तू मैस भये उदास न हो - जीवन में संघर्ष और प्रेरणा की कविता - Garudvani: A message of hope and struggle in despair

गरुड़वाणी: निराशा में आशा और संघर्ष का संदेश


कविता:

तू मैस भये उदास न हो


अति फुडफुडात न कर, फुडफुडात न कर
छ रात अगर दिन आलो भुला
अंधियारों सबे काटि देलो भुला
जागि बैर भांटा तोड़ी करम तू कर
सि-सि खाली मने मन स्युना न भर
बिन करमन त्वै कोई आंस न हो
तू मैस भये उदास न हो
अति फुडफुडात न कर, फुडफुडात न कर।

देखि ठाड़ो उकाल रुके न भुला
थोड़ी ठोकर में तू झुके न भुला
सुन मैस अगर ले मन मे ठानी
डांसी चटानो में उब्जी जांछ पानी
कामा'का जागा आराम न हो
तू मैस भये उदास न हो
अति फुडफुडात न कर, फुडफुडात न कर।

किरमोला'क उ किस्सा फ़ाम करो
उ कति बैर झड़ी फिरि फाम करो
मन हार न मानि तबे चडि'पा
पूरा सीजन पेट तबे भरि'पा
हारी जयूनू कुनो डर पास न हो
तू मैस भये उदास न हो
अति फुडफुडात न कर, फुडफुडात न कर।

तेरी सोच जरा लै काली न हो
और बातन में कोई गाली न हो
जिन आघि बढ़े कैई और लोटा
जिन छोडे काम'के लागि पटा
करि कराई बरबाद न हो
तू मैस भये उदास न हो
अति फुडफुडात न कर, फुडफुडात न कर।


अर्थ और विश्लेषण:

इस कविता में कवि ने जीवन के संघर्षों, चुनौतियों और निराशा के क्षणों में धैर्य बनाए रखने का संदेश दिया है। कविता का हर छंद प्रेरणा और साहस से भरपूर है, जो हमें यह सिखाता है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएं, हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए।

  • उदासी से लड़ने का संदेश:
    कविता की पहली पंक्ति ही इस बात का संकेत देती है कि जीवन में जब भी हम उदास हों, हमें आत्म-नियंत्रण रखना चाहिए और निराशा में बहकर अपने कर्मों को नहीं छोड़ना चाहिए।

  • धैर्य और प्रयास:
    अंधेरी रात के बाद जैसे दिन आता है, उसी तरह जीवन में भी कठिनाइयों के बाद सफलता मिलती है। कवि यहां कर्म और धैर्य के महत्व को उजागर करते हैं, जो हमें कठिनाइयों का सामना करने में सक्षम बनाता है।

  • हार न मानने की प्रेरणा:
    कविता में ठोकर खाने के बाद भी आगे बढ़ने का संदेश दिया गया है। यह जीवन के उन क्षणों की ओर इशारा करता है जब हमें संघर्ष करना पड़ता है, और यह संघर्ष ही हमें हमारी मंजिल तक पहुँचाता है।

  • कर्म का महत्व:
    बिना कर्म के कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता। कविता का यह भाग हमें यह सिखाता है कि केवल मेहनत और समर्पण से ही जीवन में सफलता प्राप्त की जा सकती है।

  • सकारात्मक सोच:
    अंतिम छंद में कवि ने सोच को सकारात्मक बनाए रखने की सलाह दी है। साथ ही, किसी भी काम को अधूरा छोड़ने के बजाय उसे पूरा करने पर जोर दिया गया है, ताकि जीवन में कोई पछतावा न हो।


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