ऊना का इतिहास (History of Una)
ऊना हिमाचल प्रदेश के बारे में
ऊना हिमाचल प्रदेश राज्य में एक जिला और एक नगर पालिका परिषद शहर है। यह ऊना के जिला मुख्यालय के रूप में कार्य करता है। माना जाता है कि ऊना शहर शहर किला का घर है, जो एक ऐतिहासिक किला है और सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक के वंशजों का पैतृक घर है। नगर परिषद के अंतर्गत 11 वार्ड हैं। ऊना में पांच तहसीलें हैं और यह 1 सितंबर 1972 को हिमाचल प्रदेश का एक जिला बन गया। ऊना की सीमा पंजाब के होशियारपुर और रूपनगर जिलों और हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, हमीरपुर और बिलासपुर जिलों से लगती है। जिला ऊना एक सुविकसित औद्योगिक क्षेत्र है। ऊना के प्रसिद्ध स्थानों में से एक है 'चिंतपूर्णी' देवी मंदिर, जिसके दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। अगर आप ऊना का इतिहास पढ़ने में रुचि रखते हैं तो ऊना हिमाचल प्रदेश का इतिहास पर क्लिक करें।
- जिले के रूप में गठन - 1972 ई.
- जिला मुख्यालय - ऊना
- जनसंख्या घनत्व - 338 (2011 में)
- साक्षरता - 87.23% (2011 में)
- कुल क्षेत्रफल - 1540 वर्ग किमी. (2.77%)
- जनसंख्या - 5,21,057 (2011 में ) (7.60%)
- लिंग अनुपात - 977 (2011 में)
- दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर - 16.24% (2011 में)
- कुल गाँव - 814 (आबाद गाँव - 758)
- ग्राम पंचायतें - 235
- विकास खण्ड - 5
- विधानसभा क्षेत्र - 5
- शिशु लिंगानुपात - 870 (2011 में)
- ग्रामीण जनसंख्या - 4,76,140 (91.38%)
(A) भूगोल -
ऊना की औसत ऊंचाई 369 मीटर है। गर्मियों में जिले का तापमान 45°C तक चला जाता है। जिले का अधिकांश भाग मैदानी है जिसके कारण यहाँ गर्मी थोड़ी अधिक पड़ती है। ऊना हिमाचल प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित है। नांगल बांध जिले के दक्षिण में है और पोंग बांध ब्यास जिले के उत्तर में है। ऊना के पश्चिमी तरफ हिमालय की शिवालिक पहाड़ियाँ हैं और पूर्वी तरफ सोलह सिंघी पर्वतमालाएँ हैं। स्वान नदी, जिसे ऊना की आत्मा माना जाता है, जसवान घाटी में 65 किमी दक्षिण में बहती है और आनंदपुर के पास सतलुज नदी में मिल जाती है।
- भौगोलिक स्थिति - ऊना हिमाचल प्रदेश के पश्चिम भाग में स्थित है। इसके उत्तर में काँगड़ा, पश्चिम में पंजाब राज्य, पूर्व में हमीरपुर और दक्षिण में बिलासपुर जिलें की सीमाएं लगती हैं।
- पर्वत श्रृंखलाए - ऊना जिला हिमालय पर्वत श्रेणी की शिवालिक पर्वतमालाओं के अंचल में बसा है। ऊना को पश्चिम में जस्वां दून की पहाड़ियाँ पंजाब से पृथक करती हैं। ऊना शहर दून के मध्य में स्थित है। ऊना जिले के पूर्व में जस्वांधार या चिंतपूर्णी धार है जिसे हमीरपुर जिले में सोलह सिंगी धार के नाम से जाना जाता है। भरवैन इसकी सबसे ऊंची चोटी है।
- नदियाँ - ब्यास और सतलुज के बीच बसे ऊना की प्रमुख नदी स्वान है। यह जस्वां घाटी में बहती हुई आनंदपुर साहिब के पास सतलुज नदी में मिलती है।
(B) इतिहास - ऊना जिला मुख्यत: जस्वां रियासत और कुटलेहर रियासत के अंतर्गत आता है। पूर्व में ये दोनों रियासतें काँगड़ा रियासत का हिस्सा थीं।
