उत्तराखंड पृथक राज्य हेतु आंदोलन /उत्तराखंड राज्य आन्दोलन (Uttarakhand movement for a separate state / Uttarakhand state movement)
उत्तराखंड राज्य का गठन: संघर्ष और इतिहास
उत्तराखंड राज्य का गठन लंबे संघर्ष और बलिदानों का परिणाम है। यह भारत का 27वां राज्य 9 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आया। इस ऐतिहासिक यात्रा में कई महत्त्वपूर्ण घटनाएं, आंदोलनों और बलिदानों ने अहम भूमिका निभाई। यहां इस आंदोलन और इतिहास की मुख्य घटनाओं को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है।
संघर्ष का प्रारंभ और महत्त्वपूर्ण तिथियां
1897 से प्रारंभिक प्रयास
उत्तराखंड राज्य की माँग पहली बार 1897 में उठी, जो समय-समय पर विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से दोहराई जाती रही।
1913-1940: स्वाधीनता संग्राम और राजनीतिक गतिविधियां
- 1913: स्वाधीनता संग्राम के दौरान, कांग्रेस अधिवेशन में उत्तराखंड के कई प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
- 1916: हरगोविंद पंत, गोविंद बल्लभ पंत, बदरी दत्त पांडे जैसे नेताओं ने कुमाऊं परिषद की स्थापना की। इसका उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का समाधान था।
- 1926: कुमाऊं परिषद का कांग्रेस में विलय कर दिया गया।
- 1940: हल्द्वानी सम्मेलन में बदरी दत्त पांडे ने पर्वतीय क्षेत्र को विशेष दर्जा देने की मांग की।
1950-1980: राज्य के लिए मजबूत आधार
- 1954: विधान परिषद के सदस्य इंद्र सिंह नयाल ने पर्वतीय क्षेत्रों के विकास के लिए अलग योजनाएं बनाने का आग्रह किया।
- 1955: फजल अली आयोग ने पर्वतीय क्षेत्रों के लिए अलग राज्य की सिफारिश की।
- 1979: उत्तराखंड क्रांति दल की स्थापना मसूरी में हुई।
1994 का जन आंदोलन
1994 में उत्तराखंड आंदोलन ने जोर पकड़ लिया। छात्रों और सरकारी कर्मचारियों ने बड़े पैमाने पर आंदोलन किए। इस दौरान कई हिंसक घटनाएं हुईं, जिनमें पुलिस की बर्बरता ने आंदोलन को और तेज कर दिया।
प्रमुख घटनाएं:
- खटीमा गोलीकांड (1 सितंबर 1994)पुलिस ने निहत्थे आंदोलनकारियों पर गोलीबारी की, जिसमें सात लोग शहीद हुए।शहीदों में शामिल: भगवान सिंह सिरोला, प्रताप सिंह, सलीम अहमद, गोपीचंद आदि।
- मसूरी गोलीकांड (2 सितंबर 1994)खटीमा कांड के विरोध में मौन जुलूस निकाल रहे लोगों पर पुलिस ने फायरिंग की। इसमें तीन आंदोलनकारी शहीद हुए।शहीद: बेलमती चौहान, हंसा धनाई, बलबीर सिंह आदि।
- रामपुर तिराहा कांड (2 अक्टूबर 1994)दिल्ली रैली में जा रहे आंदोलनकारियों पर पुलिस ने हमला किया। इसमें महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और सात लोगों की मृत्यु हुई।शहीद: सूर्यप्रकाश थपलियाल, राजेश लखेड़ा, गिरीश भद्री आदि।
- देहरादून गोलीकांड (3 अक्टूबर 1994)मुजफ्फरनगर कांड के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने फायरिंग की। तीन लोग शहीद हुए।शहीद: बलवंत सिंह सजवाण, राजेश रावत आदि।
राज्य गठन की प्रक्रिया
- 15 अगस्त 1996: प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा ने लाल किले से उत्तराखंड राज्य की घोषणा की।
- 2000: उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक पारित किया गया।
