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धरती हमरा गढ़वाल की: एक लोकगीत का जश्न
उत्तराखंड की संस्कृति और परंपराओं को मनाने और समझने का एक अद्भुत तरीका है लोकगीत। इनमें से एक प्रसिद्ध गीत है “धरती हमरा गढ़वाल की”, जो गढ़वाल क्षेत्र की सुंदरता, धार्मिक महत्व और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है।
गीत का लिरिक्स:
धरती हमरा गढ़वाल की,
धरती हमरा गढ़वाल की,
कथगा रौंतेली स्वाणी चा,
कथगा रौंतेली स्वाणी चा (कोरस)
हो……कथगा रौंतेली स्वाणी चा, हो …
हो….कथगा रौंतेली स्वाणी चा, हा …कथगा रौंतेली स्वाणी चा (कोरस)
पांच बदरी, पांच केदार,
पांच प्रयाग एखी छन, पांच प्रयाग एखी छन (कोरस)
पांच पंडोव ऐनी एखी,
भाग हमरा धन धन, भाग हमरा धन धन
भाग हमरा धन धन्, भाग हमरा धन धन् (कोरस)
कुण्ड छीन, इक ताल छीन,
मठ यखे महान छीन
मठ यखे महान छीन, मठ यखे महान छीन
ताल सहस्त्र घाटी, फुलु की असमान छीन
हो……गंगा जमुना, एखी बटी सभु की, भूख तीस बुझाणी चा
हो… कथगा रौंतेली स्वाणी चा
धरती हमरा गढ़वाल की,
कथगा रौंतेली स्वाणी चा, (कोरस)
हो….कथगा रौंतेली स्वाणी चा, हा …कथगा रौंतेली स्वाणी चा (कोरस)
डांडी कांठीयों का देखा,
लैन्जा लग्यान, लैंजा लग्यान
लैंजा लग्यान, लैंजा लग्यान (कोरस)
देवतों की धरती मा,
मनखी बस्यान, मनखी बस्यान
मनखी बस्यान, मनखी बस्यान (कोरस)
देवदार बुरांश बाँझा,
कुलीन पय्या डाली
देब्तों रोपी, मन्ख्युन पाली
हो ……..भेद देव -देवता मनखी को डोंरु – थाली मिटाणी चा
धरती हमरा गढ़वाल की,
कथगा रौंतेली स्वाणी चा, (कोरस)
हो….कथगा रौंतेली स्वाणी चा, हा …कथगा रौंतेली स्वाणी चा (कोरस)
पति व्रता नारी एख,
बांध कीसाण छीन, बांध कीसाण छीन
बांध कीसाण छीन, बांध कीसाण छीन (कोरस)
तीलू रौतेली एख,
रामी बौराण छीन, रामी बौराण छीन
रामी बौराण छीन, रामी बौराण छीन (कोरस)
भांडू का पवड़ा सुणा,
बीरू का देखा गढ़
बीरू का देखा गढ़, बीरू का देखा गढ़
नरसिंह, नागराजा, पंडों का देखा रण
हो… तुम ते लाकुड, दमो, ढोलकी.. धै लगे की, भटियाणी च, कथगा रौंतेली स्वाणी चा
धरती हमरा गढ़वाल की,
धरती हमरा गढ़वाल की
कथगा रौंतेली स्वाणी चा,
कथगा रौंतेली स्वाणी चा (कोरस)
हो……कथगा रौंतेली स्वाणी चा, हो …
हो….कथगा रौंतेली स्वाणी चा, हा …कथगा रौंतेली स्वाणी चा (कोरस)
ब्लॉग पोस्ट का प्रारूप:
धरती हमरा गढ़वाल की: एक लोकगीत की भावनात्मक गहराई
उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में लोकगीतों का महत्वपूर्ण स्थान है, जो वहां की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को जीवित रखते हैं। इनमें से एक विशेष गीत है “धरती हमरा गढ़वाल की”, जो इस क्षेत्र की धार्मिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक विशेषताओं को दर्शाता है।
इस गीत में गढ़वाल की पांच प्रमुख तीर्थ स्थलों—बदरीनाथ, केदारनाथ, और पांच प्रयाग—का उल्लेख है, जो इस क्षेत्र की धार्मिक महत्वता को दर्शाते हैं। गीत के माध्यम से गढ़वाल की पवित्रता, सांस्कृतिक समृद्धि और यहाँ की पारंपरिक जीवनशैली को बड़ी सुंदरता से व्यक्त किया गया है।
गीत में लोक जीवन के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है, जैसे कि धार्मिक स्थलों, पवित्र कुण्डों और मठों का उल्लेख, जो गढ़वाल की धार्मिक और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाते हैं। इसके अलावा, गीत में यहां की लोक कथाओं, देवताओं की पूजा और पारंपरिक रीति-रिवाजों का भी उल्लेख किया गया है।
“धरती हमरा गढ़वाल की” एक ऐसा गीत है जो न केवल गढ़वाल की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को प्रस्तुत करता है, बल्कि वहां की भौगोलिक विशेषताओं और सामाजिक जीवन का भी सुंदर चित्रण करता है। यह लोकगीत गढ़वाल की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक समृद्धि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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