- जस्वां रियासत - ऊना जिले का अधिकतर भाग जस्वां रियासत के अंतर्गत आता था जो कि काँगड़ा रियासत के प्रशाका थी। जस्वां रियासत की स्थापना काँगड़ा के कटोच वंश के राजा पूर्व चंद ने 1170 ई. में की थी। इसकी राजधानी अम्ब के पास राजपुर में स्थित थी। जस्वां रियासत काँगड़ा से टूटकर बनने वाली पहली रियासत थी। इस रियासत के उत्तर में सिब्बा और दत्तारपुर तथा पूर्व में काँगड़ा, कुटलेहर और कहलूर राज्य स्थित थे। इस रियासत पर पूर्वचंद से लेकर उम्मेद सिंह तक 27 राजाओं ने शासन किया। मुगल काल में अकबर के समय जस्वां रियासत मुगलों के अधीन आ गई। उस समय जस्वां का राजा गोविंद चंद था। गोविंद चंद के पोते अनिरुद्ध चंद ने दो बार मुगलों के विरुद्ध विद्रोह किया। संसारचंद के आक्रमण के समय जस्वां संसारचंद के कब्जे में आ गया। संसारचंद के विरुद्ध उम्मेद चंद ने गोरखों का साथ दिया था। जस्वां रियासत पर 1815 ई. में सिखों ने कब्जा कर लिया। वर्ष 1848 ई. में दूसरे सिख युद्ध में उम्मेद सिंह ने अंग्रेजों के विरुद्ध सिखों का साथ दिया। उम्मेद सिंह और उसके पुत्र जय सिंह को गिरफ्तार कर अल्मोड़ा भेज दिया गया जहाँ उनकी मृत्यु हुई। 1879 ई. में उम्मेद सिंह के पोते रणसिंह ने अपने पुरखों की रियासत के 21 गाँवों में कब्जा कर लिया था।
- कुटलेहर रियासत - कुटलेहर रियासत भी ऊना जिले का हिस्सा थी जो काँगड़ा रियासत से टूटकर बनी थी। कुटलेहर रियासत को पूर्व में चौकी कुटलेहर के नाम से जाना जाता था। कुटलेहर काँगड़ा क्षेत्र की सबसे छोटी रियासत थी। इस रियासत पर 40 राजाओं ने शासन किया। कुटलेहर रियासत की स्थापना जसपाल नामक ब्राह्मण ने की। उसने अपनी राजाधानी कोट-कहलूर में स्थापित की। जसपाल के पुत्र और पोते ने भज्जी और कोटी रियासतों की स्थापना की थी। कुटलेहर उत्तरी प्रांत चौकी पर 1758 ई. में घमण्डचंद ने कब्जा कर लिया था। संसारचंद ने 1786 ई. में कुटलेहर पर कब्जा किया जिसे बाद में गोरखाओं ने आजाद करवाया। वर्ष 1809 ई. में राज्य सिखों के अधीन आ गया। कुटलेहर के राजा नारायण पाल ने 1825 ई. में रणजीत सिंह से कौटवालवाह किले के लिए युद्ध किया। कुटलेहर रियासत का अंतिम राजा वृजमोहन पाल था। बेदी विक्रम सिंह ने 1848 ई. में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया। बेदी सुजान सिंह ने ऊना शहर को 1848 ई. में पुन: बेदी शासन के अधीन लाया।
- स्वतंत्रता संग्राम - ऊना जिले में 19 मई, 1857 ई. को विद्रोह भड़का। ऊना जिले से सर्वप्रथम 1905 ई. में बाबा लक्ष्मण दास आर्य ने स्वाधीनता आंदोलन में प्रवेश किया। उन्हें 1908 ई. में गिरफ्तार कर लाहौर जेल भेजा गया। बाबा लक्ष्मण दास के पुत्र सत्य प्रकाश बागी, महाशय तीर्थ राम ओयल, गोपीचंद भार्गव ऊना जिले के स्वतंत्रता सेनानी थे।
- जिले की स्थापना - वर्तमान ऊना जिला 1966 ई. से पूर्व पंजाब के होशियारपुर जिले की तहसील थी। वर्ष 1966 ई. से 1972 ई. तक ऊना काँगड़ा जिले का भाग था। वर्ष 1972 ई. में ऊना को जिलें का दर्जा प्रदान किया गया। ऊना शहर की नींव बाबा कलाधारी ने की थी।
(C) मेलें -
- ऊना जिले में चिंतपूर्णी मेला, बसौली में पीर निगाह मेला, मैड़ी में बाबा बड़भाग सिंह मेला प्रसिद्ध है।
(D) अर्थव्यवस्था -
- ऊना जिले के पेखूबेला में बीज संवर्द्धन फार्म है। ऊना जिला कागजी नींबू, किन्नू, माल्टा, संतरे और आम के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। सरकार ने 'अन्जोली' में एक पोल्ट्री फार्म खोला है। ऊना जिले के 3 स्थानों (जलेरा, बंगाणा और पुबोवाल) में दुग्ध अभिशीतन केंद्र हैं। मेहतपुर ऊना जिले का औद्योगिक केंद्र है। ऊना-नंगल रेल लाइन 1991 ई. में बनाई गई। यह ब्रॉड गेज रेल लाइन है।
(E) जननांकीय आँकड़े -
