माँ शैलपुत्री की आरती (Maa Shailputri Aarti)

माँ शैलपुत्री की आरती (Maa Shailputri Aarti)


शैलपुत्री माँ बैल असवार। 
करें देवता जय जय कार॥ 

शिव-शंकर की प्रिय भवानी। 
तेरी महिमा किसी ने न जानी॥ 

पार्वती तू उमा कहलावें। 
जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें॥ 

रिद्धि सिद्धि परवान करें तू। 
दया करें धनवान करें तू॥ 

सोमवार को शिव संग प्यारी। 
आरती जिसने तेरी उतारी॥ 

उसकी सगरी आस पुजा दो। 
सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो॥ 

घी का सुन्दर दीप जला के। 
गोला गरी का भोग लगा के॥ 

श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें। 
प्रेम सहित फिर शीश झुकायें॥ 

जय गिरराज किशोरी अम्बे। 
शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे॥ 

मनोकामना पूर्ण कर दो। 
चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो॥

आरती का महत्व:

माँ शैलपुत्री की आरती भक्तों के दिल को शांति और समर्पण का अनुभव कराती है। यह आरती विशेष रूप से नवरात्रि के पहले दिन की जाती है, जब माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है। आरती के माध्यम से भक्त अपने जीवन की सभी परेशानियों और कष्टों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं।

इस आरती का गायन करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। इसके माध्यम से भक्त माँ शैलपुत्री की कृपा प्राप्त करते हैं और अपने जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि की कामना करते हैं।

माँ शैलपुत्री की आरती एक धार्मिक अनुष्ठान है जो भक्तों के मन को शुद्ध करता है और उन्हें आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।

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