उत्तराखंड हमारा है - Uttarakhand is ours

उत्तराखंड हमारा है

प्रस्तावना
"उत्तराखंड हमारा है" एक भावुक कविता है, जो उत्तराखंड की धरती, उसकी संस्कृति और लोगों के प्रति प्रेम को व्यक्त करती है। यह कविता उन भावनाओं को उजागर करती है, जो पहाड़ों से दूर रहने वाले लोगों के दिलों में बसी होती हैं।


कविता: उत्तराखंड हमारा है

देवभूमि के दर्द बहुत हैं,
किसी गाँव में जाकर देखो,
कैसा सन्नाटा पसरा है,
तुम बिन,
प्यारे उत्तराखंड्यौं,

अब तो तुम, गाँव भी नहीं जाते,
शहर लगते तुमको प्यारे,
जो उत्तराखंड से प्यार करेगा
पूरी दुनिया में उसको सम्मान मिलेगा।

अकेला नहीं कहता है "धोनी",
शैल पुत्रों तुमने कर दी अनहोनी,
अन्न वहाँ का हमने खाया,
विमुख क्यों हुए,
ये हमें समझ नहीं आया।

लौटकर आएंगे तेरी गोद में,
जब आए थे किया था वादा,
शहर भाए इतने हमको,
प्यारे लगते पहाड़ से ज्यादा।

उस पहाड़ के पुत्र हैं हम,
सीख लेकर कदम बढ़ाया,
सपने भी साकार हुए,
जो चाहे था, सब कुछ पाया।

दूरी क्यों जन्मभूमि से,
ये अब तक समझ न आया,
हस्ती जो बन गए,
देवभूमि का सहारा है।

स्वीकार अगर न भी करे,
उसकी आँखों का तारा है,
उस माँ का सम्मान करना,
देखो कर्तव्य हमारा है।

मत भूलो, रखो रिश्ता,
उत्तराखंड हमारा है।


कविता का विश्लेषण

यह कविता उन उत्तराखंडवासियों के मन में बसने वाले दर्द और प्रेम को व्यक्त करती है, जो अपनी जन्मभूमि से दूर हैं। कवि ने शहरों की चकाचौंध और वहाँ के आकर्षण की बात की है, लेकिन साथ ही यह भी बताया है कि जन्मभूमि का एक विशेष स्थान होता है। यह कविता यह संदेश देती है कि हमें अपने मातृभूमि को कभी नहीं भूलना चाहिए और हमेशा अपने संबंधों को मजबूत रखना चाहिए।

निष्कर्ष

"उत्तराखंड हमारा है" कविता हमें याद दिलाती है कि चाहे हम कितनी भी दूर चले जाएं, हमारे दिल में अपनी मातृभूमि के प्रति एक अटूट संबंध हमेशा बना रहना चाहिए। यह एक प्रेरणादायक कविता है, जो हमें अपने कर्तव्यों और अपने रिश्तों की महत्ता को समझाती है।


आपके विचार:
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