कृष्ण और मिट्टी खाने की लीला: ब्रह्मांड के दर्शन - Krishna aur Mitti Khane ki Leela: Brahmand ke Darshan
कृष्ण और मिट्टी खाने की लीला: ब्रह्मांड के दर्शन
प्रस्तावना
भगवान श्रीकृष्ण के बाल जीवन की लीलाएँ अनेक रहस्यमयी घटनाओं से भरी हैं, जो उनके दिव्य स्वरूप और अनोखे व्यक्तित्व को उजागर करती हैं। उनकी शरारतें न केवल मासूमियत का प्रतीक थीं, बल्कि उनमें गहरी आध्यात्मिकता और ब्रह्मांडीय रहस्य भी छिपे हुए थे। कृष्ण का मिट्टी खाने की यह घटना एक ऐसी ही अद्भुत कथा है, जो हमें उनके दिव्य स्वरूप का एहसास कराती है।
कृष्ण का मिट्टी खाना
एक दिन, जब कृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम बगीचे में फल और जामुन इकट्ठा कर रहे थे, तब कृष्ण ने एक शरारत कर दी। चूंकि वह अभी छोटे बच्चे थे और पेड़ों पर चढ़कर फल नहीं तोड़ सकते थे, उन्होंने ज़मीन से मिट्टी उठाई और अपने मुंह में भर ली। उनके साथ खेल रहे बच्चों ने यह देखा और तुरंत उनकी माँ यशोदा से शिकायत कर दी। यशोदा ने जैसे ही यह सुना, वह कृष्ण के पास दौड़ीं और उनसे पूछा, "क्या तुमने मिट्टी खाई है?" कृष्ण ने तुरंत ना में सिर हिला दिया और अपने निर्दोष चेहरे से झूठ बोलने की कोशिश की।
यशोदा की परीक्षा और कृष्ण का चमत्कार
यशोदा को कृष्ण की बातों पर विश्वास नहीं हुआ, और उन्होंने कृष्ण से अपना मुंह खोलने को कहा। कृष्ण पहले तो डर गए और मुंह खोलने से मना कर दिया, लेकिन जब यशोदा ने गुस्से से उनकी ओर देखा, तो उन्होंने अपना मुंह खोल दिया। यशोदा ने जब उनके मुंह के अंदर देखा, तो मिट्टी के बजाय उन्हें पूरा ब्रह्मांड नजर आया। कृष्ण के मुंह में यशोदा ने सितारे, आकाश, पहाड़, महासागर और सम्पूर्ण ब्रह्मांड के दर्शन किए। इस दृश्य को देखकर वह आश्चर्यचकित रह गईं। उन्हें एहसास हुआ कि उनका पुत्र कोई साधारण बालक नहीं, बल्कि स्वयं परमेश्वर हैं। कृष्ण ने मुस्कुराते हुए अपनी माँ की ओर देखा, मानो यह सब उनका खेल हो।
कथा की सीख
इस कथा से हमें यह महत्वपूर्ण सीख मिलती है कि हमें कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए, विशेषकर अपनी माँ से। माँ का प्रेम और स्नेह असीमित होता है, और उन्हें कभी भी धोखा नहीं देना चाहिए। इसके अलावा, इस कथा से यह भी संदेश मिलता है कि ईश्वर के रूप में भी कृष्ण ने अपनी माँ का सम्मान किया और उनकी इच्छाओं का पालन किया।
उपसंहार
भगवान श्रीकृष्ण का यह बाल रूप हमें सिखाता है कि शरारतें और मासूमियत जीवन का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन सच्चाई और ईमानदारी हमेशा महत्वपूर्ण होती है। कृष्ण की इस लीला में निहित ब्रह्मांडीय रहस्य हमें यह बताता है कि ईश्वर सदा हमारे बीच मौजूद होते हैं, और उनका प्रेम और दया अनंत है।
जय श्रीकृष्ण!
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