- 9 नवंबर 2000: उत्तराखंड राज्य आधिकारिक रूप से अस्तित्व में आया।
श्रीयंत्र टापू के शहीद और उत्तराखंड राज्य आंदोलन का इतिहास
अमर शहीदों को नमन
उत्तराखंड के निर्माण के संघर्ष में श्रीयंत्र टापू की घटना एक काला अध्याय है, जिसमें दो वीर सपूतों ने अपनी जान की आहुति दी।
- अमर शहीद स्व. श्री राजेश रावत
- अमर शहीद स्व. श्री यशोधर बेंजवाल
इन दोनों शहीदों के शव 14 नवंबर 1994 को बागवान के पास अलकनंदा नदी में तैरते हुए पाए गए। उनकी शहादत उत्तराखंड आंदोलन के इतिहास में अमर है।
उत्तराखंड पृथक राज्य आंदोलन: इतिहास की झलक
प्रारंभिक प्रयास
- 1969: पर्वतीय विकास परिषद का गठन।
- 1970: पी.सी. जोशी ने कुमाऊं राष्ट्रीय मोर्चा का गठन किया।
- 1972: नैनीताल में उत्तरांचल परिषद का गठन।
- 1973: उत्तरांचल परिषद ने "दिल्ली चलो" का नारा दिया।
- 1976: उत्तराखंड युवा परिषद की स्थापना।
- 1979: त्रेपन सिंह नेगी ने उत्तरांचल राज्य परिषद का गठन किया।
उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद)
उत्तराखंड क्रांति दल ने उत्तराखंड आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई।
- 24-25 जुलाई 1979: मसूरी में "पर्वतीय जन विकास सम्मेलन" के दौरान उक्रांद का गठन।
- प्रथम अध्यक्ष: डॉ. देवीदत्त पांडे।
- 1987: दल का विभाजन हुआ और काशी सिंह ऐरी ने नेतृत्व संभाला।
- 9 सितंबर 1987: उत्तराखंड बंद का आयोजन।
- 1990: उक्रांद के जसवंत सिंह बिष्ट ने यूपी विधानसभा में पृथक राज्य का प्रस्ताव रखा।
- 1992: गैरसैंण को उत्तराखंड की राजधानी घोषित करने का प्रस्ताव।
भारतीय जनता पार्टी का योगदान
- 1987: लालकृष्ण आडवाणी ने उत्तराखंड को पृथक राज्य बनाने की मांग की।
- 1991: भाजपा ने उत्तराखंड राज्य को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया।
- 1991: यूपी विधानसभा में पृथक राज्य का प्रस्ताव पास।
- 1992: मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने प्रस्ताव केंद्र को भेजा।
कौशिक और बड़थ्वाल समिति
उत्तराखंड राज्य की स्थापना के लिए इन समितियों का गठन किया गया:
- कौशिक समिति (4 जनवरी 1994): अध्यक्ष रमाशंकर कौशिक।
- 8 जिलों और 3 मंडलों की सिफारिश।
- बड़थ्वाल समिति (1994): विनोद बड़थ्वाल की अध्यक्षता में गठन।
मुख्य घटनाएं
खटीमा कांड (1 सितंबर 1994)
- पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं, कई लोग शहीद हुए।
मसूरी कांड (2 सितंबर 1994)
- महिलाओं पर अत्याचार, हंसा घनाई और बेला मति चौहान शहीद।
रामपुर तिराहा कांड (2 अक्टूबर 1994)
- महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और पुरुषों पर गोलियां।
श्रीयंत्र टापू कांड (10 नवंबर 1994)
- राजेश रावत और यशोधर बेंजवाल शहीद हुए।
उत्तराखंड राज्य का गठन
- 15 अगस्त 1996: प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा ने लाल किले से घोषणा की।
- 9 नवंबर 2000: उत्तरांचल (अब उत्तराखंड) भारत का 27वां राज्य बना।
- 1 जनवरी 2007: राज्य का नाम "उत्तरांचल" से बदलकर "उत्तराखंड" किया गया।
नमन और प्रेरणा
श्रीयंत्र टापू के शहीदों और सभी आंदोलनकारियों का बलिदान हमें प्रेरित करता है। उत्तराखंड के निर्माण का सपना उन्हीं की कुर्बानियों की नींव पर साकार हुआ।
अमर शहीदों को शत-शत नमन!
