श्री नैना देवी जी मंदिर के दर्शन की जानकारी और पर्यटन स्थल

श्री नैना देवी जी मंदिर के दर्शन की जानकारी और पर्यटन स्थल 

Sri Naina Devi Ji Temple Information Everything
श्री नैना देवी जी का मंदिर हिमाचल प्रदेश राज्य के बिलासपुर जिले में एक पहाड़ी पर स्थित है। आपको बता दें यह मंदिर समुद्र तल से 1219 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जिसका निर्माण राजा बीर चंद ने 8 वीं शताब्दी के दौरान करवाया था। यह मंदिर निर्माण के बाद कई लोककथाओं के लिए जाना जाता है और आज पर्यटकों और तीर्थयात्रियों द्वारा बहुत पवित्र माना जाता है। इस मंदिर में नियमित रूप में पर्यटकों की भीड़ बनी रहती है। नैना देवी मंदिर के आसपास कई रहस्यमय लोक कथाएँ हैं, जो पर्यटकों को यात्रा करने के लिए आकर्षित करती हैं।
श्री नैना देवी एक त्रिकोणीय पहाड़ी पर बना हुआ है और इसको माता सती के 52 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के सभी प्रमुख त्योहारों को मंदिर में बड़े जोश के साथ मनाया जाता है, जिससे यह मंदिर साल भर के उत्सवों से भरा हुआ होता है। अगर आप इस मंदिर के इतिहास के बारे में यह इसके पास के पर्यटन स्थलों के बारे में जानकर चाहते हैं तो इस लेख को जरुर पढ़ें, इसमें हम आपको श्री नैना देवी जी मंदिर के बारे में पूरी जानकारी दे रहें हैं।

 श्री नैना देवी जी मंदिर के दर्शन की जानकारी और पर्यटन स्थल, Sri Naina Devi Ji Temple In Hindi

श्री नैना देवी जी मंदिर का इतिहास – Sri Naina Devi Ji Temple History

श्री नैना देवी जी मंदिर का इतिहास
श्री नैनाजी मंदिर के इतिहास के बारे में बात करें तो एक पौराणिक कथा के अनुसार जब देवी सती ने अपने आप को एक यज्ञ में अपने आप को जला दिया था तो भगवान शिव व्यथित हो गए थे और उन्होंने सती की लाश को अपने कंधे पर उठाया और तांडव नृत्य शुरू कर दिया था, जिससे सभी देवता डर गए थे। इसके बाद सभी ने भगवान विष्णु से उन्हें रोकने का आग्रह किया। इसके बाद भगवान विष्णु ने अपना चक्र चलाया जिसने माता सती के शरीर को 51 टुकड़ों में काट दिया। श्री नैना देवी मंदिर वह स्थान है जहां सती के नेत्र गिरे थे, इसलिए इस मंदिर को श्री नैना देवी जी मंदिर कहा जाता है।

नैना देवी जी मंदिर की संरचना – Architectural Structure Of Naina Devi Ji Temple

नैना देवी जी मंदिर की संरचना
नैना देवी जी मंदिर पहाड़ी की चोटी पर स्थित है जहाँ पर पैदल या फिर किसी भी वाहन की मदद से पहुंचा जा सकता है। यहाँ एक रोपवे भी है जिसका उपयोग पहाड़ी रास्ते तक पहुंचने के लिए किया जा सकता है। मुख्य प्रवेश द्वार को पार करने के बाद पर्यटक बाईं ओर एक भव्य पीपल का पेड़ देख सकते हैं। इस पेड़ के ठीक सामने सामने भगवान गणेश और भगवान हनुमान की मूर्तियां स्थित हैं। मुख्य मंदिर में पहुंचने पर, शेरों की दो मूर्तियों पर्यटकों का स्वागत करती हैं।
मंदिर के भीतरी गर्भगृह में तीन मूर्तियाँ हैं जिसमें बाईं ओर काली देवी, मध्य में शक्ति की आंखें और दाईं ओर भगवान गणेश की है। मंदिर तक जाने वाले पूरे रास्ते में प्रसाद और स्मृति चिन्ह बेचने वाली छोटी दुकाने लगी हुई दिखाई देती हैं। मंदिर हर साल भारी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है और शुभ हिंदू त्योहारों के दिनों में बहुत इस मंदिर में भीड़ हो जाती है। यह मंदिर देश के सबसे पूजनीय मंदिरों में से एक है।
3. नैना देवी मंदिर में मनाने जाने वाले उत्सव – Festivals Celebrated At The Naina Devi Temple In Hindi
आपको बता दें कि नैना देवी मंदिर में हिंदू धर्म के सभी त्यौहार बहुत ही धूम-धाम से मनाये जाते हैं। इस मंदिर में नवरात्री का त्यौहार सबसे प्रमुख है जो अक्टूबर-नवंबर के महीनों में मेला के रूप में मंदिर में 10 दिनों तक मनाया जाता है, और श्री महा तारा जयंती भी यहाँ मनाई जाती है।

