विचित्र नारायण शर्मा /Vichitra Narayan Sharma

विचित्र नारायण शर्मा

पूरा नाम                     विचित्र नारायण शर्मा
अन्य नाम                     विचित्र भाई
जन्म                             10 मई, 1898
जन्म भूमि                     गढ़वाल, उत्तरांचल
मृत्यु                             31 मई, 1998
नागरिकता             भारतीय
प्रसिद्धि                     स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिज्ञ
पुरस्कार-उपाधि     'जमुना लाल बजाज पुरस्कार', 1993

अन्य जानकारी पूर्व विधायक और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में विचित्र नारायण शर्मा को जो पेंशन मिलती थी, उसे वे गांधी आश्रम में जमा कर देते थे। आश्रम से उन्हें आजीविका के लिए जो धन मिलता था, उसी से अपना काम चलाते थे।
विचित्र नारायण शर्मा

उत्तराखण्ड राज्य के टिहरी गढ़वाल के टिंगरी गांव के मूल निवासी विचित्र नारायण शर्मा उनियाल का जनम 10 मई, 1898 को देहरादून के नवादा ग्राम में हुआ था। हाईस्कूल परीक्षा देहरादून से उत्तीर्ण करने के बाद स्नातक शिक्षा बनारस से ग्रहण की। किन्तु गांधी जी के असहयोग आन्दोलन से प्रभावित होकर आचार्य कृपलानी के नेतृत्व में वे स्वाधीनता संग्राम में कूद गये थे। सन् 1930 से 1942 तक ये निरन्तर गांधी जी के आन्दोलनों में बनारस से भाग लेकर अनेक बार गिरफ्तार हुए। आजादी के बाद मेरठ को अपना कर्मक्षेत्र बनाने वाले विचित्र नारायण सन् 1952, 1957 और 1962 में उत्तर प्रदेश विधान सभा के लिए निर्वाचित होकर मुख्यमंत्रीपन्त और डा0 सम्पूर्णानन्द के मंत्रीमण्डल के सदस्य रहे। देश में खादी आश्रम स्थापित करने वालों में वे प्रमुख थे। जीवनभर गांधी और रचनात्मक सामाजिक कार्यों में लगे रहे। सन् 1993 में उन्हें जमुनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनके जीवन की एक अन्य उल्लेखनीय विशेषता यह थी कि उन्होने आजादी के बाद स्वाधीनता सेनानी पेंशन को गांधी आश्रम को दे दिया था। महज पूर्व विधायक की पेंशन से अपना आर्थिक जीवन चलाते रहे। देश के प्रमुख गांधीवादी नेताओं में एक रहे शर्मा को उनके सहयोगी विचित्र भाई के नाम से पुकारते रहे। जन्म की शताब्दी पूर्ण करने के बाद 31 मई, 1998 को मेरठ में ही उनका निधन हो गया। उनके परिजन लखनऊ और देहरादून में निवास कर रहे हैं।

विचित्र नारायण शर्मा (अंग्रेज़ी: Vichitra Narain Sharma, जन्म- 10 मई, 1898, गढ़वाल, उत्तरांचल; मृत्यु- 31 मई, 1998) 'जमना लाल बजाज पुरस्कार' से सम्मानित प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिज्ञ थे। विचित्र नारायण शर्मा 1952,1957 और 1962 में उत्तर प्रदेश की विधानसभा के सदस्य चुने गए। गोविंद बल्लभ पंत, डॉक्टर संपूर्णानंद और चंद्रभान गुप्त ने उन्हें अपने मंत्रिमंडलों का सदस्य बनाया परंतु खादी से उन्होंने अपना नाता बनाये रखा।

परिचय

रचनात्मक कार्यों के लिए 'जमना लाल बजाज पुरस्कार' से सम्मानित विचित्र नारायण शर्मा का जन्म 10 मई 1898 को पैतृक गांव नवादा (गढ़वाल-उत्तरांचल) में हुआ था। हाई स्कूल तक उनकी शिक्षा देहरादून में हुई। उसके बाद वे काशी हिंदू विश्वविद्यालय में प्रविष्ट हुए। गांधीजी के असहयोग आंदोलन के आह्वान पर आचार्य कृपलानी के नेतृत्व में (बी. ए. चतुर्थ वर्ष में विद्यालय छोड़कर) असहयोगी बन गए। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम आंदोलनों में भाग लिया और प्रत्येक आंदोलन में गिरफ्तार हुए।

योगदान

विचित्र नारायण शर्मा पढ़ाई छोड़कर खादी के काम से जुड़े और कृपलानी जी के सहयोगी बन कर गांधी आश्रम की स्थापना में उन्होंने अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इसके बाद वे जीवनपर्यंत स्वतंत्रता संग्राम और खादी ग्राम उद्योग के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करते रहे। पूर्व विधायक और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उन्हें जो पेंशन मिलती थी उसे वे गांधी आश्रम में जमा कर देते थे। आश्रम से उन्हें आजीविका के लिए जो धन मिलता था उसी से अपना काम चलाते थे।

राजनीतिक जीवन

विचित्र नारायण शर्मा 1952,1957 और 1962 में उत्तर प्रदेश की विधानसभा के सदस्य चुने गए। गोविंद बल्लभ पंत, डॉक्टर संपूर्णानंद और चंद्रभान गुप्त ने उन्हें अपने मंत्रिमंडलों का सदस्य बनाया परंतु खादी से उन्होंने अपना नाता बनाये रखा। उनके जीवन भर के रचनात्मक कार्यों का सम्मान करते हुए 1993 में उन्हें 'जमुना लाल बजाज पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।

मृत्यु

'विचित्र भाई' के नाम से पुकारे जाने वाले विचित्र नारायण शर्मा का 31 मई 1998 को निधन हो गया।

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