उत्तराखंड के गांवों की वीरानी पर एक कविता - A poem on the desolation of the villages of Uttarakhand

उत्तराखंड के गांवों की वीरानी पर एक कविता


कविता:

गौं वीरान यां

पिण्या पानी नल ना भै, शराबे दुकान यां
रोजगारे थें परेशान छ, पहाड़ो जवान यां
चहल पहल खूब जिन, गौं घरो में जोर छि
पाखा छिटकी मोल टूटी, बंजर मकान यां

भाबर भासी जंगल, ढुङ्गा बजरी भंडार छ
चोरी चोरी चिरान हैरो, बजरी खदान यां
डबाडब भरिया गंगा गाड़, भाबर पूजि रै
बिन पानी का सुखि गया, हरि सैरान यां

स्कूल अस्पताल बिना, कसौ विकास यो
मूलभूत सुविधा बिना, भया गौं वीरान यां
नयो राज्य भै सोचो, विकासे बहार आली
उम्मीद "राजू" धरि रैगे, बिकामा पधान यां

~राजू पाण्डेय


अर्थ और विश्लेषण:

"गौं वीरान यां" कविता उत्तराखंड के गांवों की विरानगी और समस्याओं को उजागर करती है।

1. बुनियादी सुविधाओं की कमी:

  • कविता में पानी, नल, और स्कूल अस्पताल जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी का उल्लेख है। इन आवश्यक सेवाओं की अनुपस्थिति से गांव वीरान हो गए हैं और लोगों को रोजगारी की समस्याएं झेलनी पड़ रही हैं।

2. गांवों की स्थिति:

  • गांवों में चहल-पहल और सक्रियता के बावजूद, मकानों की बुरी स्थिति, छतों का धंसना और दरवाजों का टूटना जैसे संकेत दिए गए हैं। इससे गांवों की शारीरिक और सामाजिक स्थिति की गिरावट को दर्शाया गया है।

3. प्राकृतिक संसाधनों का शोषण:

  • जंगलों और बजरी खदानों के शोषण की समस्या को उठाया गया है। चोरी-छिपे खनन और प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक उपयोग ने गांवों की स्थिति को और भी बिगाड़ दिया है।

4. विकास की कमी:

  • नये राज्य बनने के बाद विकास की उम्मीदें थीं, लेकिन वास्तविकता में स्थिति जस की तस है। बुनियादी सुविधाओं की कमी और विकास की धारा में कमी से गांवों की स्थिति निराशाजनक बनी हुई है।

5. उम्मीद और भविष्य:

  • कविता का अंत उम्मीद और आशा के साथ किया गया है। "राजू" की उम्मीदों के साथ भविष्य में विकास की उम्मीद जताई गई है, जिससे ग्रामीण जीवन में सुधार की संभावना बनी रहे।

Keywords:

  • बुनियादी सुविधाएं
  • गांव की स्थिति
  • प्राकृतिक संसाधनों का शोषण
  • विकास की कमी
  • भविष्य की उम्मीद

"गौं वीरान यां" कविता उत्तराखंड के गांवों की समस्याओं और विकास की कमी को सटीक रूप से दर्शाती है और भविष्य में सुधार की आशा को उजागर करती है। यह कविता एक सामाजिक संदेश देती है कि विकास की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है

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