सावन की तीज की कहानी (Story of Sawan Ki Teej)

सावन की तीज की कहानी मुख्य रूप से देवी पार्वती और भगवान शिव के प्रेम और विवाह पर आधारित है। यह कथा हमें समर्पण, आस्था और प्रेम की शक्ति को दर्शाती है। सावन की तीज के पीछे की कहानी को समझने से इस त्योहार के महत्व को और भी गहराई से समझा जा सकता है। आइए, जानते हैं इस पावन पर्व के पीछे की कहानी:

सावन की तीज की पौराणिक कथा

बहुत समय पहले की बात है, हिमालय पर्वत के राजा हिमवान और रानी मैनावती की पुत्री पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने का संकल्प लिया। देवी पार्वती भगवान शिव की आराधना में लीन हो गईं और उन्हें अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या करने लगीं। उनका प्रेम और तपस्या इतना प्रबल था कि उन्होंने कई वर्षों तक भोजन और जल का त्याग कर दिया।

देवी पार्वती के इस कठोर तप को देखकर उनके माता-पिता चिंतित हो गए और उन्होंने पार्वती से आग्रह किया कि वे अपना तपस्या त्याग दें। लेकिन पार्वती अपने निर्णय पर अडिग रहीं और तप करती रहीं। उनकी तपस्या की गूंज स्वर्ग तक पहुंची, और अंततः भगवान शिव उनकी भक्ति और समर्पण से प्रसन्न हो गए।

पार्वती की तपस्या का परिणाम

देवी पार्वती ने अपने पहले जन्म में भी भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था। परंतु, उस जन्म में भगवान शिव से विवाह के लिए उनके प्रयास विफल हो गए थे। इसलिए, इस जन्म में उन्होंने और भी कठोर तप करने का निश्चय किया।

अपने दूसरे जन्म में, पार्वती ने 108 बार जन्म लिया और हर बार भगवान शिव को पति के रूप में पाने की कामना की। इस प्रकार के कई जन्मों के बाद, देवी पार्वती ने अपनी 108वीं और अंतिम जन्म में हिमालय के पर्वत पर तपस्या की। इस बार उनकी तपस्या अत्यंत कठिन और अडिग थी।

उन्होंने बर्फीले पर्वतों में वर्षों तक ध्यान किया और कई कठिनाईयों का सामना किया। उन्होंने धूप, वर्षा और ठंड को सहन किया और भगवान शिव की आराधना में निमग्न रहीं। देवी पार्वती की तपस्या की कठोरता और दृढ़ संकल्प को देखकर सारे देवता उनके प्रति नतमस्तक हो गए।

भगवान शिव का आगमन

देवी पार्वती की तपस्या को देखकर भगवान शिव को उनके समर्पण और प्रेम की सच्चाई का एहसास हुआ। भगवान शिव ने पार्वती की तपस्या को सफल माना और उन्हें दर्शन दिए।

भगवान शिव ने पार्वती से कहा, "हे देवी, तुम्हारी भक्ति और तप ने मुझे प्रसन्न किया है। तुम्हारी भक्ति में इतनी शक्ति है कि मैं तुम्हें अपने हृदय से स्वीकार करता हूँ।"

इसके पश्चात, भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ। यह विवाह एक दिव्य घटना थी जिसे सभी देवताओं और ऋषियों ने देखा और इसे बहुत शुभ माना। इस प्रकार, पार्वती ने अपने संकल्प को पूर्ण किया और भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त किया।

सावन की तीज का महत्व

इस पौराणिक कथा के आधार पर, सावन की तीज का पर्व महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन महिलाएं देवी पार्वती की भक्ति और भगवान शिव की आराधना करती हैं ताकि उनके वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहे। वे अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और देवी पार्वती की तरह ही अपने परिवार के लिए समर्पण का प्रतीक बनती हैं।

विवाहित महिलाओं के लिए:

विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। वे अपनी सौभाग्यवती स्त्री होने का प्रतीक मानकर देवी पार्वती की पूजा करती हैं और अपनी वैवाहिक जीवन की समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं।

कुंवारी लड़कियों के लिए:

कुंवारी लड़कियाँ भी इस दिन व्रत रखती हैं ताकि उन्हें मनोवांछित वर की प्राप्ति हो। वे देवी पार्वती की तरह समर्पण और भक्ति के साथ अपने भविष्य के पति के लिए प्रार्थना करती हैं।

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तीज व्रत की विधि

सावन की तीज के दिन महिलाएं विशेष पूजा-अर्चना करती हैं। इस दिन की पूजा की विधि इस प्रकार है:

  1. प्रातःकाल स्नान:

