सर्दियों में भट्ट की दाल के अलग-अलग जायके
सर्दियों के मौसम में ऐसा भोजन जो तन में गर्माहट लाए और मन को संतुष्टि दे, उसकी अपनी ही बात है। उत्तराखंड के पहाड़ों में ऐसा ही एक पारंपरिक खाद्य पदार्थ है भट्ट की दाल। इससे बनने वाले विभिन्न व्यंजन जैसे भट्वाणी (चुड़कानी), डुबका, भटुला, और जौला सर्दियों में न केवल लाजवाब स्वाद का अनुभव देते हैं, बल्कि पोषण से भी भरपूर होते हैं। इनमें से भट्ट का जौला तो पीलिया के इलाज में भी प्रभावी माना जाता है। आइए, सर्दियों में भट्ट की दाल से बने इन स्वादिष्ट व्यंजनों के बारे में जानते हैं।
भट्ट की दाल
भट्वाणी (चुड़कानी)
भट्वाणी या चुड़कानी गढ़वाल में शीतकाल के दौरान बहुत पसंद किया जाता है। इसे बनाने के लिए सबसे पहले भट्ट की दाल को हल्की राख डालकर बिना तेल के भूनें। इससे भट्ट अच्छी तरह चटक जाते हैं और बर्तन में चिपकते नहीं। अब लोहे की कढ़ाई में घी-तेल डालकर प्याज, लहसुन, जख्या और जम्बू का तड़का दें। इसके बाद चेरी टमाटर, नमक, मिर्च और मसाले मिलाएं। भुने भट्ट डालकर मिश्रण को पकाएं और ढक्कन ढककर कुछ देर पकने दें। इसे भात या झंगोरा के साथ गर्मागर्म परोसा जाता है। भट्वाणी हर मौसम में खाया जा सकता है, लेकिन सर्दियों में इसका आनंद ही कुछ और है।
भट्ट का डुबका (विधि एक)
डुबका तैयार करने के लिए भट्ट की दाल को रातभर भिगोकर रखें। सुबह इसे दरदरा पीस लें। फिर कढ़ाई में घी या सरसों का तेल डालकर उसमें लहसुन, प्याज, जख्या, गंदरैण और जम्बू का तड़का लगाएं। फिर मसाले और टमाटर डालकर ग्रेवी बना लें। इस ग्रेवी में भट्ट की दाल का मसीटा मिलाएं और पकाएं। करछी चलाते रहें ताकि डुबका तले में चिपके नहीं। जैसे ही इसका रंग काला होने लगे और महक फैलने लगे, आपका स्वादिष्ट डुबका तैयार है।
भट्ट का डुबका (विधि दो)
भट्ट की दाल को चक्की में पीसकर मोटा पाउडर बना लें। फिर इसे घी में हलके से भूनें। इसके बाद नमक, मिर्च, धनिया और जीरा मिलाएं। आटे में पानी डालें और अच्छी तरह पकने दें। ध्यान रखें कि कढ़ाई के तले में डुबका चिपके नहीं। जब कढ़ाई के ऊपरी हिस्से में पपड़ी बनने लगे, तो समझें कि आपका डुबका तैयार है। सर्दियों में यह व्यंजन ठंड को भगाने का बेहतरीन उपाय है।
भटुला
भटुला और डुबका काफी मिलते-जुलते हैं, पर इसे बनाने का तरीका थोड़ा अलग है। भट्ट के आटे को पानी में घोलकर रखें। फिर कढ़ाई में घी डालकर उसमें प्याज, लहसुन और जख्या का तड़का लगाएं। मसाले मिलाएं और फिर आटे के घोल को तड़के में डालें। इसे तब तक पकाएं जब तक यह पककर गाढ़ा न हो जाए। 15-20 मिनट में भटुला तैयार हो जाता है।
भट्ट का जौला
यह खास व्यंजन भट्ट और चावल के मिश्रण से बनता है। इसके लिए रातभर भट्ट की दाल भिगोकर रखें। सुबह इसे पीसकर मसीटा तैयार करें। फिर इस मसीटे को चावल के साथ लोहे की कढ़ाई में पकाएं। जब यह लसपसा हो जाए, तो इसे लहसुन वाले हरे नमक के साथ परोसें। यह व्यंजन पीलिया के रोगियों के लिए भी लाभकारी माना जाता है और पहाड़ों में इसे संपूर्ण भोजन के रूप में खाया जाता है।
भट्ट के व्यंजन और उनके स्वास्थ्य लाभ
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में भट्ट की दाल से बने विभिन्न व्यंजन न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि उनके स्वास्थ्य लाभ भी अनेक हैं। भट्ट की दाल के व्यंजन ठंडे मौसम में खासतौर पर सर्दियों में लोकप्रिय होते हैं। यहाँ भट्ट के प्रमुख व्यंजन और उनके स्वास्थ्य लाभ के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है:
1. भट्वाणी (चुड़कानी)
स्वास्थ्य लाभ:
- पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद: भट्वाणी में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है। यह कब्ज़ और आंतों की समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
- वजन नियंत्रण: इसमें प्रोटीन और फाइबर की मात्रा अधिक होने के कारण यह पेट को भरा हुआ महसूस कराता है, जिससे ओवरईटिंग से बचाव होता है और वजन नियंत्रण में रहता है।
- दिल के स्वास्थ्य के लिए: इसमें इस्तेमाल होने वाले ताजे मसाले और घी दिल के लिए फायदेमंद होते हैं। यह रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।
2. भट्ट का डुबका
स्वास्थ्य लाभ:
- रक्तचाप नियंत्रित करना: भट्ट की दाल में पोटेशियम और मैग्नीशियम होते हैं, जो रक्तचाप को नियंत्रित करते हैं।
- प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करना: डुबका में लहसुन और मसालों के मिश्रण से शरीर में प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है, जिससे मौसमी बिमारीयों से बचाव होता है।
- पाचन में सुधार: यह डिश फाइबर और पोषक तत्वों से भरपूर होती है, जो पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में मदद करती है।
3. भटुला
स्वास्थ्य लाभ:
- हड्डियों के लिए फायदेमंद: भटुला में कैल्शियम और आयरन की अच्छी मात्रा होती है, जो हड्डियों को मजबूत बनाती है और अस्थि रोगों को रोकने में मदद करती है।
- सर्दी और जुकाम में राहत: भटुला में ताजे मसाले और लहसुन होते हैं, जो सर्दी-जुकाम और मौसमी बिमारियों में राहत देने में सहायक होते हैं।
4. भट्ट का जौला
स्वास्थ्य लाभ:
- पीलिया के लिए फायदेमंद: यह व्यंजन पीलिया के इलाज में सहायक माना जाता है। इसमें मौजूद तत्व लिवर को साफ करने और पीलिया से राहत दिलाने में मदद करते हैं।
- ऊर्जा प्रदान करता है: भट्ट और चावल का मिश्रण शरीर को भरपूर ऊर्जा देता है, जिससे व्यक्ति दिनभर सक्रिय और ऊर्जावान महसूस करता है।
- पाचन तंत्र के लिए अच्छा: यह व्यंजन फाइबर से भरपूर होता है, जो पाचन क्रिया को सुधारता है और कब्ज जैसी समस्याओं से बचाता है।
5. भट्ट का डुबका (विधि दो)
स्वास्थ्य लाभ:
- मधुमेह में लाभकारी: भट्ट की दाल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में सहायक है। यह मधुमेह के रोगियों के लिए एक आदर्श भोजन है।
- उच्च प्रोटीन स्रोत: इस व्यंजन में प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है, जो शरीर की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
निष्कर्ष
भट्ट की दाल से बने ये व्यंजन सर्दियों में न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि ये स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद होते हैं। इन व्यंजनों में प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर को ठंड से बचाने, हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और पाचन तंत्र को मजबूत करने में मदद करते हैं। इन स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक भट्ट के व्यंजनों को सर्दियों में जरूर ट्राय करें और उनके लाभों का अनुभव करें। उत्तराखंड में सर्दियों में भट्ट की दाल से बने व्यंजन न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि ठंड से राहत दिलाने और स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी सहायक होते हैं। इनमें मसालों और जड़ी-बूटियों का तड़का डालकर इन्हें और भी विशेष बनाया जाता है। सर्दियों में जब आप भी उत्तराखंडी व्यंजनों का स्वाद लेना चाहें, तो इन पारंपरिक रेसिपीज़ को ज़रूर आज़माएं।
