श्री चामुण्डा चालीसा
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चामुंडा देवी टेम्पल |
॥दोहा॥
नीलवरण मा कालिका रहती सदा प्रचंड !
दस हाथो मई ससत्रा धार देती दुस्त को दांड्ड़ !
मधु केटभ संहार कर करी धर्म की जीत !
मेरी भी बढ़ा हरो हो जो कर्म पुनीत !!
॥चौपाई॥
नमस्कार चामुंडा माता, तीनो लोक मई मई विख्याता !
हिमाल्या मई पवितरा धाम है, महाशक्ति तुमको प्रडम है !!
मार्कंडिए ऋषि ने धीयया, कैसे प्रगती भेद बताया !
सूभ निसुभ दो डेतिए बलसाली, तीनो लोक जो कर दिए खाली!!
वायु अग्नि याँ कुबेर संग, सूर्या चंद्रा वरुण हुए तंग !
अपमानित चर्नो मई आए, गिरिराज हिमआलये को लाए !!
भद्रा-रॉंद्र्रा निट्टया धीयया, चेतन शक्ति करके बुलाया !
क्रोधित होकर काली आई, जिसने अपनी लीला दिखाई !!
चंदड़ मूंदड़ ओर सुंभ पतए, कामुक वेरी लड़ने आए !
पहले सुग्गृीव दूत को मारा, भगा चंदड़ भी मारा मारा !!
अरबो सैनिक लेकर आया, द्रहूँ लॉकंगन क्रोध दिखाया !
जैसे ही दुस्त ललकारा, हा उ सबद्ड गुंंजा के मारा !!
सेना ने मचाई भगदड़, फादा सिंग ने आया जो बाद !
हत्टिया करने चंदड़-मूंदड़ आए, मदिरा पीकेर के घुर्रई !!
चतुरंगी सेना संग लाए, उचे उचे सीविएर गिराई !
तुमने क्रोधित रूप निकाला, प्रगती डाल गले मूंद माला !!
चर्म की सॅडी चीते वाली, हड्डी ढ़ाचा था बलसाली !
विकराल मुखी आँखे दिखलाई, जिसे देख सृिस्टी घबराई !!
चंदड़ मूंदड़ ने चकरा चलाया, ले तलवार हू साबद गूंजाया !
पपियो का कर दिया निस्तरा, चंदड़ मूंदड़ दोनो को मारा !!
हाथ मई मस्तक ले मुस्काई, पापी सेना फिर घबराई !
सरस्वती मा तुम्हे पुकारा, पड़ा चामुंडा नाम तिहरा !!
चंदड़ मूंदड़ की मिरतट्यु सुनकर, कालक मौर्या आए रात पर !
अरब खराब युध के पाठ पर, झोक दिए सब चामुंडा पर !!
उगर्र चंडिका प्रगती आकर, गीडदीयो की वाडी भरकर !
काली ख़टवांग घुसो से मारा, ब्रह्माड्ड ने फेकि जल धारा !!
माहेश्वरी ने त्रिशूल चलाया, मा वेश्दवी कक्करा घुमाया !
कार्तिके के शक्ति आई, नार्सिंघई दित्तियो पे छाई !!
चुन चुन सिंग सभी को खाया, हर दानव घायल घबराया !
रक्टतबीज माया फेलाई, शक्ति उसने नई दिखाई !!
रक्त्त गिरा जब धरती उपर, नया डेतिए प्रगता था वही पर !
चाँदी मा अब शूल घुमाया, मारा उसको लहू चूसाया !!
सूभ निसुभ अब डोडे आए, सततर सेना भरकर लाए !
वाज्ररपात संग सूल चलाया, सभी देवता कुछ घबराई !!
ललकारा फिर घुसा मारा, ले त्रिसूल किया निस्तरा !
सूभ निसुभ धरती पर सोए, डेतिए सभी देखकर रोए !!
कहमुंडा मा धृम बचाया, अपना सूभ मंदिर बनवाया !
सभी देवता आके मानते, हनुमत भेराव चवर दुलते !!
आसवीं चेट नवराततरे अओ, धवजा नारियल भेट चाड़ौ !
वांडर नदी सनन करऔ, चामुंडा मा तुमको पियौ !!
॥दोहा॥
सरणागत को शक्ति दो हे जाग की आधार !
ॐ ये नेया दोलती कर दो भाव से पार !!
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