जनपद - उधमसिंह नगर
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- 29 सितम्बर, 1995 को नैनीताल के मैदानी भाग जिसमें भाबर एवं तराई शामिल था को मिलाकर उधमसिंह नगर जिले का सृजन किया गया।
- प्राचीन गाथाओं में इस क्षेत्र का नाम चौरासी माल मिलता है। (84 कोस क्षेत्रफल के कारण)
- मुस्लिम लेखकों ने इसे विलायत या मिनी हिन्दुस्तान की संज्ञा दी है।
- इसी क्षेत्र का प्राचीन नाम मागद भी मिलता है, जिसका अर्थ रोग भूमि होता है।
- तराई -भाबर को महाल/मधेशिया या मढ़ौ की माल भी कहते थे।
- 1842 में तराई -भाबर कुमाऊं जिले का भाग बना।
- टोडरमल के सहयोग से रुद्रचन्द ने 1589 को चौरासी माल अकबर से प्राप्त किया।
- नामकरण - अमर शहीद सरदार उधम सिंह के नाम पर जिले का नामकरण हुआ।
- उधम सिंह ने जलियाबाग हत्याकांड के जनरल ओ डायर की 13 मार्च 1940 को लन्दन के रायल सेंट्रल एशियन सोसायटी के कार्यक्रम में हत्या कर दी।
- इन्हें वहीं पेन्टनविले जेल में 31 जुलाई, 1940 को फांसी की सजा दी गई।
मुख्यालय - रुद्रपुर
स्थापना वर्ष - 1995
पड़ोसी जिले/देश/राज्य
- पूर्व में -नेपाल
- पश्चिम में -उत्तर प्रदेश
- उत्तर में -नैनीताल
- दक्षिण में - उत्तर प्रदेश
- क्षेत्रफल -2542 वर्ग किमी
- जनसंख्या - 16,48,902 (16.35%)
- पुरुष - 858783
- ग्रामीण -10,62,142
- महिला - 790119
- शहरी - 5,86,760
- जनघनत्व -649
- साक्षरता - 73.10% (13वां)
- पुरुष -81.09%
- महिला -64.45%
- लिंगानुपात - 920
- शिशु लिंगानुपात -899
तहसीलें(8) –
- काशीपुर,
- किच्छा,
- बाजपुर,
- खटीमा,
- सितारगंज,
- गदरपुर,
- जसपुर
- रुद्रपुर
उपतहसील
1. नानकमत्ता
विकासखण्ड(7) –
- काशीपुर,
- बाजपुर,
- खटीमा,
- सितारगंज,
- गदरपुर,
- जसपुर
- रुद्रपुर
विधानसभा सीटें (8)
- जसपुर,
- काशीपुर,
- बाजपुरSC,
- खटीमा,
- गदरपुर,
- किच्छा,
- सितारगंज एवं
- नानकमत्ता ST
प्रमुख आकर्षण
गोविषाण का किला
- हवेनसांग ने इसका जिक्र किया है।
- गो-विषाण का अर्थ होता है गाय का सींग।
- प्राचीन समय कपड़े धातु एवं बर्तनों का मुख्य बाजार था।
- यहां से प्राप्त सिक्कों के अनुसार दूसरी सदी तक ये क्षेत्र कुणिन्द शासकों के अधीन था।
- यहां से प्रतिहार वंश से सम्बन्धित विष्णु त्रिविक्रम की मूर्ति प्राप्त हुई है जो वर्तमान में नई दिल्ली संग्रहालय में रखी गई है।
- इसके निकट ही भीमगड़ा का टीला, वंशीवाला का टीला, खोखरे वाला का टीला, ललता देवी मंदिर टीला, जागीश्वर मंदिर टीला भी पाये गये है।+
द्रोण सागर
- गोविषाण के निकट ही द्रोण सागर है।
- गुरु द्रोणाचार्य द्वारा अपने शिष्यों के साथ यहां निवासित होना उल्लिखित है।
उज्जैन का किला/बाला सुंदरी मंदिर
- द्रोण सागर के किनारे आधुनिक शैली का ज्वालादेवी मंदिर है जिसे उज्जैनी देवी भी कहते है।