- ऊना जिले की जनसंख्या 1901 ई. में 1,65,000 से बढ़कर 1951 ई. में 1,96,829 हो गई। वर्ष 1971 ई. में ऊना जिले की जनसंख्या 2,61,357 से बढ़कर 2011 में 5,21,057 हो गई। ऊना जिले का लिंगानुपात 2011 में 977 था। ऊना जिले का जनघनत्व 2011 में 338 हो गया। ऊना जिले में 235 ग्राम पंचायतें, 758 आबाद गाँव, 5 विकास खण्ड और विधानसभा क्षेत्र है। ऊना जिले की 2011 में 91.38% जनसंख्या ग्रामीण और 8.62% जनसंख्या शहरी थी। दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर 16.42% रही जोकि 12 जिलों में सर्वाधिक है।
- जनसांख्यिकी:भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार, ऊना शहर की जनसंख्या 5,21,173 थी और साक्षरता दर 86:52% थी, और हिंदी और पंजाबी जिले में मुख्य बोली जाने वाली भाषाएँ हैं।
(F) ऊना जिले का स्थान -
- ऊना जिला क्षेत्रफल में 10वें स्थान पर है। ऊना जिला जनसंख्या में छठे स्थान पर है। ऊना जिला जनघनत्व (338) में हमीरपुर के बाद दूसरे स्थान पर है। दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर (16.24%) में ऊना जिला प्रथम स्थान पर है। ऊना जिले में सबसे अधिक सिख जनसंख्या पाई जाती है। ऊना जिला सड़कों की लम्बाई (2012 तक) में 1771 किमी. के साथ आठवें स्थान पर था। ऊना जिला (2011 में ) लिंगानुपात में छठे स्थान पर है जबकि शिशु लिंगानुपात में, (2011 में) ऊना (870) 12वें और अंतिम स्थान पर है अर्थात ऊना जिले का शिशु लिंगानुपात न्यूनतम (2011 में) है। ऊना जिला 87.23% साक्षरता के साथ दूसरे स्थान पर है। ऊना जिला वन क्षेत्रफल (487 वर्ग किमी.) में दसवें और वनाच्छादित क्षेत्रफल (205 वर्ग किमी.) में आठवें स्थान पर है। ऊना जिले में काँगड़ा के बाद सर्वाधिक भैंसे हैं। ऊना जिला उद्योग में रोजगार उपलब्धता के मामले में चौथे स्थान पर हैं। ऊना जिला काँगड़ा के बाद सबसे ज्यादा आम उत्पादन करने वाला जिला है। ऊना जिला (2011-2012 में ) संतरा, माल्टा, अमरुद, पपीता और आंवला उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। सबसे कम कच्ची सड़कों की लम्बाई (170 किमी.) ऊना जिलें में हैं।
संस्कृति
- ऊना जिले का अधिकांश क्षेत्र पंजाब से घिरा हुआ है। इसलिए यहां की संस्कृति पंजाब से मिलती-जुलती है। यहां की संस्कृति और परंपरा पंजाबी और पहाड़ी दोनों है। ऊना जिले के अधिकांश लोग हिंदू समुदाय के हैं, और बाकी लोग सिख धर्म के हैं। ऊना जिले में अधिकांश बोली जाने वाली भाषा पंजाबी, हिंदी और पहाड़ी भाषा है। ऊना का होला मोहल्ला मेला बहुत प्रसिद्ध है और फरवरी-मार्च में लगता है। यहां सावन अष्टमी मेला, गुरु नानक जयंती, पीपलू मेला, पीर निगाह मेला, गुग्गा मेला चकसराय, प्रकाश उत्सव और बैसाखी त्योहार मनाया जाता है।
यह भी पढे 👉👉👇👇
- लाहौल स्पीति का इतिहास (History of Lahaul Spiti)
- ऊना का इतिहास (History of Una(Himchal Pradesh)
- कांगड़ा का इतिहास(History of Kangra(Himchal Pradesh)
- चम्बा का इतिहास(History of Chamba (Himchal Pradesh)
- कुल्लू का इतिहास (History of Kullu himchal Pradesh)
- बिलासपुर का इतिहास(History of Bilaspur (Himchal Pradesh)
- शिमला का इतिहास (History of Shimla (Himachal Pradesh)
- किन्नौर का इतिहास(History of Kinnaur(Himachal Pradesh)
- सोलन का इतिहास (History of Solan(Himachal Pradesh )
- हमीरपुर का इतिहास (History of Hamirpur (Himachal Pradesh)
- सिरमौर का इतिहास(History of Sirmaur (Himachal Pradesh)
- मण्डी का इतिहास (History of Mandi(Himchal Pradesh)
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें