उत्तराखंड रत्न सम्मान 2016: राज्य के नौ विभूतियों को सम्मान - Uttarakhand Ratna Award 2016: Honoring nine dignitaries of the state.
उत्तराखंड रत्न सम्मान 2016: राज्य के नौ विभूतियों को सम्मान
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उत्तराखंड सरकार ने पहली बार राज्य स्थापना दिवस पर उत्तराखंड रत्न सम्मान की शुरुआत की। यह सम्मान उन विभूतियों को दिया जाता है जिन्होंने समाज, स्वतंत्रता संग्राम, पर्यावरण संरक्षण, और अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस वर्ष, राज्य सरकार ने नौ महान विभूतियों को मरणोपरांत और वर्तमान में सम्मानित किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राज्य आंदोलनकारियों की पेंशन के लिए 18.5 करोड़ रुपये जारी करने की घोषणा भी की।
उत्तराखंड रत्न सम्मान प्राप्तकर्ता 2016
वीर चंद्र सिंह गढ़वाली
- कार्यक्षेत्र: भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन
- योगदान: वीर चंद्र सिंह गढ़वाली, एक स्वतंत्रता सेनानी, ब्रिटिश सेना में होने के बावजूद निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से इंकार किया। उन्हें पेशावर कांड के नायक के रूप में जाना जाता है।
श्रीदेव सुमन
- कार्यक्षेत्र: भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन, नागरिक अधिकार
- योगदान: टिहरी रियासत में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान टिहरी राज के तानाशाही शासन के खिलाफ संघर्ष करते हुए, श्रीदेव सुमन ने अपनी भूख हड़ताल के दौरान शहादत दी।
इंद्रमणि बडोनी
- कार्यक्षेत्र: स्वतंत्रता आंदोलन, समाज सेवा, उत्तराखंड राज्य आंदोलन
- योगदान: इंद्रमणि बडोनी को 'उत्तराखंड का गांधी' कहा जाता है। वे अहिंसा और सत्याग्रह के अपने सिद्धांतों के लिए विख्यात हैं।
गौरा देवी
- कार्यक्षेत्र: पर्यावरण संरक्षण
- योगदान: गौरा देवी ने चिपको आंदोलन का नेतृत्व किया और पर्यावरण को बचाने के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना संघर्ष किया।
नारायण दत्त तिवारी
- कार्यक्षेत्र: राजनीति
- योगदान: तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और उत्तराखंड राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने। उन्होंने वित्त, रक्षा और विदेश मामलों में केंद्रीय मंत्री के रूप में भी कार्य किया।
माता मंगला देवी
- कार्यक्षेत्र: समाज सेवा और परोपकार
- योगदान: दिव्य प्रकाश मिशन से जुड़ी हुई माता मंगला देवी शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में योगदान के लिए जानी जाती हैं।
बद्रीदत्त पांडे
- कार्यक्षेत्र: स्वतंत्रता संग्राम, इतिहास लेखन
- योगदान: बद्रीदत्त पांडे को 'कुमाऊं केसरी' के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कुली-बेगार आंदोलन का नेतृत्व किया और स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी।
जयानंद भारती
- कार्यक्षेत्र: स्वतंत्रता संग्राम, समाज सुधार
- योगदान: जयानंद भारती ने डोला-पालकी आंदोलन का नेतृत्व किया और समाज सुधार के क्षेत्र में आर्य समाज को बढ़ावा दिया।
महंत घनश्याम गिरी
- कार्यक्षेत्र: समाज सेवा
- योगदान: महंत घनश्याम गिरी आध्यात्मिकता के साथ समाज सेवा में भी सक्रिय रहे हैं। वे हरिद्वार से विधायक भी रहे हैं।
राज्य स्थापना दिवस पर अन्य पुरस्कार और घोषणाएँ
स्थापना दिवस पर उत्तराखंड सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को पुरस्कृत करने का भी निर्णय लिया। खेल के क्षेत्र में उत्तराखंड खेल रत्न, उत्तराखंड द्रोणाचार्य, और लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड दिए गए। इसके अतिरिक्त, संस्कृति विभाग द्वारा लोक गायन, और वन विभाग द्वारा वन संरक्षण व औषधीय पौधों के संरक्षण में योगदान करने वालों को भी सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर साहसिक खेलों के क्षेत्र में भी पुरस्कारों का वितरण किया गया, जिसमें लवराज धर्मशक्तू को साहसिक खेल पुरस्कार दिया गया।
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