Frequently Asked Questions (FAQs) - सर्दियों में भट्ट की दाल के अलग-अलग जायके
भट्ट की दाल क्या है और यह क्यों खास है? भट्ट की दाल एक प्रकार की काली दाल है, जो विशेष रूप से उत्तराखंड में सर्दियों में खाई जाती है। यह न केवल स्वाद में लाजवाब होती है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। भट्ट की दाल से बने विभिन्न व्यंजन, जैसे भट्वाणी, डुबका, भटुला, और जौला, सर्दियों में शरीर को गर्माहट देने के साथ-साथ पौष्टिक भी होते हैं।
भट्वाणी (चुड़कानी) बनाने की विधि क्या है? भट्वाणी बनाने के लिए सबसे पहले भट्ट की दाल को हल्की राख के साथ बिना तेल के तवे पर भूनें। फिर, इसे घी-तेल में प्याज, लहसुन, जख्या और जम्बू के तड़के के साथ पकाएं। इसमें मसाले डालकर भट्ट को अच्छे से मिला लें और पकने दें। इसे भात या झंगोरा के साथ परोस सकते हैं।
भट्ट का डुबका कैसे बनाएं? भट्ट का डुबका दो तरीकों से बनाया जा सकता है:
- विधि एक: भट्ट की दाल को रातभर भिगोकर दरदरा पीस लें और तड़के में मसाले डालकर पकाएं।
- विधि दो: भट्ट की दाल को चक्की में पीसकर मोटा आटा बना लें और उसे घी में हल्का भूनकर पकाएं। इसमें मसाले और पानी डालकर पकने दें।
भटुला बनाने का तरीका क्या है? भटुला बनाने के लिए, भट्ट के आटे को पानी में घोलकर कढ़ाई में तड़के में डालें। इसे तब तक पकाएं जब तक यह गाढ़ा न हो जाए। यह व्यंजन डुबके की तरह होता है, लेकिन इसके बनाने का तरीका थोड़ा अलग होता है।
भट्ट का जौला क्या है और यह कैसे बनता है? भट्ट का जौला एक खास व्यंजन है जो भट्ट और चावल के मिश्रण से बनता है। इसके लिए भट्ट की दाल को रातभर भिगोकर, उसे मसीटे में पीसकर चावल के साथ पकाते हैं। यह व्यंजन पीलिया के रोगियों के लिए भी लाभकारी माना जाता है।
सर्दियों में भट्ट के व्यंजन क्यों खास होते हैं? सर्दियों में भट्ट के व्यंजन गर्माहट प्रदान करते हैं और शरीर को ऊर्जा देते हैं। इन व्यंजनों में मसालों और जड़ी-बूटियों का तड़का डाला जाता है, जो शरीर को गरम रखने में मदद करता है। साथ ही, ये स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होते हैं।
भट्ट के व्यंजनों का पोषण क्या है? भट्ट की दाल प्रोटीन, फाइबर और खनिजों का अच्छा स्रोत है। इसके साथ बने व्यंजन शरीर को गर्माहट देते हैं और पाचन में मदद करते हैं। विशेष रूप से, भट्ट का जौला पीलिया जैसी समस्याओं के इलाज में सहायक होता है।
क्या भट्ट के व्यंजन हर मौसम में खाए जा सकते हैं? भट्ट के व्यंजन विशेष रूप से सर्दियों में पसंद किए जाते हैं क्योंकि वे ठंड से राहत देने में मदद करते हैं। हालांकि, भट्वाणी हर मौसम में खाई जा सकती है, लेकिन सर्दियों में इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है।
क्या भट्ट का जौला पीलिया के इलाज में प्रभावी है? हां, भट्ट का जौला पीलिया के रोगियों के लिए एक रामबाण औषधि माना जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है और पीलिया के इलाज में मदद करता है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें