Lingud ke Poshan aur Aushdhiya Gun (लिंगुड़ के पोषण और औषधीय गुण)
लिंगुड़: एक पोषक और औषधीय जंगली साग
भारत एक ऐसा देश है जिसे प्रकृति ने न केवल अपनी खूबसूरती से नवाजा है, बल्कि जड़ी-बूटियों का एक अनमोल खजाना भी प्रदान किया है। ऐसे ही खजाने का हिस्सा है लिंगुड़, जिसे अंग्रेजी में "Fiddlehead Fern" कहा जाता है। बरसात के मौसम में उगने वाली यह सब्जी न केवल पोषण से भरपूर है बल्कि एक आयुर्वेदिक औषधि के रूप में भी जानी जाती है।
लिंगुड़ के विभिन्न नाम और स्थान
लिंगुड़ को भारत के विभिन्न पहाड़ी क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे:
- खसरोड: हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में।
- लिंगड: उत्तराखंड और जम्मू में।
- कसरोड: शिमला और किन्नौर में।
यह सब्जी मुख्य रूप से चंबा, कुल्लू, शिमला, किन्नौर, जम्मू और उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में बरसात के मौसम में प्राकृतिक रूप से उगती है। इसके अलावा, ठंडी जलवायु वाले क्षेत्र जैसे चीन, रूस और अमेरिका में भी लुंगड़ू पाया जाता है।
लिंगुड़ के उपयोग
लिंगुड़ को विभिन्न प्रकार से उपयोग किया जा सकता है:
- सब्जी: इसे ताजा सब्जी के रूप में पकाकर खाया जा सकता है।
- अचार: लिंगुड़ का अचार भी बहुत लोकप्रिय है।
- सलाद: इसे सलाद के रूप में या अन्य सब्जियों के साथ मिलाकर भी खाया जा सकता है।
लिंगुड़ के औषधीय गुण
लिंगुड़ में कई पोषक तत्व होते हैं जो इसे औषधीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण बनाते हैं:
- विटामिन्स और मिनरल्स: लिंगुड़ में विटामिन ए, विटामिन बी कांप्लेक्स, पोटाशियम, कॉपर, आयरन, सोडियम, फास्फोरस, मैगनीशियम, कैरोटिन, और अन्य मिनरल्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
- स्वास्थ्य लाभ: यह शुगर और हार्ट के मरीजों के लिए रामबाण है क्योंकि इसमें फैट्स और कोलेस्ट्रॉल नहीं होता। साथ ही, यह आंखों की रोशनी बढ़ाने और पेट के रोगों के उपचार में भी सहायक है।
प्राकृतिक उत्पादन
लिंगुड़ पूरी तरह से प्राकृतिक है और इसे उगाने के लिए किसी प्रकार के बीज का उपयोग नहीं किया जाता। यह स्वयं ही पानी वाले क्षेत्रों में उग आता है और इसकी कोई खेती नहीं की जाती। इसके बावजूद, यह प्राकृतिक रूप से बहुत अधिक मात्रा में उगता है।
आमदनी का स्रोत
लिंगुड़ पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं के लिए आय का एक अच्छा स्रोत भी है। इसे छोटे-छोटे बंडल बनाकर 10 से 20 रुपये प्रति किलो बेचा जाता है। कुछ जगहों पर इसका अचार बनाकर भी बेचा जाता है, जो बाजार में काफी लोकप्रिय है।
लिंगुड़, जिसे लुंगडू या लिंगड़ी के नाम से भी जाना जाता है, उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से उगने वाली एक जंगली साग है। यह साग विशेष रूप से गाड़-गध्यारों के किनारों पर और नम स्थानों में पाई जाती है। लिंगुड़ अपने पौष्टिक और औषधीय गुणों के कारण पहाड़ों में बहुत प्रसिद्ध है और इसे रुणी (बरसात) के मौसम में लोग बड़े चाव से खाते हैं। अब यह साग बाजारों में भी मिलने लगा है, जिससे इसकी उपलब्धता सालभर हो गई है।
लिंगुड़ के पोषण और औषधीय गुण:
पोषक तत्वों से भरपूर:
- विटामिन: लिंगुड़ में विटामिन ए और विटामिन बी कांप्लेक्स की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो आंखों की रोशनी और त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं।
- खनिज तत्व: इसमें पोटाशियम, कॉपर, आयरन, सोडियम, फास्फोरस, मैगनीशियम, और अन्य मिनरल्स प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो शरीर को मजबूत और स्वस्थ बनाने में मदद करते हैं।
- फैटी एसिड: इसमें फैटी एसिड होते हैं, जो दिल की सेहत के लिए अच्छे होते हैं।
औषधीय गुण:
- पाचन तंत्र: लिंगुड़ का सेवन पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है और पेट संबंधी विकारों में राहत दिलाता है।
- प्रतिरोधक क्षमता: इसमें मौजूद विटामिन और खनिज तत्व शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, जिससे बीमारियों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है।
- हड्डियों की सेहत: इसमें कैल्शियम और फास्फोरस की मात्रा हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करती है।
उपयोग और पारंपरिक तरीके:
लिंगुड़ का उपयोग कई पारंपरिक व्यंजनों में किया जाता है। इसे सादे भुने हुए, सब्जी, अचार, और सूप के रूप में भी खाया जाता है। इसकी हरी कच्ची डंठल को छोटे टुकड़ों में काटकर मसालों के साथ पकाया जाता है, जो स्वाद में बहुत ही लजीज होती है।
संरक्षण और खेती:
हालांकि लिंगुड़ प्राकृतिक रूप से उगती है, लेकिन इसकी मांग के कारण इसे अब कृषि क्षेत्रों में भी उगाया जाने लगा है। इसके पौधे की खेती पारंपरिक और जैविक तरीकों से की जाती है ताकि इसके पोषक और औषधीय गुण बरकरार रहें।
लिंगुड़, उत्तराखंड के पारंपरिक खानपान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसके पोषण और औषधीय गुण इसे एक आदर्श जंगली साग बनाते हैं। इस साग का उपयोग न केवल स्थानीय व्यंजनों में होता है बल्कि अब यह स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों के बीच भी लोकप्रिय हो रहा है।
निष्कर्ष
लिंगुड़, न केवल एक पौष्टिक और स्वादिष्ट सब्जी है, बल्कि औषधीय गुणों से भरपूर भी है। यह प्रकृति की अनमोल देन है, जो हमें स्वस्थ और पोषक आहार प्रदान करती है। पहाड़ों में रहने वाले लोग इसका भरपूर आनंद लेते हैं, और अब यह धीरे-धीरे अन्य क्षेत्रों में भी लोकप्रिय हो रही है।
ध्यान दें: लिंगुड़ का सेवन करते समय यह सुनिश्चित करें कि इसे ठीक से पकाया गया हो, क्योंकि कुछ प्रकार की फर्न्स में कच्ची अवस्था में विषाक्त पदार्थ हो सकते हैं।
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