देवभूमि उत्तराखंड के द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता
उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है, ने हमेशा खेल जगत में अपने खिलाड़ियों और कोचों का परचम लहराया है। इस ब्लॉग में हम उत्तराखंड के उन गौरवमयी कोचों के बारे में जानेंगे जिन्होंने विभिन्न खेलों में उत्कृष्ट योगदान दिया और द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित हुए।
1. हरि सिंह थापा - बॉक्सिंग (2013)
हरि सिंह थापा ने 2013 में बॉक्सिंग में अपनी कोचिंग क्षमता से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक मुक्केबाज तैयार किए। उनकी कोचिंग ने उत्तराखंड के बॉक्सिंग क्षेत्र में नए मापदंड स्थापित किए हैं।
2. नारायण सिंह राणा - निशानेबाजी (2014)
2014 में निशानेबाजी के क्षेत्र में नारायण सिंह राणा ने अपने अनुभव से अनेक निशानेबाजों को प्रशिक्षित किया। उनकी कोचिंग से खिलाड़ियों ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।
3. रेनू कोहली - एथलेटिक्स (2015)
रेनू कोहली ने 2015 में एथलेटिक्स के क्षेत्र में अपना अहम योगदान दिया। उनकी मेहनत और समर्पण ने उत्तराखंड के खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी उपलब्धियां हासिल करने में मदद की।
4. सुरेंद्र सिंह भंडारी - ओलम्पियन (2016)
सुरेंद्र सिंह भंडारी, एक ओलम्पियन कोच, ने 2016 में द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त किया। उनका अनुभव और कोचिंग से उत्तराखंड के खिलाड़ियों को ओलम्पिक स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करने की प्रेरणा मिली।
5. लियाकत अली - क्रिकेट (2017)
क्रिकेट कोच लियाकत अली ने 2017 में अपनी कोचिंग से कई प्रतिभाशाली क्रिकेटरों को तैयार किया। उनके प्रशिक्षित खिलाड़ी विभिन्न क्रिकेट टूर्नामेंट्स में अपने राज्य और देश का नाम रोशन कर रहे हैं।
6. अनूप बिष्ट - एथलेटिक्स (2018)
2018 में एथलेटिक्स के क्षेत्र में अनूप बिष्ट ने द्रोणाचार्य पुरस्कार जीता। उनकी कोचिंग ने उत्तराखंड के एथलीट्स को नए आयाम दिए हैं। उनकी कोचिंग में ट्रेनिंग प्राप्त खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा पाई है।
इन सभी कोचों ने न केवल खेलों में अपने योगदान से उत्तराखंड का नाम ऊंचा किया है, बल्कि अपनी कोचिंग से युवा खिलाड़ियों को भी प्रेरित किया है।
उत्तराखंड के द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेताओं को हमारी हार्दिक शुभकामनाएं, और हमें गर्व है कि वे हमारी देवभूमि से संबंध रखते हैं।
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