विनायक म्हारे आगणै - vinayak mhare aaganai

विनायक म्हारे आगणै

थे बेगा बेगा आज्यो गजानंद म्हारे आगणै,
गजानंद म्हारे आगणै विनायक म्हारे आगणै,

गजानंद (गणपति जी) को जल्दी से घर आने का निमंत्रण दिया जा रहा है। इस पंक्ति में गणपति जी की आगवानी की खुशी और इंतजार को दर्शाया गया है।

म्हारे घर पावन हो जासी गणपति थारे आणेसे,
रिद्धि सिद्धि न सागे ल्याइजो गजानंद म्हारे आगणै,

गणपति जी के आगमन से घर पवित्र हो जाएगा। भक्त गणपति जी से रिद्धि और सिद्धि के साथ आने की प्रार्थना कर रहे हैं, ताकि घर की समृद्धि और सफलता सुनिश्चित हो सके।

म्हारे घर पधारो गणपति पलका पे बिठावा म्हे,
थे आकर मान बढाज्जो गजानंद म्हारे आगणै,

गणपति जी को सम्मान देने के लिए भक्त उन्हें घर के पलकों पर बिठाएंगे और उनके आने से घर की मान्यता और गरिमा बढ़ेगी।

छप्पन भोग छतिसो मेवा लडुवन थाल सजाव म्हे,
थे रूच रूच भोग लगाज्जो गजानंद म्हारे आगणै,

गणपति जी के स्वागत के लिए भक्त छप्पन भोग और छत्तीस मेवे से सजे थाल तैयार कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि गणपति जी इन भोगों को स्वीकार करें।

न्हाय धोय कर करा आरती थारा लाड़ लडावा म्हे,
भक्त नै भूल न जाइज्यो गजानंद म्हारे आगणै,

गणपति जी के स्वागत के लिए भक्त पूरी श्रद्धा से स्नान, धोने, और आरती की तैयारी कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि गणपति जी उनके भक्तों को न भूलें और उनकी पूजा से प्रसन्न हों।

।। शीला रधुवंशी ।।

यह भजन गणपति जी के आगमन और उनकी पूजा की समृद्धि को दर्शाता है। भक्त गणपति जी के आगमन की खुशी और उनके स्वागत के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।

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