मण्डी का इतिहास (History of Mandi(Himchal Pradesh)

मण्डी का इतिहास

  • जिले के रूप में गठन - 15 अप्रैल, 1948 ई.
  • जिला मुख्यालय - मण्डी
  • जनसंख्या घनत्व - 253 (2011 में))
  • साक्षरता - 82.81% (2011 में)
  • कुल क्षेत्रफल - 3950 वर्ग किमी. (07.09%)
  • जनसंख्या - 9,99,518(14.58%)(2011 में)
  • लिंग अनुपात - 1012 (2011 में)
  • दशकीय वृद्धि दर - 10.89% (2011 में)
  • कुल गाँव - 3338 (आबाद गाँव - 2833)
  • ग्राम पंचायतें - 473
  • विकास खण्ड - 10
  • विधानसभा क्षेत्र -10
  • शिशु लिंगानुपात - 912 (2011 में)
  • ग्रामीण जनसंख्या - 9,36,894 (93.74%)(2011 में)

मण्डी का इतिहास 

(1) मण्डी का भूगोल -

  • भौगोलिक स्थिति - मण्डी हिमाचल प्रदेश के मध्य में भाग स्थित जिला है। मण्डी जिले के  पूर्वमेंकुल्लू,पश्चिममेंबिलासपुर और हमीरपुर, उत्तर में काँगड़ा तथा दक्षिण में सोलन और शिमला जिले की सीमाएं लगती हैं।
मण्डी का इतिहास 

2. मण्डी कि पर्वत शृंखलाएं -

मण्डी का इतिहास 
  1. धौलाधार शृंखला -यह शृंखला मण्डी जिले की पूर्वी सीमा पर स्थित है। नागरू (4400 मीटर) मण्डी की सबसे ऊँची चोटी धौलाधार पर्वत शृंखला में स्थित है।
  2. घोघर धार - घोघर धार में गुम्मा और द्रंग की नमक खानें स्थित है।
  3. सिकंदर धार - इस धार का नाम सिकंदर लोदी के नाम पर पड़ा है जिसने काँगड़ा अभियान के दौरान इसे पार किया था।
  4. वेरकोट धार - यह धार रिवालसर से शुरू होकर सुकेत तक जाती है।

मण्डी कि नदियाँ -

मण्डी का इतिहास 
  1. सतलुज - सतलुज नदी फिरनू गाँव से मण्डी में प्रवेश करती है। सतलुज नदी सोलन और शिमला से मण्डी जिले की सीमा बनाती है।
  2. ब्यास नदी - ब्यास नदी लारजी के पास मण्डी में प्रवेश करती है। इस स्थान पर सैंज और तीर्थन नदी ब्यास में मिलती है। ब्यास नदी में उत्तर दिशा में उहल, लूनी और रीना नदी तथा दक्षिण दिशा से जन्जेहली, सुकेती, सोन, भखर और रमोली नदियाँ मिलती हैं। पंडोह बाँध द्वारा ब्यास नदी का पानी दो सुरंगों से सतलुज में मिलाया जाता है।
  • झीलें - रिवालसर, पराशर, कामरुनाग, कुमारवाह, कुन्तभयोग, कालासर, सुखसार।
पण्डोह झील मण्डी की कृत्रिम झील है।
मण्डी का इतिहास 
  • वन्य-जीव अभ्यारण्य - शिकारी देवी, नारगु और बांदली।

(2) मण्डी का इतिहास - 

  • मण्डी जिला सुकेत और मण्डी रियासतों से मिलकर बना है। सुकेत रियासत की स्थापना पहले हुई है। सुकेत रियासत की स्थापना 765 ई. में वीरसेन ने की। मण्डी रियासत की स्थापना सुकेत राजवंश के बाहूसेन ने 1000 ई. में की।
  1. मण्डी रियासत की स्थापना - मण्डी रियासत की स्थापना सुकेत रियासत के राजा साहूसेन के छोटे भाई बाहूसेन ने 1000 ई. में की। बाहूसेन और साहूसेन के बीच अच्छे संबंध नहीं थे जिस कारण बाहूसेन सुकेत रियासत को छोड़कर मंगलोर (कुल्लू) में मण्डी रियासत की नींव रखी। बाहूसेन ने हाट (कुल्लू) में राजधानी स्थापित की।
  2. सुकेत रियासत की स्थापना - सुकेत रियासत की स्थापना 765 ई. में वीरसेन ने की थी।
मण्डी का इतिहास 

(3)  मण्डी का अर्थव्यवस्था - 

1962 ई.में जर्मनी के सहयोग से मण्डी में इण्डो-जर्मन चंगर परियोजना शुरू की गई। HPMCने जरोल में सेब प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की। मण्डी के कमाण्ड और करसोग में जर्सी गायों के प्रजनन के दो केंद्र स्थापित किए गए हैं। मण्डी के नगवाई में भेड़ प्रजनन केंद्र स्थित है।चौंतड़ा में पोल्ट्री फार्म स्थापित किया गया है। बंगरोटू में मुर्गी के चारे बनाने की इकाई स्थापित की स्थापित की गई है। मण्डी के गम्मा और द्रंग में चट्टानी नमक की खानें हैं। हिमाचल प्रदेश में मण्डी की पहली जलविद्युत परियोजना जोगिन्द्रनगर में 1926 ई. में स्थापित हुई जिसका प्रथम चरण 1933 ई. में तैयार हुआ। इसे इंजीनियर कर्नल बी. सी. बैटी ने शुरू करवाया। इसे शानन परियोजना के नाम से जाना जाता है। लार्ड विलिंग्डन ने 1933 ई. में इसका उद्घाटन किया। मण्डी से नेशन हाईवे 20 और 21 गुजरता है। पठानकोट-जोगिन्द्रनगर रेलवे लाइन 1926 ई. में बनकर तैयार हुई।

(4)  मण्डी का मेले - 

  • मण्डी में शिवरात्रि मेला, माहूनाग मेला, छेच्शु मेला (रिवालसर में) मुख्य रूप से मनाया जाता है।

(5) मण्डी का जननांकीय आँकड़े - 

  • मण्डी जिले की जनसंख्या 1901 ई. में 2,28,721 से बढ़कर 1951 ई. में 3,10,626 हो गई। वर्ष 1971 ई. में मण्डी जिले की जनसंख्या 5,15,180 से बढ़कर 2011 में 9,99,518 हो गई। मण्डी जिले का लिंगानुपात 2011 में 1012 दर्ज किया गया। मण्डी जिले का जनघनत्व 2011 में 253 दर्ज किया गया। मण्डी जिले की 2011 में 9,36,894 (93.74%)जनसंख्या ग्रामीण और 62,624 (6.26%) जनसंख्या शहरी थी। मण्डी जिले में 473 ग्राम पंचायतें, 2833 आबाद गाँव, 10 विधानसभा क्षेत्र और विकास खण्ड है।
मण्डी का इतिहास 

(6) मण्डी जिले का स्थान - 

  • मण्डी जिला क्षेत्रफल में 7वें स्थान पर स्थित है। मण्डी जिला जनसंख्या में दूसरा सबसे बड़ा जिला है। दशकीय (2001-2011) जनसंख्या वृद्धि दर में मण्डी नौवें स्थान पर है। मण्डी जिला सड़कों की लम्बाई (4996 किमी.) में तीसरे स्थान पर था। लिंगानुपात में (2011 में) मण्डी जिला तीसरे स्थान पर है जबकि शिशु लिंगानुपात में (2011 में ) में मण्डी जिला सातवें स्थान पर है। साक्षरता दर (2011 में) में मण्डी जिला सातवें स्थान पर है। मण्डी जिले में सर्वाधिक गाय-बैलों की संख्या है। भेड़-बकरियाँ की संख्या के मामले में मण्डी जिला दूसरे स्थान पर है। मण्डी जिले में लघु औद्योगिक इकाइयाँ (2010 तक) काँगड़ा और सोलन के बाद सर्वाधिक मात्रा में स्थापित की गई हैं। मण्डी जिला 2011-12 में लीची उत्पादन में दूसरे, आँवला, किवी, खुमानी, और आडू उत्पादन में तीसरे, अखरोट, संतरा, गलगल, अमरुद और अनार उत्पाद में चौथे स्थान पर था। मण्डी जिले में काँगड़ा के बाद सबस अधिक आबाद आबाद गाँव हैं जबकि 505 गैर-आबाद गाँव के साथ मण्डी जिला प्रथम स्थान पर है।

 मण्डी जिला -

  • भूतनाथ मंदिर मण्डी शहर में स्थित है। इसका निर्माण 1526 ई. में राजा अजबर सेन ने करवाया था। यह मंदिर अर्धनारीश्वर को समर्पित है।

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  2. भूतनाथ मंदिर मंडी (Bhootnath Mandir Mandi) 

  • श्यामाकाली मंदिर मण्डी में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण राजा श्यामसेन ने करवाया था।

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  • पराशर मंदिर मण्डी में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1346 ई. में राजा बाणसेन ने करवाया था।

  1. रहस्यों से भरपूर ऋषि पराशर मंदिर (Rishi Parashar Temple full of mysteries)
  2. रहस्यों से भरपूर ऋषि पराशर मंदिर (Rishi Parashar Temple full of mysteries)

  • मगरू महादेव मंदिर मण्डी शहर में स्थित है।

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  • बटुक भैरव मंदिर (मण्डी), शम्भू महादेव मंदिर (पड्डल), सिद्ध भद्रा मंदिर (पड्डल), सिद्ध काली मंदिर (सैरी), सिद्ध गणपति मंदिर (सूराकोठी) और सिद्ध जालपा मंदिर का निर्माण राजा सिद्ध सेन ने करवाया था।

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  • माधोराव मंदिर (मण्डी) का निर्माण राजा सूरजसेन ने करवाया था।

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