- (उज्जैन गांव में)
- इसी ज्वाला देवी के मंदिर को बाला सुंदरी का मंदिर भी कहते हैं।
- जो कि चन्दों की कुल देवी मानी जाती है।
- यहां चैत्र में मेला लगता है जिसे चैती का मेला कहा जाता है।
- इस मंदिर के समीप ही भूतेश्वर, मुक्तेश्वर, नागनाथ एवं जागीश्वर का मंदिर भी है।
- उक्त मंदिर के निकट ही असाध्य रोगों के उपचारार्थ प्रसिद्ध खुजली देवी का मंदिर भी है।
मोटेश्वर महादेव मंदिर
1. इसे भीमशंकर
महादेव भी कहा जाता है।इनके अतिरिक्त ऋषिताल व चामुंडा मंदिर भी प्रसिद्ध है।
गिरी सरोवर
1. काशीपुर बस अड्डे के निकट ही रामनगर रोड पर स्थित है।
रुद्रपुर
- रुद्रचन्द द्वारा बसाया गया।
- नैनीताल का प्रवेश द्वार कहा जाता है।
- बोक्सा जनजाति के आदिनिवासियों के कारण बोक्साड़ प्राचीन नाम।
- यहां कल्याणी नदी बहती है।
नानकमत्ता
- पुराना नाम बक्शी/बख्शी, तपेड़ा एवं सिद्धतमा मिलते हैं।
- 1508 में तीसरी उदासी (कैलाश यात्रा) के समय गुरू नानकदेव जी नानकमत्ता आये। इसकी स्मृति में बीदर महाराष्ट्र में नानक क्षीर एवं गुरुद्वारा बना बाद में तराई में भी गुरुद्वारा बनाया गया।
- नानकमत्ता नाम पड़ने से पूर्व यह सिद्धमता कहलाता था।
- यहां गोरखनाथ जी के शिष्यों का निवास था।
- मान्यता है कि गुरू नानकदेव जी ने यहां अपना आसन लगाया तो यहां का सूखा पीपल वृक्ष हरा हो गया।
- इसी पीपल वृक्ष को पंजा साहिब कहा जाता है।
- यहां दीपावली को मेले का आयोजन होता है।
दूध वाला कुआं
सिद्धों ने योग शक्ति से जब पूरे क्षेत्र के गाय-भैंसो का दूध सूखा दिया तब 36 प्रकार के भोजन के लिए गुरु नानकजी से मांग की। श्री गुरुजी ने एक कटोरा पानी कुएं निकाला जो दूध था। आज भी यहां से कच्चे दूध की महक आती है।
नानक सागर - नंधौर नदी में बनी झील।
- वनखण्डी मंदिर, मेला - चकरपुर
- झनकैय्या का मेला
- लोहिया हेड डैम
- भारामल बाबा मंदिर
लालकोठी में उत्तरायणी कौतिक प्रसिद्ध है।
जिले के प्रमुख मेले
- चैती का मेला
- झारखण्डेश्वर मेला
- भादो मेला (ओलिया पीर को समर्पित)
- सवर पीर का मेला (गदरपुर)
- बाल्मिया मेला 6. सिसला मेला(मिट्ठन शाह के सम्मान में)
- सीतावनी मेला (कोटा पहाड़ में)
- घाट मेला (मेलाघाट, बिलारिया में मां शारदा को समर्पित।)
- अटरिया मेला
- जहर ओलिया मेला (टंडा उज्जैन में)
- गुडासी मेला (काशीपुर)
- मोटेश्वर मेला
जिले के प्रमुख नदियां व बांध
दाबका नदी
- यह अच्छी सेवक लेकिन बुरी मालकिन के रूप में जानी जाती है।
- कुछ जगहों पर निहाल नाम से जानी जाती है।
- किछड़ी इसकी सहायक नदी है।
- गटिया व धुगी नाम से भी जानी जाती है।
- बाजपुर के निकट से राज्य से बाहर निकलती है।
नन्धौर नदी
- देओह चोरगलिया से निकलती है।
- 1962 में नानक सागर बांध का निर्माण इसी नदी में किया गया है।
- 16.5 मी0 ऊंचा एवं लगभग 20 किमी लम्बा है।
- बाकरा/शाकरा नदी - दाबका के पूर्व में समानान्तर खानपुर के पास से राज्य से बाहर।
- बौर नदी - गागर पर्वत माला ढाल पर घुगवां से निकलती है।
- ढेला नदी - रामगंगा की सहायक, काशीपुर में ठाकुरद्वारा से उत्तर प्रदेश में निकल जाती है।
- बौर जलाशय - बाजपुर में बौर नदी में 1967 में निर्मित जलाशय।
- हरिपुरा जलाशय - शाकरा नदी पर 1975 में बना बांध किच्छा में है।
- तुमड़िया डैम - फीका नदी में बना हुआ है 16 मी0 ऊंचा एवं लगभग 20 किमी लम्बा है। 1961 -62 में बना।
- बैगुल बांध - सुखली एवं बैगुल नदी पर 1968 में बना सितारगंज में है।
- धौरा डैम -किच्छा नदी में 1960 में बना।
प्रमुख समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं
- जन जागृति - 1955 काशीपुर से शुरू तराई क्षेत्र का प्रथम समाचार पत्र।
- बिगुल - 1959 मजदूरों एवं कामगारों को समर्पित राम दत्त जोशी द्वारा काशीपुर से शुरू ।
- चौराह - 1960 गोविन्द बल्लभ ध्याणी ने शुरू किया ।
- लोकतंत्र - काशीपुर के सत्येद्र चन्द्र गुड़िया ने 1960 में शुरू किया।
- दशानन - 1961 काशीपुर से प्रद्युम्न कुमार निझावन ने शुरू किया।
- तराई टाइम्स -किच्छा से 1965 में शुरू।
- किसान भारती - 1970 पन्तनगर विश्वविद्यालय द्वारा शुरू किया गया।
- कुमाऊँ एक्सप्रेस - कुमाऊँ मूल के किच्छा निवासी श्याम सुन्दर तिवारी द्वारा।
उधम सिंह नगर जिले के बारे में सामान्य प्रश्न (FQCs)
उधम सिंह नगर जिले की स्थापना कब हुई थी?
- उधम सिंह नगर जिले की स्थापना 29 सितम्बर, 1995 को हुई थी।
इस जिले का नाम किसके नाम पर रखा गया है?
- जिले का नाम अमर शहीद सरदार उधम सिंह के नाम पर रखा गया है।
उधम सिंह नगर का क्षेत्रफल कितना है?
- उधम सिंह नगर जिले का क्षेत्रफल 2542 वर्ग किलोमीटर है।
जिले की जनसंख्या क्या है?
- जिले की जनसंख्या 16,48,902 है।
उधम सिंह नगर जिले में कितनी तहसीलें हैं?
- जिले में कुल 8 तहसीलें हैं: काशीपुर, किच्छा, बाजपुर, खटीमा, सितारगंज, गदरपुर, जसपुर और रुद्रपुर।
जिले की साक्षरता दर क्या है?
- जिले की साक्षरता दर 73.10% है।
उधम सिंह नगर जिले में कौन-कौन से प्रमुख धार्मिक स्थल हैं?
- प्रमुख धार्मिक स्थलों में मोटेश्वर महादेव मंदिर, नानकमत्ता गुरुद्वारा, बाला सुंदरी मंदिर, और खुजली देवी का मंदिर शामिल हैं।
जिले में प्रमुख त्योहार कौन से मनाए जाते हैं?
- जिले में चैती का मेला, झारखण्डेश्वर मेला, भादो मेला, और नानकमत्ता का दीपावली मेला प्रमुख हैं।
उधम सिंह नगर जिले के प्रमुख नदियाँ कौन सी हैं?
- प्रमुख नदियों में दाबका नदी, नन्धौर नदी, बाकरा/शाकरा नदी, बौर नदी, और ढेला नदी शामिल हैं।
उधम सिंह नगर जिले का मुख्यालय कहाँ है?
- जिले का मुख्यालय रुद्रपुर है।
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