मुझमें से मेरा गांव नहीं जाता - एक कविता का गहन विश्लेषण - I don't go to my village - a deep analysis of a poem -

गांव की यादों में बसे शहरी जीवन के अनुभव: एक कविता का अर्थ और महत्व


कविता:

मुझमें से मेरा गांव नहीं जाता


ऐसा नहीं कि मुझको शहर नहीं भाता
खुश हूँ, मुझमें से मेरा गांव नहीं जाता।**

छोले, राजमा, अरहर बनती है अक्सर
चड़कवानी वाला वो स्वाद नहीं आता
खुश हूँ, मुझमें से मेरा गांव नहीं जाता।।

चौड़ी सड़कों पर गाड़ियां भागे सरपट
नीला वो आसमा नजर नहीं आता
खुश हूँ, मुझमें से मेरा गांव नहीं जाता।

डीजे की धूम खूब रहती है शादी में
मस्त रतैली वाला वो मजा नहीं आता
खुश हूँ, मुझमें से मेरा गांव नहीं जाता।।

सुख सुविधा के सब साधन निराले हैं
सुकून वाला वो अहसास नहीं आता
खुश हूँ, मुझमें से मेरा गांव नहीं जाता।।

अड़ोस पड़ोस की वैसे तादात बहुत है
"राजू" बेमतलब कोई मिलने नहीं आता
खुश हूँ, मुझमें से मेरा गांव नहीं जाता।।


अर्थ और विश्लेषण:

यह कविता शहरी जीवन में रहते हुए भी अपने गांव से जुड़ी हुई भावनाओं को प्रकट करती है। कवि बताता है कि शहर की सारी आधुनिकता, सुख-सुविधाएं और चमक-दमक के बावजूद भी गांव की यादें, वहां के अनुभव और लोगों से जुड़ाव कभी खत्म नहीं होते।

  • शहर का आकर्षण और गांव की यादें:
    कविता की पहली पंक्ति में कवि कहता है कि उसे शहर भी पसंद है, लेकिन उसके अंदर से गांव की यादें नहीं जाती। यह शहर और गांव के बीच के अंतर को दर्शाता है, जहां शहर की भव्यता और आधुनिकता के बावजूद, गांव की सादगी और सरलता हमेशा दिल में बसी रहती है।

  • खान-पान की तुलना:
    शहर में तरह-तरह के व्यंजन बनते हैं, लेकिन चड़कवानी (गांव के पारंपरिक व्यंजन) का स्वाद और सादगी शहरी भोजन में नहीं मिलती। यह कविता के दूसरे भाग में उजागर होता है, जहां कवि की भावनाएं भोजन के माध्यम से जुड़ी होती हैं।

  • प्राकृतिक सौंदर्य की बात:
    शहर में चौड़ी सड़कों पर गाड़ियां तेज़ी से भागती हैं, लेकिन गांव का नीला आसमान और प्रकृति की सुंदरता शहर में कहीं खो जाती है। कवि यहां प्राकृतिक सौंदर्य की महत्ता को दर्शाता है।

  • शादी-ब्याह के रीति-रिवाज:
    आधुनिक शादी में डीजे का शोर और भव्यता तो है, लेकिन गांव की मस्ती और रतैली (गांव की पारंपरिक शादी की धूम) का मजा नहीं आता। कवि यहां परंपराओं की मिठास और आनंद को महत्व देता है।

  • सुकून और जीवन का अनुभव:
    शहर में भले ही सभी सुख-सुविधाएं उपलब्ध हों, लेकिन वह सुकून और आत्मीयता नहीं है जो गांव में मिलती है। यह कवि की अपनी भावनाओं का प्रकटीकरण है, जो गांव के प्रति उसकी अटूट प्रेम को दर्शाता है।

  • पड़ोसियों से जुड़ाव:
    शहर में भले ही लोग अधिक हों, लेकिन वो आत्मीयता और बेमतलब की मुलाकातें जो गांव में होती थीं, अब नहीं होती। यह पंक्ति सामाजिक जीवन के बदलते स्वरूप को उजागर करती है।


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