नैना देवी मंदिर में रोपवे और पालकी – Ropeways And Palki Service At Naina Devi Temple

नैना देवी मंदिर में रोपवे और पालकी
श्री नैना देवी जी मंदिर की एक और दिलचस्प विशेषता है रोपवे जो मंदिर तक पर्यटकों को आसानी से पहुंचाती है। मंदिर तक इस्तेमाल की जाने वाली पालकी में सवारी करना काफी आरामदायक है। अधिकांश श्रद्धालु जय माता दी का जाप करते हुए पैदल पहाड़ी की चोटी तक पहुंचना पसंद करते हैं।
नैना देवी मंदिर के खुलने का समय – Naina Devi Temple Timings
नैना देवी मंदिर के दर्शन प्रातःकाल 4 बजे से रात्रि के 10 बजे तक होते है। लेकिन नवरात्री के समय यह मंदिर प्रातःकाल 2 बजे से रात्रि 12 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है।
नैना देवी जी मंदिर की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय क्या है – What Is The Best Time To Naina Devi Ji Mandir
नैना देवी जी मंदिर की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय क्या है
नैना देवी जी मंदिर बिलासपुर का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। मंदिर की यात्रा साल के किसी भी महीने में कर सकते हैं। बिलासपुर में गर्म ग्रीष्मकाल, मानसून के दौरान मध्यम वर्षा होती है। सर्दियों को दौरान यहाँ का तापमान 0 डिग्री तक गिर जाता है। अगर आप सर्दियों के दौरान इस शहर की यात्रा करने तो अपने साथ ऊनी कपड़े ले जाना न भूलें। मंदिर में नवरात्री का त्यौहार बड़े ही जोश और धूम-धाम के साथ मनाया जाता है, अगर आप इस उत्सव में शामिल होना चाहते हैं तो अक्टूबर-नवंबर में मंदिर की यात्रा कर सकते हैं।
नैना देवी जी मंदिर के आस-पास के घूमने लायक पर्यटन और दर्शनीय स्थल – Tourist Attraction Near Naina Devi Ji Mandir In Hindi
नैना देवी जी मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर शहर से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, आप अगर शहर की यात्रा पर हैं तो इसके साथ ही मंदिर के पास के नीचे दिए गए प्रमुख पर्यटन स्थलों की सैर भी कर सकते हैं।

व्यास गुफा – Vyas Cave

व्यास गुफा
व्यास गुफा, सतलज नदी के तट पर है, जहाँ महाकाव्य महाभारत के लेखक ऋषि व्यास तपस्या के दिनों में यहाँ रहे थे। यह गुफा 610 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और सतलुज के बाएं किनारे पर स्थित है। इन गुफाएँ की वजह से इस शहर को पहले शहर व्यासपुर के नाम से जाना जाता था। अगर आप इतिहास प्रेमी है तो आपको इन गुफाओं को देखने के लिए जरुर जाना चाहिए।

कंदूर ब्रिज – Kandrour Bridge

कंदूर ब्रिज

कंदूर ब्रिज कभी सतलज पर यह पुल कभी एशिया का सबसे ऊँचा पुल था और 80 मीटर की ऊँचाई पर बना था, जो आज भी दुनिया के सबसे ऊँचे पुलों में से एक है। यह पुल चूना पत्थर की चट्टानों से घिरा हुआ है और नीचे की नदी हिमालय के ग्लेशियरों के पिघलने के पानी के कारण ग्रीष्मकाल के दौरान कगार पर होती है।

