चामुण्डा देवी मंत्र । Chamunda Devi Mantra
![]() |
चामुण्डा देवी मंत्र |
- चामुण्डा देवी मंत्र -; ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे॥
- लक्ष्मी प्रधान चामुंडा मंत्र -: ह्रीं क्लीं ऐं चामुंडायै विच्चे.
- माया प्रधान चामुंडा मंत्र -: ह्रीं ऐं क्लीं चामुंडायै विच्चे
- आकषर्ण चामुंडा मंत्र -: क्लीं ऐं ह्रीं चामुंडायै विच्चे।
साधक अपनी रूचि और सुविधानुसार इनमें से किसी भी मंत्र का जप कर सकते हैं
चामुण्डा देवी मंत्र का विवरण :
इस मंत्र का एक बड़ा ही महत्व है क्योंकि इस मंत्र के माध्यम से व्यक्ति तीनों त्रिदेवियों माँ दुर्गा, माँ लक्ष्मी, और माँ सरस्वती, का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है। इस मंत्र में ऐं शब्दांश, माँ सरस्वती का बीज मंत्र है, ठीक उसी तरह ह्रीं, महा लक्ष्मी का बीज मंत्र है और उन्हें संबोधित करता है। वहीँ क्लीं माँ काली का बीज मंत्र है। इस तरह से इस मंत्र का जाप हमें तीनों ही देवियों का आशीर्वाद दिलाता है।यह भी पढ़ें:
ऐसा कहा जाता है की नवरात्री के दौरान जो भी इस मंत्र का जाप करता है उसे महामाया क आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस मंत्र का जाप नवरात्र के दौरान रात के 9 बजे से सुबह 4 बजे के बीच करें। इसके जाप के लिए किसी लाल रंग के वस्त्र का धारण करें और आसान भी लाल रंग का ही रखें। ध्यान रहे की आपका चेहरा पूर्व या उत्तर की और होना चाहिए और सच्चे और स्वच्छ विचार के साथ इसका जाप करें।
विनियोग–
अस्य श्री नवार्ण मंत्रस्य ब्रह्माविष्णुरूद्रा ऋषय: गायत्र्युष्णिगनुष्टुप् छंदासि श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरसत्यो देवता: नंदा शाकंभरी भीमा: शक्त्य: रक्तदंतिकादुर्गा भ्रामर्यो बीजानि, अग्नि वायु सूर्यस्यस्तत्वानि, ऋग्यजु: सामानि स्वरूपाणि, ऐं बीजं, ह्रीं शक्ति: क्लीं कीलकं श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती स्वरूपा त्रिगुणात्मिका श्री महादुर्गा देव्या प्रीत्यर्थे दुर्गासप्तशती पाठांगत्वेन जपे विनियोग:।
ऋष्यादिन्यास–
ब्रह्मा विष्णु रूद्रा ऋषिभ्यो नम: शिरसि।
नवार्ण करांगन्यास—
इस क्रिया से मूल मंत्र की ऊर्जा को हाथों में स्थापित कर उन्हें ओजमय बनाया जाता है। उदाहरण के लिए तर्जनी उंगली इंगित करने के काम आती है।
(शिरसे स्वाहा)।
ऊं क्ली मध्यमाभ्यां नम:। (शिखायै वषट्)।
ऊं माले महामाये सर्वशक्तिस्वरूपिणी।
ऊं अक्षमालाधिपतये सुसिद्धिं देहि देहि सर्वमंत्रार्थ साधिनि साधय साधय सर्वसिद्धिं परिकल्पय परिकल्पय में स्वाहा।
(इसके बाद ऐं ह्रीं क्ली चामुंडायै विच्चे मंत्र का 108 बार जप करें। अंत में कहें—
इस पुरश्चरण से सभी रोग, उपद्रव, शत्रु के प्रतिकूल कार्य नष्ट होकर साधक का हर तरह से कल्याण होता है। उसे ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। पुरश्चरण के पश्चात नाभि तक जल में स्थित होकर दस हजार जप करने से कवित्व की प्राप्ति होती है। बेल के पेड़ के नीचे एक माह तक किसी भी तय संख्या से प्रतिदिन जप कर बेलपत्र, मधुत्रय, दूध व कमल से हवन करने पर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
नाम: चामुंडा देवी मंदिर (चामुंडा नंदिकेश्वर धाम)
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
हिमाचल प्रदेश में महत्वपूर्ण 8 देवी दर्शन मंदिर ] [हिमाचल प्रदेश के बारे में कुछ रोचक तथ्य ] [ श्री नैना देवी जी मंदिर के दर्शन की जानकारी और पर्यटन स्थल ] [ हिडिम्बा देवी मंदिर का इतिहास, कहानी और रोचक तथ्य ] [ भाखड़ा नांगल बांध की जानकारी और प्रमुख पर्यटन स्थल ] [ मनाली के वशिष्ठ मंदिर के दर्शन और पर्यटन स्थल की जानकारी ] [भागसूनाग मंदिर मैक्लोडगंज हिमाचल प्रदेश ] [ काली बाड़ी मंदिर, शिमला ] [नाम: चामुंडा देवी मंदिर (चामुंडा नंदिकेश्वर धाम) ] [ एक प्रसिद्ध मंदिर जो मां चामुंडा (दुर्गा) को समर्पित है ] [ श्रीखंड महादेव, हिमाचल प्रदेश ] [ श्री भीमा काली जी मंदिर ]
0 टिप्पणियाँ