मेरी सुन लो इक अरदास गणपति देवा जी - meri sun lo ik ardas ganapati deva ji

मेरी सुन लो इक अरदास गणपति देवा जी

मेरी सुन लो इक अरदास गणपति देवा जी,
मेरे कारज करना रास गणपति देवा जी,

इस पंक्ति में भक्त गणपति जी से प्रार्थना कर रहे हैं कि वे उनकी अरदास सुनें और उनके सभी काम पूरे करें।

मंगल कारी नाम तुम्हारा तुम ही मंगल करता हो,
विधनविनाश्यक देव तुम हो तुम ही विधन के हरता हो,
मुझे तुम्हारी आस गणपति देवा जी,
मेरे कारज करना रास गणपति देवा जी,

यहां गणपति जी के मंगलकारी और विघ्नहर्ता होने की बात की जा रही है। भक्त गणेश जी से उनकी आशा व्यक्त कर रहे हैं कि वे उनके कार्यों में सफलता और सौभाग्य लाएं।

देव लोक के देव देवा तेरा ध्यान लगाते है,
शुभ काम से पहले वंदन तेरा गाते है,
रुतबा तेरा ख़ास गणपति देवा जी,
मेरे कारज करना रास गणपति देवा जी,

भक्त गणपति जी की महिमा का गुणगान करते हैं और बताते हैं कि देवता भी उनकी पूजा और वंदन करते हैं। गणपति जी की खासियत और महत्व को मानते हुए, वे अपनी प्रार्थना को और भी खास मानते हैं।

सागर मांगे तुमसे कोई ऐसा मंगल वर दो तुम,
देवा जीवन से ये मेरे दूर अमंगल करदो तुम,
विनती करता दास गणपति देवा जी,
मेरे कारज करना रास गणपति देवा जी,

अंत में, भक्त गणपति जी से विशेष रूप से वरदान की कामना कर रहे हैं, जिससे उनके जीवन से सभी अड़चने दूर हों और उनके सभी काम सफल हों।

निष्कर्ष:

इस भक्ति गीत में भक्त गणपति जी से उनकी सभी इच्छाओं और कार्यों में सहायता की प्रार्थना कर रहे हैं। गणपति जी के मंगलकारी स्वभाव और विघ्नहर्ता की विशेषताओं को मानते हुए, वे उनके आशीर्वाद की कामना कर रहे हैं। यह गीत गणपति जी के प्रति भक्तों की गहरी श्रद्धा और विश्वास को प्रकट करता है।

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