Badrinath ji ki Aarti | श्री बद्रीनाथ जी की आरती और पूजा का समय

Badrinath ji ki Aarti | श्री बद्रीनाथजी की आरती

श्री बद्रीनाथ जी की आरती और पूजा का समय

श्री बद्रीनाथ जी | Shri Badrinath Ji

श्री बद्रीनाथ जी की आरती, भगवान विष्णु की महिमा का गायन करती है और भक्तों को उनके आशीर्वाद और कृपा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है। यह आरती विशेष रूप से उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम में प्रसिद्ध है, जहाँ प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु भगवान विष्णु के दर्शन करने आते हैं। इस आरती का गायन करते समय भक्त अपने हृदय में भगवान बद्रीनाथ के प्रति अनंत भक्ति और प्रेम का अनुभव करते हैं।

आरती के साथ-साथ, बद्रीनाथ मंदिर में हर दिन नियमित पूजा और अनुष्ठान भी होते हैं। श्रद्धालुओं के लिए यहां पूजा और दर्शन का एक विशेष समय निर्धारित है, जिससे वे दिव्य वातावरण में अपने श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त कर सकें।


श्री बद्रीनाथ जी की आरती

पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम्।
निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्॥

यह पंक्ति बद्रीनाथ के मंदिर की पवित्रता और उसकी सुंदरता का वर्णन करती है। यहाँ गंगा की निर्मल धारा बहती है और मंदिर की पवित्रता शीतल हवा के साथ मिलकर वातावरण को आशीर्वादमयी बना देती है।

शेष सुमिरन करत निशदिन, धरत ध्यान महेश्वरम्।
वेद ब्रह्मा करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम्॥

यह पंक्ति भगवान विष्णु की भक्ति में रत रहने का संकेत है। शेष नाग और महेश्वर (शिव) की पूजा करते हुए वेद और ब्रह्मा भी उनकी स्तुति करते हैं। यह दर्शाता है कि श्री बद्रीनाथ जी की महिमा ब्रह्मा, शिव और अन्य देवताओं द्वारा भी की जाती है।

शक्ति गौरी गणेश शारद, नारद मुनि उच्चारणम्।
जोग ध्यान अपार लीला, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्॥

यहाँ भगवान बद्रीनाथ की शक्तियों की बात की जा रही है, जिन्हें शक्ति, गणेश, शारदा और नारद मुनि द्वारा सम्मानित किया जाता है। उनका ध्यान अपार और अद्भुत है।

इंद्र चंद्र कुबेर धुनि कर, धूप दीप प्रकाशितम्।
सिद्ध मुनिजन करत जय जय, बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्॥

इंद्र, चंद्र और कुबेर जैसे देवता उनकी महिमा का गायन करते हैं। इस पंक्ति में उनके द्वारा किए गए पूजा-अर्चना का वर्णन किया गया है, जिसमें दीप और धूप से वातावरण को प्रकाशित किया जाता है।

यक्ष किन्नर करत कौतुक, ज्ञान गंधर्व प्रकाशितम्।
श्री लक्ष्मी कमला चंवरडोल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्॥

यह पंक्ति दर्शाती है कि यक्ष, किन्नर और गंधर्व भी भगवान बद्रीनाथ के चरणों में अपना कौतुक और भक्ति प्रस्तुत करते हैं। यहाँ तक कि लक्ष्मी माता भी उनके चरणों में सदा उपस्थित रहती हैं।

कैलाश में एक देव निरंजन, शैल शिखर महेश्वरम्।
राजयुधिष्ठिर करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्॥

यह पंक्ति कैलाश पर्वत पर भगवान शिव के स्थान की और भगवान विष्णु के दिव्य रूप का ध्यान आकर्षित करती है। यहाँ राजयुधिष्ठिर भी भगवान बद्रीनाथ की स्तुति करते हैं।

श्री बद्रजी के पंच रत्न, पढ्त पाप विनाशनम्।
कोटि तीर्थ भवेत पुण्य, प्राप्यते फलदायकम्॥

यह पंक्ति बताती है कि जो भी श्री बद्रीनाथ की आरती का पाठ करता है, उसके पाप नष्ट होते हैं और उसे अनगिनत पुण्य की प्राप्ति होती है।


बद्रीनाथ मंदिर में आरती का समय | Aarti Timings in Badrinath Mandir

बद्रीनाथ मंदिर में दैनिक अनुष्ठान प्रातः 4:30 बजे से महाभिषेक के साथ शुरू होते हैं और रात्रि 9:00 बजे शयन आरती के साथ समाप्त होते हैं। इस बीच अन्य दैनिक कार्यक्रम भी किए जाते हैं।

  • प्रातः 4:30 बजे – महाभिषेक और पूजा
  • रात्रि 9:00 बजे – शयन आरती

विश्राम का समय दोपहर 1:00 बजे से 4:00 बजे तक निर्धारित है।
भक्त समाज के लिए सुबह 7:00 बजे से दर्शन खुल जाते हैं और रात्रि शयन आरती तक दर्शन किए जा सकते हैं।


बद्रीनाथ मंदिर में करी जाने वाली पूजा विधि | Prayer Rituals in Badrinath Mandir

बद्रीनाथ मंदिर में भक्तों द्वारा की जाने वाली विशेष पूजा ऑनलाइन बुक की जाती है। प्रत्येक पूजा से पहले भक्तों को पवित्र तृप्त कुंड में स्नान करना आवश्यक होता है।
प्रातः महा अभिषेक के साथ दैनिक पूजा कार्यक्रम प्रारंभ होते हैं, इसके बाद अभिषेक, गीता पाठ और भागवत पाठ किया जाता है, और शाम के समय गीत गोविंद और आरती की जाती है।


बद्रीनाथ मंदिर खुलने और बंद होने का समय | Opening and Closing Timing of Badrinath Mandir

  • सुबह 7:00 बजे से 1:00 बजे तक
  • शाम 4:00 बजे से 9:00 बजे तक

निष्कर्ष
यह आरती न केवल बद्रीनाथ धाम के दिव्य स्वरूप का वर्णन करती है, बल्कि भगवान विष्णु के भक्तों के लिए आशीर्वाद और सुख-शांति की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। आरती का गायन करते समय भक्त अपने हृदय में भगवान बद्रीनाथ के प्रति अनंत भक्ति और प्रेम का अनुभव करते हैं।

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