निष्कर्ष
उत्तराखंड का गठन केवल राजनीतिक प्रक्रिया का परिणाम नहीं, बल्कि इसके पीछे हजारों आंदोलनकारियों के बलिदान और दृढ़ संकल्प का इतिहास है। यह राज्य उन लोगों के संघर्ष और आत्मसम्मान का प्रतीक है जिन्होंने अपने पर्वतीय क्षेत्र की पहचान और विकास के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया
Frequently Asked Questions (FQCs) on the formation of Uttarakhand:
1. उत्तराखंड राज्य का गठन कब हुआ था?
उत्तराखंड राज्य 9 नवंबर 2000 को आधिकारिक रूप से अस्तित्व में आया। यह भारत का 27वां राज्य था।
2. उत्तराखंड राज्य के गठन का कारण क्या था?
उत्तराखंड राज्य के गठन की मुख्य वजह पर्वतीय क्षेत्रों के विकास की कमी, सामाजिक-आर्थिक समस्याएं और स्थानीय लोगों की मांग थी। राज्य की मांग लंबे समय से उठ रही थी, जो विभिन्न आंदोलनों और संघर्षों के बाद साकार हुई।
3. उत्तराखंड राज्य के गठन के लिए प्रमुख आंदोलन कौन से थे?
उत्तराखंड राज्य के गठन के लिए कई प्रमुख आंदोलन हुए, जिनमें 1994 का जन आंदोलन, खटीमा गोलीकांड, मसूरी गोलीकांड, रामपुर तिराहा कांड, और श्रीयंत्र टापू कांड शामिल हैं।
4. उत्तराखंड राज्य की मांग की शुरुआत कब हुई थी?
उत्तराखंड राज्य की मांग पहली बार 1897 में उठी थी। इसके बाद 1916 में कुमाऊं परिषद की स्थापना और 1955 में फजल अली आयोग की सिफारिश के माध्यम से यह मांग और मजबूत हुई।
5. उत्तराखंड राज्य आंदोलन में किसकी भूमिका महत्वपूर्ण थी?
उत्तराखंड राज्य आंदोलन में कई प्रमुख नेताओं की भूमिका थी, जिनमें हरगोविंद पंत, गोविंद बल्लभ पंत, बदरी दत्त पांडे, इंद्र सिंह नयाल, और उत्तराखंड क्रांति दल के नेता शामिल थे।
6. उत्तराखंड राज्य का नाम पहले क्या था?
उत्तराखंड राज्य का नाम पहले "उत्तरांचल" था। 1 जनवरी 2007 को राज्य का नाम बदलकर "उत्तराखंड" कर दिया गया।
7. उत्तराखंड राज्य गठन में शहीदों का क्या योगदान था?
उत्तराखंड राज्य के गठन के लिए कई आंदोलनकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी, जिनमें श्रीयंत्र टापू के शहीद राजेश रावत और यशोधर बेंजवाल, खटीमा गोलीकांड के शहीद और अन्य शामिल थे। इन शहीदों की कुर्बानियों के कारण राज्य का गठन संभव हो सका।
8. कौन से प्रमुख कांड उत्तराखंड राज्य गठन के संघर्ष से जुड़े हैं?
उत्तराखंड राज्य के गठन से जुड़े प्रमुख कांडों में खटीमा गोलीकांड, मसूरी गोलीकांड, रामपुर तिराहा कांड और श्रीयंत्र टापू कांड शामिल हैं, जिनमें कई आंदोलनकारियों ने अपनी जान की आहुति दी।
9. उत्तराखंड राज्य गठन के लिए सरकार द्वारा की गई प्रमुख घोषणाएं क्या थीं?
1996 में प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा ने लाल किले से उत्तराखंड राज्य की घोषणा की। 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ और 1 जनवरी 2007 को इसका नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।
10. उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद कौन से प्रमुख विकास हुए?
उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद पर्वतीय क्षेत्र के विकास में तेजी आई। राज्य ने अपनी सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा दिया, शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ और पर्यटन के क्षेत्र में भी वृद्धि हुई।
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