    • सबसे पहले महिलाएं प्रातःकाल स्नान करती हैं और स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं।
    • इसके बाद वे भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्ति या तस्वीर को साफ स्थान पर स्थापित करती हैं।
  2. व्रत का संकल्प:

    • पूजा के प्रारंभ में महिलाएं व्रत का संकल्प लेती हैं और यह प्रण करती हैं कि वे पूरे दिन निर्जला रहेंगी।
  3. पूजा सामग्री:

    • पूजा के लिए धूप, दीप, चंदन, फूल, बेलपत्र, धतूरा, मेहंदी, चुनरी, नारियल, मिठाई, और अन्य पूजा सामग्री तैयार करती हैं।
  4. शिवलिंग पर जलाभिषेक:

    • भगवान शिव के शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करती हैं।
  5. पार्वती माता की पूजा:

    • देवी पार्वती की मूर्ति को फूलों और आभूषणों से सजाती हैं और उन्हें श्रृंगार की सामग्री अर्पित करती हैं।
  6. भोग:

    • भगवान शिव और देवी पार्वती को भोग अर्पित किया जाता है जिसमें मिठाई और फल शामिल होते हैं।
  7. तीज कथा का वाचन:

    • पूजा के दौरान तीज की पौराणिक कथा का वाचन किया जाता है जो इस पर्व के महत्व को दर्शाता है।
  8. आरती और भजन:

    • अंत में भगवान शिव और देवी पार्वती की आरती की जाती है और भजन गाए जाते हैं।

तीज के गीत और नृत्य

सावन की तीज पर महिलाएं समूह में गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं। ये गीत पारंपरिक होते हैं और इनमें सावन की मस्ती, प्रेम और उल्लास का वर्णन होता है। महिलाएं एक-दूसरे के साथ मिलकर झूला झूलती हैं और अपने पारंपरिक परिधानों में सजी-धजी होती हैं।

सावन की तीज का सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू

सावन की तीज केवल धार्मिक पर्व ही नहीं है, बल्कि इसका सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। इस पर्व के माध्यम से महिलाएं एक-दूसरे के साथ अपने संबंधों को मजबूत करती हैं। यह दिन महिलाओं को अपनी संस्कृति और परंपराओं को समझने और उन्हें आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।

सावन की तीज के अवसर पर महिलाएं अपने माता-पिता के घर जाती हैं और अपनी बचपन की सहेलियों के साथ समय बिताती हैं। इस दिन का सामाजिक पहलू यह है कि महिलाएं अपनी खुशियों और दुखों को साझा करती हैं और अपने परिवार के प्रति अपने कर्तव्यों को और अधिक मजबूती से निभाने का संकल्प लेती हैं।

सावन की तीज का आध्यात्मिक पहलू

सावन की तीज का आध्यात्मिक पहलू यह है कि यह पर्व भगवान शिव और देवी पार्वती की भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। यह पर्व यह संदेश देता है कि भक्ति और समर्पण से किसी भी मनोकामना की पूर्ति हो सकती है। इस दिन का आध्यात्मिक महत्व यह भी है कि यह पर्व आत्म-शुद्धि और आत्म-निरीक्षण का अवसर प्रदान करता है।

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सावन की तीज पर सावधानियाँ

सावन की तीज के व्रत के दौरान कुछ सावधानियाँ भी रखनी चाहिए:

  • स्वास्थ्य का ध्यान: व्रत के दौरान स्वास्थ्य का ध्यान रखें। यदि स्वास्थ्य अनुमति नहीं देता, तो व्रत को बिना जल के न रखें।

  • व्रत का पालन: व्रत का पालन पूरे समर्पण और श्रद्धा से करें। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरतें।

  • सामाजिक दूरी: पूजा के दौरान सामाजिक दूरी का पालन करें और भीड़-भाड़ से बचें।

  • स्वच्छता का ध्यान: पूजा स्थल को स्वच्छ रखें और पर्यावरण की रक्षा करें।

निष्कर्ष

सावन की तीज एक पवित्र पर्व है जो भक्ति, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। यह पर्व महिलाओं को अपने वैवाहिक जीवन को और भी सुखमय और समृद्ध बनाने का अवसर प्रदान करता है। सावन की तीज की कथा हमें यह सिखाती है कि धैर्य, तप और समर्पण से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

इस पर्व के अवसर पर हम सभी को चाहिए कि हम अपनी परंपराओं और संस्कृति का सम्मान करें और अपने जीवन को प्रेम और समर्पण से भरपूर बनाएं।

आप सभी को सावन की तीज की हार्दिक शुभकामनाएँ! 🌿🌺

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