हे केदार..! तु ही जीवन का अधार: एक भक्ति गीत - Hey Kedar..! You are the support of life: a devotional song.

हे केदार..! तु ही जीवन का अधार: एक भक्ति गीत

केदारनाथ का नाम लेते ही मन श्रद्धा और भक्ति से भर जाता है। यह पवित्र स्थान न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे भारतवर्ष में आस्था का प्रमुख केंद्र है। यहां प्रस्तुत गढ़वाली कविता भगवान केदारनाथ को समर्पित है, जिसमें कवि ने अपनी गहरी भक्ति और भगवान के प्रति अपनी आस्था को प्रकट किया है।


केदारनाथ: जीवन और मृत्यु का आधार

हे केदार..! त्वे ही त छ अधार,
त्येरे सारा य जिंदगी ....।

तु ही सुख, तू ही दुख,
तू ही शून्य, तू ही अनंत;
त्वेसी ही जन्म, त्वेसी ही मरण।

भगवान केदारनाथ का सर्वव्यापी रूप

जन्म क पहली सी,
मृत्यु क बाद भी;
तू ही छ, तू ही छ...।

त्वे सि ही गीत, त्वे सि ही संगीत।
तेरे सारा कभी-यख कभी-वख,
कुजाणि कख-कख।

भगवान केदारनाथ को हर ध्वनि, हर गीत और हर संगीत का स्रोत माना गया है। उनके बिना समय का कोई अस्तित्व नहीं, वह समय के नियंत्रक हैं। दिन हो या रात, हर क्षण केदारनाथ की उपस्थिति में ही बीतता है।

भगवान के प्रति समर्पण: जीवन का हर पहलू

त्वेसी त छ; यनु भी छ,
वनु भी छ, जना भी त्वेसी ही छ।

केदारनाथ की महिमा केवल समय या जीवन तक सीमित नहीं है। उनके बिना कुछ भी नहीं है—यथार्थ हो या कल्पना, सब कुछ उनका ही विस्तार है।

तेरू घर मैंतें पेहलु धाम,
तेरू नूं ही ल्याऊ सुबैर पेहलु नाम,
तेरू काम मैंक पेहलु काम।

समर्पण की पराकाष्ठा


.. खाणु खाळ तब, जब पहली त्वे भोग लगाऊ,
.. मैं सिर उठाऊ तब ;
जब पहली तेरा चरणों में शीश जुकाऊ।

हे केदार! जय केदार!

हे केदार! जय केदार।


निष्कर्ष

यह कविता न केवल गढ़वाली भाषा में भगवान केदारनाथ के प्रति समर्पण को दर्शाती है, बल्कि यह हमें अपने जीवन में ईश्वर के महत्व को भी समझाती है। भगवान केदारनाथ केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि वह ऊर्जा हैं जो हमारे जीवन को दिशा और संबल देती हैं। हर व्यक्ति के जीवन में एक केदारनाथ होना चाहिए, जिससे वह अपने जीवन को सही राह पर आगे बढ़ा सके।


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