पंडित हरगोविंद पंत: एक जीवन-गाथा - Pandit Hargovind Pant: A Life Story

पंडित हरगोविंद पंत: एक जीवन-गाथा

प्रारंभिक जीवन

पंडित हरगोविंद पंत का जन्म 19 मई 1885 को अल्मोड़ा जिले, उत्तर प्रदेश में हुआ। मुइर सेंट्रल कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद, उन्होंने इलाहाबाद के स्कूल ऑफ लॉ से कानून की डिग्री हासिल की। 1910 में रानीखेत में वकालत शुरू की और अपनी कानूनी प्रैक्टिस में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की।



भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका

हरगोविंद पंत ने अपने लेखों और स्थानीय समाचार पत्रों के माध्यम से राष्ट्रवादी विचारों का प्रचार किया। उन्होंने कुमाऊं परिषद की स्थापना की, जो अंग्रेजों के दमनकारी नीतियों का विरोध करने के लिए उठ खड़ी हुई। पंत ने विशेष रूप से बेगार प्रणाली (जबरन श्रम) के खिलाफ संघर्ष किया और स्थानीय आंदोलनों में सक्रिय भाग लिया।

उनकी राजनीतिक सक्रियता के कारण उन्हें जिला कांग्रेस का अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश प्रांतीय कांग्रेस कमेटी का सदस्य चुना गया। उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य के रूप में पांच वर्षों तक काम किया। पंत ने अल्मोड़ा में 'नमक सत्याग्रह' और 'भारत छोड़ो' आंदोलन (1942) की शुरुआत की और 1935 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य बने।

संविधान निर्माण में योगदान

स्वतंत्रता के बाद, पंत को संयुक्त प्रांत विधानमंडल के उपाध्यक्ष के रूप में चुना गया और बाद में सदन की प्रक्रिया समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उन्होंने विधान सभा की प्रमुख समितियों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संविधान निर्माण में अंबेडकर की भूमिका की प्रशंसा करते हुए, पंत ने उन्हें 'पंडित' की उपाधि दी और गोरक्षा के लिए एक खंड के शामिल होने पर संतोष व्यक्त किया।

स्वतंत्रता के बाद योगदान

स्वतंत्रता के बाद, पंत ने संयुक्त प्रांत विधानमंडल में उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया और विधान सभा की प्रमुख समितियों में योगदान दिया। उन्होंने भारतीय राजनीति के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया और सामाजिक सुधारों में सक्रिय भूमिका निभाई।

योगदान और सम्मान

पंडित हरगोविंद पंत का निधन 18 मई 1957 को हुआ। उनकी जयंती पर, अल्मोड़ा में उनके सम्मान में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। अगस्त क्रान्ति दिवस पर उनके सम्मान में मूर्ति का अनावरण किया गया, और उनकी भूमिका को याद करते हुए कई चर्चाएं और समारोह आयोजित किए गए।

उनके जीवन की गाथा, उनके संघर्ष और उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है। वे उत्तराखंड के प्रमुख कांग्रेसी नेताओं में से एक रहे हैं, जिनका कार्य स्वतंत्रता संग्राम और संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण रहा है।

प्रश्न और उत्तर

  1. पंडित हरगोविंद पंत का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

    • उत्तर: पंडित हरगोविंद पंत का जन्म 19 मई 1885 को उत्तर प्रदेश के अल्मोड़ा जिले में हुआ था।
  2. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कहाँ से प्राप्त की?

    • उत्तर: पंडित हरगोविंद पंत ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अल्मोड़ा जी.आई.सी. (जो उस समय हाईस्कूल था) से प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने मुइर सेंट्रल कॉलेज, इलाहाबाद से स्नातक की डिग्री हासिल की।
  3. पंडित हरगोविंद पंत ने कानून की पढ़ाई कहाँ की थी?

    • उत्तर: पंडित हरगोविंद पंत ने कानून की पढ़ाई इलाहाबाद के स्कूल ऑफ लॉ से की थी और 1909 में कानून की डिग्री प्राप्त की।
  4. स्वतंत्रता आंदोलन में पंडित हरगोविंद पंत की प्रमुख भूमिकाएँ क्या थीं?

    • उत्तर: पंडित हरगोविंद पंत ने कुमाऊं परिषद की स्थापना की, बेगार प्रणाली के खिलाफ आंदोलन किया, 'नमक सत्याग्रह' और 'भारत छोड़ो' आंदोलन (1942) की शुरुआत की। वे जिला कांग्रेस के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश प्रांतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी रहे।
  5. उन्होंने संविधान सभा में कौन सा महत्वपूर्ण योगदान किया?

