जानिए पहाड़ी लोगों की 10 दिलचस्प बातें
अगर आप पहाड़ी हैं—चाहे कहीं भी रह रहे हों, चाहे देश में हो या विदेश में—ये 10 बातें आपको अपनी जड़ों से जरूर जोड़ेंगी। ये वो खास चीज़ें हैं जो हर पहाड़ी के दिल में बसी होती हैं। चलिए, इनकी खासियतें जानें और उन खूबसूरत यादों में खो जाएं।
1. कंडाली की झपाक (कंडाली की सब्जी)
कंडाली (सिसौण) का नाम सुनते ही शायद आपको अपने बचपन के दिनों की याद आ जाए। कभी गलती से इसे छू लिया हो, तो उसकी झमनाठ आज भी याद होगी। कंडाली की सब्जी न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि इसमें विटामिन और प्रोटीन भी भरपूर मात्रा में होते हैं। यह पथरी और बवासीर जैसी बीमारियों के इलाज में भी सहायक है।
2. माल्टा, नारंगी, और खट्टा नींबू की खटाई
सर्दियों में गुनगुनी धूप में छत पर बैठकर माल्टा और नारंगी की फांके सजाकर सिलवटे पर पिसे नमक के साथ खटाई का आनंद लेना—यह यादें आत्मा तक तृप्त कर देती हैं। इसे कई तरीकों से बनाया जा सकता है जैसे धनिया, पुदीना, और हरी मिर्च के साथ दही मिलाकर या चीनी और नमक के साथ।
3. फौजी का सम्मान
भारतीय सेना और गढ़वाल-कुमाऊं रेजीमेंट का संबंध बहुत पुराना है। सबसे ज्यादा जवान पहाड़ों से भारतीय सेना में शामिल होते हैं। हम पहाड़ी लोग बचपन से ही ‘A फॉर ARMY’ का महत्व समझते हैं।
4. ‘चा’ का स्वाद
चाय पहाड़ियों की पसंदीदा चीज है। चाहे एक के बाद एक गिलास पिलाते रहो, पर पहाड़ी तृप्त नहीं होता। पहाड़ों में इसे ‘चा’ या ‘चाहा’ कहा जाता है। यहां अनजान मेहमान भी आते हैं, तो उन्हें बिना कुछ लिए चाय अवश्य पिलाई जाती है।
5. शादी-त्यौहार का रंग - मांगल गीत और बेड़ु पाको
शादी-ब्याह के मौकों पर मांगल गीतों का सुरूर होता है। बेड़ु पाको गीत की धुन पर थिरकना हर पहाड़ी को पसंद है। पहाड़ी शादियों में इन गीतों की शुरुआत से लेकर विदाई तक एक खास स्थान होता है।
6. काफल की मिठास
काफल का स्वाद पहाड़ के हर इंसान को याद होगा। पहाड़ का यह स्वादिष्ट फल अब शहरों में भी बिकता है। नमक के साथ काफल खाने का जो आनंद है, वो बचपन की यादों को ताजा कर देता है।
7. रोटना और अरसा की मिठास
शादियों और त्यौहारों के दौरान रोटना और अरसा का स्वाद याद दिलाने के लिए काफी है। अरसा पहाड़ की एक प्रचलित मिठाई है जो लंबे समय तक खराब नहीं होती और इसका स्वाद भी अद्भुत होता है। यह पहाड़ी मिठाई घर के बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक सभी की पसंद है।
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अरसा की मिठास |
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रोटना की मिठास |
8. बुंरास का जूस
बुरांस के जूस का स्वाद बचपन की यादों में बसा है। यह पहाड़ी लोगों के लिए एक प्राकृतिक टॉनिक के समान है। फूलदेई के मौसम में बुरांस के फूल जंगलों में खिले होते हैं, जो पहाड़ की खूबसूरती को और भी बढ़ाते हैं। बुरांस का जूस स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।
9. बाल मिठाई और सिंगोरी
