदानंद सन्दोह मोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभु मन्मथारी,
जय देव जय देव जय देव जय देव

यह पंक्ति गणेश जी के गुणों का वर्णन करती है। वे कल्याणकारी, आनंददाता और मोह को हरने वाले हैं।

राग गान कर तुम्हें मनाऊँ,
आशीर्वाद तुम्हारा पाऊँ,
बीच सभा मे हे गजराजन मोरी राखियों लाज हमेश,
हो जागो सरस्वती..

भक्त गणेश जी की पूजा और भजन गाकर उनकी कृपा प्राप्त करने की कामना करते हैं। वे आशा करते हैं कि गणेश जी उनकी लाज रखेंगे और उनकी सभाओं में उनकी पूजा स्वीकार करेंगे।

त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बन्धु च सखा त्वमेव
जय देव जय देव जय देव जय देव
त्वमेव विद्या च द्रविणम त्वमेव त्वमेव सर्वम मम देव देव
जय देव जय देव जय देव जय देव

यह पुनरावृत्ति गणेश जी की सभी भूमिकाओं और उनके प्रति भक्ति को दर्शाती है।

कलातीत कल्याण कल्पांतकारी सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी,
जय देव जय देव जय देव जय देव,
चिदानंद सन्दोह मोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभु मन्मथारी,
जय देव जय देव जय देव जय देव

इस भाग में गणेश जी की प्रशंसा की गई है और उनकी कृपा प्राप्त करने की प्रार्थना की गई है।

निष्कर्ष:

इस भक्ति गीत में गणेश जी की महिमा, उनके गुण, और उनके प्रति भक्तों की गहरी श्रद्धा को दर्शाया गया है। गीत गणेश जी की पूजा और भक्ति का एक सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करता है, जो उनकी सर्वव्यापकता और कृपा को स्पष्ट करता है।

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