    • उत्तर: पंडित हरगोविंद पंत ने संविधान सभा में अंबेडकर की भूमिका की सराहना की और 'पंडित' की उपाधि से नवाजा। उन्होंने संविधान में गोरक्षा के लिए एक खंड शामिल किए जाने पर संतोष व्यक्त किया।
  6. स्वतंत्रता के बाद पंडित हरगोविंद पंत के प्रमुख पद कौन से थे?

    • उत्तर: स्वतंत्रता के बाद, पंडित हरगोविंद पंत ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद में सदस्य और उप-सभापति के रूप में कार्य किया। वे लोकसभा सदस्य भी बने और संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  7. पंडित हरगोविंद पंत का निधन कब हुआ?

    • उत्तर: पंडित हरगोविंद पंत का निधन 18 मई 1957 को हुआ।
  8. पंडित हरगोविंद पंत की स्मृति में कौन से सम्मान और स्मारक स्थापित किए गए हैं?

    • उत्तर: पंडित हरगोविंद पंत की स्मृति में अल्मोड़ा में उनकी मूर्ति की स्थापना की गई है और उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए विभिन्न समारोह आयोजित किए जाते हैं।
  9. पंडित हरगोविंद पंत के जीवन की कौन सी विशेषता उन्हें अन्य नेताओं से अलग बनाती है?

    • उत्तर: पंडित हरगोविंद पंत की विशेषता उनके व्यक्तिगत जीवन में आदर्शवाद और अपने राजनीतिक आदर्शों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता थी। उन्होंने सामाजिक प्रथाओं और अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया और नायक-प्रथा और हल न चलाने की प्रथा को समाप्त करने के लिए व्यक्तिगत प्रयास किए।
  10. पंडित हरगोविंद पंत ने स्वतंत्रता आंदोलन में किस विशेष आंदोलन में भाग लिया?

    • उत्तर: पंडित हरगोविंद पंत ने 'कुली बेगार आंदोलन' (जिसे गांधीजी ने 'रक्तहीन क्रांति' कहा) में प्रमुख भूमिका निभाई। यह आंदोलन दमनकारी बेगार प्रणाली के खिलाफ था।
  11. पंडित हरगोविंद पंत ने कौन-कौन सी संस्थाओं की स्थापना की?

    • उत्तर: पंडित हरगोविंद पंत ने कुमाऊं परिषद और 'सोशियसल क्लब' जैसी संस्थाओं की स्थापना की, जिनका उद्देश्य कुमाऊं में राजनैतिक चेतना जगाना था।
  12. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पंडित हरगोविंद पंत को कितनी बार जेल की सजा का सामना करना पड़ा?

    • उत्तर: पंडित हरगोविंद पंत को स्वतंत्रता संग्राम के दौरान दो बार जेल की सजा का सामना करना पड़ा। वे 25 अगस्त से 11 सितंबर 1930 तक और 7 दिसंबर 1940 से 4 अक्टूबर 1941 तक जेल में रहे।
  13. पंडित हरगोविंद पंत की निजी जीवन की आदतें कैसी थीं?

    • उत्तर: पंडित हरगोविंद पंत निजी जीवन में बहुत कट्टर थे और केवल अपने या परिवार द्वारा बनाए गए भोजन को ही खाते थे। इसके साथ ही, उन्होंने उच्च कुल के ब्राह्मणों द्वारा हल न चलाने की प्रथा को समाप्त करने के लिए स्वयं हल चलाया।
  14. पंडित हरगोविंद पंत की व्यक्तित्व की क्या विशेषताएँ थीं?

    • उत्तर: पंडित हरगोविंद पंत की व्यक्तित्व की विशेषताएँ उनकी गांधी टोपी, खादी के कपड़े, साधारण जीवनशैली और आदर्शवादी दृष्टिकोण थीं। वे अपने समय के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक सुधारक थे।
  15. पंडित हरगोविंद पंत के योगदान की सराहना किसने की?

    • उत्तर: पंडित हरगोविंद पंत के योगदान की सराहना डॉ. शेखर पाठक और अन्य इतिहासकारों ने की है। उन्होंने उनके व्यक्तित्व और स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका को विस्तार से उल्लेख किया।
  16. स्वतंत्रता के बाद पंडित हरगोविंद पंत ने विधान परिषद और लोकसभा में क्या कार्य किए?

    • उत्तर: स्वतंत्रता के बाद, पंडित हरगोविंद पंत ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद में उप-सभापति और लोकसभा सदस्य के रूप में कार्य किया। उन्होंने विधान सभा की प्रमुख समितियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  17. पंडित हरगोविंद पंत की स्मृति को किस प्रकार से सम्मानित किया गया है?

    • उत्तर: पंडित हरगोविंद पंत की स्मृति में अल्मोड़ा में उनकी मूर्ति की स्थापना की गई है, और उनके योगदान को मान्यता देने के लिए विभिन्न समारोह और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

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