बाल मिठाई और सिंगोरी का नाम सुनते ही हर पहाड़ी के मुंह में पानी आ जाता है। ये मिठाइयाँ पहाड़ी बचपन का हिस्सा रही हैं और विदेशों में रह रहे पहाड़ियों की यादों में भी बसे हैं।
10. घुघुती-बासूती के गीत
अगर आपका बचपन गांव में बीता है, तो घुघुती-बासूती गीत की मधुर धुनें आपके कानों में जरूर गूंजती होंगी। हमारे लिए ‘ट्विंकल-ट्विंकल लिटिल स्टार’ से बेहतर घुघुती-बासूती रहा है। यह गीत पहाड़ के बच्चों की लोरियों, कहानियों और परंपराओं का हिस्सा रहा है।
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11. गेंदे की माला से घर की सजावट
त्यौहार हो या शादी, हर मौके पर गेंदे के फूल की मालाएँ बनाकर घर सजाना पहाड़ी संस्कृति का हिस्सा है। गांव में महिलाएँ और बच्चे मिलकर गेंदे की फूलों से माला बनाते हैं, जिससे घर में रंग और खुशबू भर जाती है।
12. आँख-मिचौली खेलते बच्चे
पहाड़ में खेत-खलिहानों में आँख-मिचौली खेलते बच्चों का दृश्य आज भी मन को आनंदित कर देता है। प्राकृतिक खूबसूरती के बीच बच्चों का ये खेल उनकी मासूमियत और खुशहाली को दर्शाता है। इस खेल के दौरान बच्चों के हंसते-खिलखिलाते चेहरे हर किसी का मन मोह लेते हैं।
13. छकना (भोजन को बांटना) की परंपरा
पहाड़ी इलाकों में एक अनूठी परंपरा है जिसे ‘छकना’ कहते हैं। गांव में अगर किसी के घर में त्यौहार या उत्सव होता है तो उसमें बने भोजन को गाँव के अन्य घरों में बाँटा जाता है। यह परंपरा आपसी भाईचारे और प्रेम को दर्शाती है।
14. सावनी का जश्न
सावन के महीने में, गांव के खेतों में लहलहाती फसलों और हरियाली का स्वागत बड़े हर्षोल्लास से किया जाता है। इस समय विभिन्न पर्व मनाए जाते हैं और लोग झूले डालते हैं। महिलाएं झूले पर झूलती हैं और सावनी गीत गाती हैं।
15. बारिश में खेतों में फिसलने का मजा
बारिश के मौसम में पहाड़ों में फिसलने का मजा अलग ही होता है। कई बार बच्चे खेतों में फिसलते हैं और अपने बचपन को पूरी तरह से जीते हैं। यह मस्ती और आनंद पहाड़ी बचपन की खास पहचान है।
16. अंजू और बुर्जुंगों का साथ
गांव में बच्चों का दादी-दादा या नानी-नाना के साथ समय बिताना बहुत आम है। इन बुजुर्गों के पास अनगिनत कहानियाँ होती हैं जो बच्चों को सुनाई जाती हैं। इन कहानियों में साहस, धर्म, परंपराएं, और रीति-रिवाजों की झलक मिलती है।
17. रात को तारे गिनना और जुगनू पकड़ना
पहाड़ की शांत रातों में, बच्चे छत पर या खुले मैदान में लेटकर तारे गिनते हैं और जुगनू पकड़ते हैं। यह दृश्य बचपन का खास हिस्सा होता है और आज भी पहाड़ी जीवन का अहम हिस्सा है।
18. ठेठ पहाड़ी भाषा का सौंदर्य
गढ़वाली और कुमाऊंनी जैसी पहाड़ी भाषाओं का सौंदर्य अपनी अलग पहचान बनाता है। हर पहाड़ी को अपनी भाषा पर गर्व है और यह भाषा किसी गीत की तरह मधुर और प्रभावशाली होती है।
19. पगडंडियों पर चलने का अनुभव
पहाड़ों में पक्की सड़कों का अभाव है और गांव-गांव पगडंडियों से जुड़ा होता है। गांव के लोग इन पगडंडियों से दूरियों को मापते हैं और ये पगडंडियाँ उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा होती हैं। पगडंडियों पर चलने का आनंद शहर के लोग समझ ही नहीं सकते।
20. नदियों और झरनों का सुहाना संग
