कविता फुलारी / श्री नरेंद्र सिंह नेगी

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फुलारी / श्री नरेंद्र सिंह नेगी


चला फुलारी फूलों को
सौदा-सौदा फूल बिरौला

हे जी सार्यूं मा फूलीगे ह्वोलि फ्योंली लयड़ी
मैं घौर छोड्यावा
हे जी घर बौण बौड़ीगे ह्वोलु बालो बसंत
मैं घौर छोड्यावा
हे जी सार्यूं मा फूलीगे ह्वोलि

चला फुलारी फूलों को
सौदा-सौदा फूल बिरौला
भौंरों का जूठा फूल ना तोड्यां
म्वारर्यूं का जूठा फूल ना लायाँ

ना उनु धरम्यालु आगास
ना उनि मयालू यखै धरती
अजाण औंखा छिन पैंडा
मनखी अणमील चौतर्फी
छि भै ये निरभै परदेस मा तुम रौणा त रा
मैं घौर छोड्यावा
हे जी सार्यूं मा फूलीगे ह्वोलि

फुल फुलदेई दाल चौंल दे
घोघा देवा फ्योंल्या फूल
घोघा फूलदेई की डोली सजली
गुड़ परसाद दै दूध भत्यूल

अयूं होलू फुलार हमारा सैंत्यां आर चोलों मा
होला चैती पसरू मांगना औजी खोला खोलो मा
ढक्यां मोर द्वार देखिकी फुलारी खौल्यां होला।

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