प्यारी ब्वै
प्रस्तावना
"प्यारी ब्वै" एक भावुक कविता है जो मातृत्व की महिमा और बच्चों के प्रति माता-पिता के असीम प्यार को दर्शाती है। इस कविता में माताजी की ममता, त्याग, और उनके प्रति बच्चों की जिम्मेदारियों का उल्लेख है।

कविता: प्यारी ब्वै
आज लाठी का सारा हिटणी छ,
भौं कबरी बोन्नि छ,
बेटा, अब त्वै फर ही छ सारू,
फर्ज निभौ तू,
बोझ समझ या भारू।
उबरी जब तू छोट्टू थै,
तेरा खातिर मैन ज्यू मारी,
यू ही सोचि थौ मैन,
बुढापा का दिन जब आला,
प्यारु नौनु सेवा करलु हमारी।
ब्वै दुनियाँ मा होन्दि छ,
सबसी प्यारी,
टौल पात जथ्गा ह्वै सकु,
हमारी छ जिम्मेदारी।
ब्वै का दूध की लाज,
रखन्णु छ फर्ज हमारू,
ऋण नि चुकै सकदा हम,
माणदी छ हमतैं सारू।
ख्याल रखन्णु सदानि,
ब्वै का आँखों माँ,
कब्बि भि नि अयाँ चैन्दन,
दुःख का आंसू,
अनुभूति प्रगट कन्नु छौं,
तुमारु दग्ड़्या "जिग्यांसू"
कविता का विश्लेषण
इस कविता में माताजी के प्रति बच्चों की जिम्मेदारी और उनके द्वारा किए गए त्याग को बड़े भावनात्मक तरीके से प्रस्तुत किया गया है। मातृभूमि की लाज और उनके दुःख-दर्द को समझना इस कविता का मुख्य संदेश है। यह हमें याद दिलाती है कि हमें अपने माता-पिता का ध्यान रखना चाहिए और उनके प्रति हमारी जिम्मेदारियाँ हैं।
निष्कर्ष
"प्यारी ब्वै" एक सच्ची श्रद्धांजलि है माताओं के प्रति, जो अपने बच्चों के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर देती हैं। यह कविता हमें प्रेरित करती है कि हम भी अपने माता-पिता की देखभाल करें और उनके प्रति अपने फर्ज निभाएँ।
आपके विचार:
क्या आप भी अपने माता-पिता के लिए कुछ विशेष करना चाहते हैं? अपने अनुभव साझा करें और इस कविता को अपने परिवार के साथ बाँटें!
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