पहाड़ों की नदियाँ और झरने किसी स्वर्ग से कम नहीं हैं। इनके पास बैठकर घंटों बिताना और ठंडे पानी में पैर डुबोना हर पहाड़ी के जीवन का खास हिस्सा है। गर्मियों में इन ठंडी नदियों में नहाना एक अद्भुत अनुभव होता है।
ये विशेषताएँ हर पहाड़ी व्यक्ति की पहचान और परंपराओं का अभिन्न हिस्सा हैं। ये बातें हमारे जीवन को विशेष बनाती हैं और हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखती हैं
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1. कंदली (सिसोन) क्या है और यह पहाड़ी लोगों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
कंदली, जिसे सिसोन भी कहा जाता है, एक ऐसा पौधा है जिसकी डंक से जलन होती है, लेकिन इसके पत्ते पौष्टिक सब्जी बनाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। यह विटामिन और प्रोटीन में समृद्ध होता है और पथरी और बवासीर जैसी बीमारियों के इलाज के लिए उपयोगी माना जाता है।
2. ठंड के मौसम में पहाड़ी लोग माल्टा, संतरे और नींबू क्यों खाते हैं?
ठंड के मौसम में लोग धूप में बैठकर माल्टा, संतरे और नींबू खाने का आनंद लेते हैं। इन फलों को नमक के साथ खाया जाता है और विभिन्न तरीकों से तैयार किया जाता है, जैसे धनिया और पुदीना के साथ मिलाकर या चीनी और नमक के साथ।
3. हिमालयी संस्कृति में सैनिकों के प्रति सम्मान क्यों है?
पहाड़ी क्षेत्रों का भारतीय सेना से गहरा संबंध है, खासकर गढ़वाल और कुमाऊं रेजिमेंट्स से। इन क्षेत्रों के कई युवा सेना में सेवा करते हैं और "ए फॉर आर्मी" की अवधारणा बचपन से ही संस्कृति का हिस्सा बन जाती है।
4. हिमालयी क्षेत्र में चाय संस्कृति का क्या महत्व है?
चाय, जिसे स्थानीय बोलियों में 'चाहा' कहा जाता है, दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मेहमानों को चाय का स्वागत करना और अंतहीन कप चाय पीना एक परंपरा बन चुकी है, जो गर्मजोशी और संबंधों का प्रतीक है।
5. 'मंगल गीत' और 'बेडू पाको' जैसे पारंपरिक गीत शादी और त्योहारों में क्यों महत्वपूर्ण हैं?
पारंपरिक गीत जैसे 'मंगल गीत' और 'बेडू पाको' शादी और त्योहारों के अवसरों पर विशेष रूप से गाए जाते हैं। ये गीत शादी की प्रक्रिया के दौरान, शुरुआत से लेकर विदाई तक, गाए जाते हैं और पहाड़ी शादी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं।
6. काफल फल पहाड़ी लोगों के लिए क्यों प्रिय है?
काफल एक छोटा, खट्टा फल है जो हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह स्थानीय लोगों के लिए प्रिय है क्योंकि इसका स्वाद अद्वितीय होता है और इसे नमक के साथ खाया जाता है, जो बचपन की यादों और पहाड़ों में पले-बढ़े लोगों के लिए खास है।
7. रोटना और अरसा क्या हैं, और पहाड़ी संस्कृति में इनका क्या महत्व है?
रोटना और अरसा पारंपरिक मिठाइयाँ हैं जो त्योहारों और शादियों के दौरान परोसी जाती हैं। अरसा एक लंबी उम्र तक चलने वाली मिठाई है, और यह पहाड़ी घरों में विशेष रूप से प्रिय है, क्योंकि यह शादी के अवसरों पर और पारंपरिक पर्वों पर बनाई जाती है।
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