कविता चीड़ और देवदार के के पेड़ों से यह सीख (Learn this from the poetry of pine and cedar trees)

कविता चीड़ और देवदार के के पेड़ों से यह सीख

 (Learn this from the poetry of pine and cedar trees)

 चीड़ और देवदार

चीड़ और देवदार के जंगल
चीड़ और देवदार के जंगल

चीड़ 

उठाये रखता है 

अपनी सभी साखें 

आसमान की ओर

चीड़ और देवदार


वहीं देवदार 

झुका देता है अपनी निचली बाहें

जमीन की ओर

मानो वो बनाए रखना चाहता हो

अपना मिट्टी से तालुक

शत् फुट ऊंचा होने बाद भी

देवदार का पेड़

चीड़  का पेड़

इसलिए शायद

देवदार होता है 

शत् सहस्र फुट ऊंचाई पर 

और चीड़

केवल निचले पहाड़ों पर

चीड़ और देवदार के जंगल

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