घिंगारू: कुमाऊं की जैव विविधता और औषधीय गुणों से भरपूर जंगली फल - ghingaru: kumaun ki jaiv vividhata aur aushadhiy gunon se bharpur jangali phal

उत्तराखंड का चमत्कारी फल: घिंगारू

उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में एक खास फल पाया जाता है, जिसे कुमाऊंनी में घिंगारु, गढ़वाली में घिंघरु और नेपाली में घंगारु के नाम से जाना जाता है। छोटे-छोटे लाल सेब जैसे दिखने वाले ये फल हिमालयन रेड बेरी, फायर थोर्न एप्पल या व्हाइट थोर्न के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। इसका वानस्पतिक नाम Pyracantha crenulata है और यह पौधा उत्तराखंड की जलवायु के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है।

घिंगारू के औषधीय गुण

घिंगारू केवल देखने में सुंदर नहीं बल्कि इसके स्वास्थ्य लाभ भी अत्यधिक हैं:

  • फल: घिंगारू के फलों को सुखाकर चूर्ण बनाया जाता है, जिसे दही के साथ मिलाकर खूनी दस्त का इलाज किया जाता है। इन फलों में पर्याप्त मात्रा में शुगर पाई जाती है, जो शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करती है।
  • पत्तियां और टहनियां: घिंगारू की टहनियों का उपयोग दातून के रूप में किया जाता है, जिससे दांत दर्द से राहत मिलती है। इसके पत्तियों का उपयोग हर्बल चाय बनाने में भी होता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
  • प्रोटीन: घिंगारू में प्रोटीन की अच्छी खासी मात्रा पाई जाती है, जो इसे पोषण के लिए महत्वपूर्ण बनाती है।

पारंपरिक उपयोग और सांस्कृतिक महत्व

उत्तराखंड के ग्रामीण और स्कूली बच्चे इसे बड़े चाव से खाते हैं। इसके फलों को केवल खाद्य पदार्थ के रूप में नहीं, बल्कि औषधि के रूप में भी उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, घिंगारू का पौधा स्थानीय संस्कृति और पारंपरिक चिकित्सा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

समाप्ति

घिंगारू का पौधा वास्तव में एक चमत्कारी फल है जो न केवल पहाड़ी जीवन का एक हिस्सा है, बल्कि स्वास्थ्य लाभ के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह फल और उसका उपयोग स्थानीय लोगों के जीवन का अभिन्न हिस्सा है, जो हमें प्रकृति के अद्भुत उपहारों की याद दिलाता है।


क्या 

कुमाऊंनी भाषा में एक पुरानी कहावत है, "जो चीज निमखुड़ हिं उहू अमोमन कई जां कि यो तो आड़ू-बेडू-घिंगारू जा' छू।" इसका अर्थ है कि कुछ चीजें इतनी सामान्य होती हैं कि वे हर जगह मिल जाती हैं, जैसे आड़ू, बेड़ू और घिंगारू। इन फलों में से घिंगारू, हालांकि बहुतों को ज्ञात नहीं है, परंतु इसकी अपनी विशेषताएँ और लाभ हैं। यह जंगली फल पर्वतीय क्षेत्रों की जैव विविधता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसके औषधीय गुण भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

घिंगारू का परिचय:

घिंगारू एक जंगली फल है जो कुमाऊं और अन्य पर्वतीय क्षेत्रों में स्वाभाविक रूप से उगता है। यह एक प्रकार का झाड़ीदार पौधा है, जो आमतौर पर गाड़ियों और खेतों की बाउंड्री पर उगाया जाता है। इसके फल का आकार छोटा होता है, और इसका स्वाद हल्का खट्टा-मीठा होता है। घिंगारू का उपयोग औषधीय रूप से भी किया जाता है, और यह कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।

घिंगारू के औषधीय गुण:

घिंगारू के फल में कई औषधीय गुण होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं। इसके कुछ प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं:

  1. रक्तचाप और हाईपरटेंशन:

    • घिंगारू के फल रक्तचाप और हाईपरटेंशन की समस्याओं को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं।
  2. ऊर्जा प्रदान करना:

    • घिंगारू में प्राकृतिक शर्करा होती है जो तुरंत ऊर्जा प्रदान करती है और शरीर को ताजगी देती है।
  3. खूनी दस्तक का उपचार:

    • सूखे और पिसे हुए घिंगारू का उपयोग खूनी दस्तक के उपचार में किया जाता है।
  4. दांतों की देखभाल:

    • घिंगारू की शाखाओं का उपयोग नीम और बबूल के दातून के रूप में किया जाता है, जो दांतों के दर्द में राहत प्रदान करते हैं।
  5. हर्बल चाय:

    • घिंगारू की पत्तियों से पहाड़ी हर्बल चाय बनाई जा सकती है, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है।

घिंगारू का उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में:

कुमाऊं में, घिंगारू की मजबूत लकड़ी का उपयोग विभिन्न प्रकार के घरेलू वस्त्र बनाने में किया जाता है। यह लकड़ी टिकाऊ और मजबूत होती है, और इसके बिना किसी लागत के निर्माण की सुविधा प्रदान करती है। घिंगारू की लकड़ी को दस जाठिन में से आठ जाठिन में उपयोग किया जाता है, जिससे यह एक महत्वपूर्ण संसाधन बन जाता है।

समापन:

घिंगारू, एक साधारण जंगली फल होने के बावजूद, पर्वतीय क्षेत्रों की जैव विविधता और औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके स्वास्थ्य लाभ और उपयोग के विभिन्न तरीके इसे एक महत्वपूर्ण पारंपरिक संसाधन बनाते हैं। इसे पहचानकर और इसके गुणों को जानकर हम इसे अपनी जीवनशैली में शामिल कर सकते हैं और इसके लाभ उठा सकते हैं।

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