भाखड़ा नांगल बांध बिलासपुर – Bhakra Nangal Dam

भाखड़ा नांगल बांध बिलासपुरभाखड़ा नांगल बांध हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में सतलुज नदी पर भाखड़ा गाँव में स्थित है। बता दें कि इस बांध के जलाशय को गोबिंद सागर ’के रूप में जाना जाता है, जिसमें 9.34 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी जमा होता है। यह बाँध हर साल देश भर से पर्यटकों की एक बड़ी संख्या को अपनी तरफ आकर्षित करता है। भाखड़ा बांध नांगल शहर से 15 किमी दूर है। भाखड़ा नंगल बहुउद्देश्यीय बांध भारत के स्वतंत्र होने के बाद नदी घाटी विकास योजनाओं में से हैं। यह दुनिया के सबसे ऊंचे गुरुत्वाकर्षण बांधों में से एक है।

नाहर सिंह  – Nahar Singh Temple

नाहर सिंह
बता दें कि बिलासपुर के लोग बाबा नाहर सिंह में बहुत विश्वास रहते हैं और उनकी पूजा भी करते हैं। नाहर सिंह मंदिर उनके समर्पण में बनाया गया था जिसमें उनकी चप्पलें रखी हुई हैं। नाहर सिंह बाबा का मंदिर अपने आप में एक धार्मिक महत्त्व रखता है और मंदिर मई- जून के मध्य में मंगलवार को शहर में मेले का आयोजन भी करता है।
कोल्डम बांध – Koldam Dam
कोल्डम बांध
कोल्डम बांध सतलुज नदी पर बनाया गया है और यह बिलासपुर से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कोलडैम बिलासपुर के सबसे प्रमुख आकर्षणों में से एक है और बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। यह बांध प्राकृतिक परिदृश्य से घिरा हुआ है और अक्सर इस क्षेत्र में लोग पिकनिक मनाने के लिए आते हैं।

लक्ष्मी नारायण मंदिर – Laxmi Narayan Mandir

लक्ष्मी नारायण मंदिर

लक्ष्मी नारायण मंदिर बिलासपुर का एक प्रमुख अद्भुत मंदिर है जो देवी लक्ष्मी और उनके पति भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के भक्तों के लिए धार्मिक महत्व रखता है। मंदिर में भक्त अक्सर पूजा करने और देवताओं से आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं। सुंदर मंदिर का निर्माण शिखर शैली प्रकार की वास्तुकला के अनुसार किया गया है, जिसकी वजह से यह दुनियाभर से वास्तुकला प्रेमियों को आकर्षित करता है। मंदिर बिलासपुर बस स्टैंड के बहुत करीब स्थित है, अगर आप बिलासपुर की यात्रा कर रहें हैं तो आपको इस मंदिर में दर्शन के लिए जरुर जाना चाहिए।

फोर्ट बछरेटू – Bachhretu Fort

फोर्ट बछरेटू
बछरेटू किला बिलासपुर जिले में स्थित प्राचीन किला है जो 14 वीं शताब्दी में बिलासपुर के राजा रतन चंद के शासनकाल के दौरान बनाया गया था। यह शानदार संरचना अब खंडहर बन चुकीं है, लेकिन देश में काफी ऐतिहासिक महत्व का माना जाता है। बछरेटू किला समुद्र तल से 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं। यह किला अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अंतर्गत आती है और पर्यटकों के लिए खुला हुआ है। बछरेटू किला इतिहास प्रेमियों और फ़ोटोग्राफ़ी के शौकीनों के लिए एक आदर्श आकर्षण है।

मार्कंडेय ऋषि मंदिर – Markandeya Rishi Temple

मार्कंडेय ऋषि मंदिर
मार्कंडेय जी मंदिर बिलासपुर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मार्कंडेय ऋषि को समर्पित धार्मिक स्थल है। इस मंदिर में भक्त ऋषि मार्कंडेय की पूजा करने के लिए जाते हैं। भले ही यह एक धार्मिक स्थल है लेकिन मंदिर की सुंदरता भी दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करती है। ऋषि मार्कंडेय मंदिर के पास एक झरना है जिसे बेहद पवित्र माना जाता है क्योंकि इसमें औषधीय गुण पाए जाते हैं। मार्कंडेय जी की मूर्ति की भी अपनी अलग खासियत है। भक्तों का यह भी मानना ​​है कि ऋषि मार्कंडेय उन्हें कई शारीरिक बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। कई निःसंतान दंपति संतान प्राप्ति की उम्मीद में ऋषि मार्कंडेय की पूजा करने के लिए आते हैं।

कहलूर किला – Kahlur Fort

कहलूर किलाकहलूर किला या कोट-कहलूर एक राजसी संरचना है जो बिलासपुर जिले में समुद्र तल से लगभग 3600 फीट ऊपर स्थित है। बिलासपुरको ब्रिटिश काल के दौरान एक रियासत कहलूर के रूप में जाना जाता था। पहाड़ी पर स्थित यह किला बिलासपुर का एक प्रमुख आकर्षण है और बिलासपुर से काफी पास होने की वजह से पर्यटक यहाँ पिकनिक मानाने के लिए अक्सर आते हैं। इतिहास प्रेमी और वास्तुकला के दीवाने लोगों को यह किला बहुत लुहावना लगता है। कहलूर किला पूरी तरह से पत्थर से बना एक प्राचीन ढांचा है। यहाँ से पर्यटक साफ नीले आसमान के नीचे हरियाली भरी पहाड़ी का सुंदर मनोरम दृश्य देख सकते हैं।

वाटर स्पोर्ट्स एंड फिशिंग बिलासपुर (HP) – Water Sports And Fishing In Bilaspur (HP) 

वाटर स्पोर्ट्स एंड फिशिंग बिलासपुर (HP)बिलासपुर के गोबिंद सागर झील में वाटर स्कीइंग, सेलिंग, कयाकिंग, रेगाटास, मोटर बोट रेसिंग और बहुत से वाटर स्पोर्ट्स की सुविधा मौजूद है। इसके साथ ही यहाँ पर बोट भी मामूली शुल्क पर किराए पर मिल जाती है। झील में मछली पकड़ना भी एक पसंदीदा और लोकप्रिय गतिविधि है क्योंकि इसमें मछलियों की एक विस्तृत विविधता है जिसमें लबेरो डेरो और प्यूस्ट्रेटा के नाम शामिल हैं।

बिलासपुर में पैराग्लाइडिंग – Paragliding In Bilaspur

बिलासपुर में पैराग्लाइडिंगबिलासपुर पैराग्लाइडिंग में रुचि रखने वालों के लिए एक बहुत ही अच्छी जगह है। यह क्षेत्र को स्वाभाविक रूप से साहसिक खेलों के लिए परफेक्ट है। बिलासपुर सबसे लोकप्रिय पैराग्लाइडिंग साइटों के साथ 8 घंटे की उड़ान के साथ-साथ एक झील के पास आदर्श लैंडिंग ग्राउंड पेश कर सकता है। यहाँ की बैंडला पहाड़ियाँ भी पैराग्लाइडिंग के लिए एक लोकप्रिय स्थान है।

श्री नैना देवी जी मंदिर तक कैसे पहुंचे – How To Reach Sri Naina Devi Ji Mandir

श्री नैना देवी जी का मंदिर बिलासपुर जिले में एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। अगर आप फ्लाइट स से मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि इसका निकटतम हवाई अड्डा चंडीगढ़ है जो जेट एयरवेज और इंडियन एयरलाइंस उड़ानों द्वारा नई दिल्ली से जुड़ा हुआ है। चंडीगढ़ से मंदिर की दूरी लगभग 100 किमी है। इसके साथ ही जो पर्यटक सड़क मार्ग से यात्रा करना चाहते हैं उनके लिए बता दें कि यह मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग 21 से जुड़ा हुआ है। मोटर योग्य सड़कें आनंदपुर साहिब से मंदिर को जोड़ती हैं, जो पहाड़ियों में 8 किमी की ड्राइव के साथ 20 किमी की दूरी पर स्थित है।

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