मां ब्रह्मचारिणी माता की आरती: एक दिव्य भक्ति संग्रह - Maa Brahmacharini Mata Ki Aarti: A Divine Devotional Collection

मां ब्रह्मचारिणी माता की आरती: एक दिव्य भक्ति संग्रह

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन मां की आरती का पाठ भक्तों को विशेष आध्यात्मिक आनंद और मानसिक शांति प्रदान करता है। यहां हम मां ब्रह्मचारिणी की आरती की पूरी जानकारी और उसके महत्व के बारे में चर्चा करेंगे।

मां ब्रह्मचारिणी माता की आरती

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो ​तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।

आरती का महत्व

मां ब्रह्मचारिणी की आरती एक भक्तिपूर्ण साधना है जो भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक प्रबुद्धता प्रदान करती है। यह आरती मां ब्रह्मचारिणी की दिव्य गुणों और उनके भक्तों के प्रति प्रेम और करुणा का आह्वान करती है।

आरती के प्रमुख बिंदु:

  • जय अंबे ब्रह्मचारिणी माता: मां ब्रह्मचारिणी की आरती से उनका स्वागत करते हुए उनके दिव्य रूप की स्तुति की जाती है।
  • ज्ञान सभी को सिखलाती हो: मां ब्रह्मचारिणी ज्ञान की देवी हैं, जो सभी को सत्य और ज्ञान की प्राप्ति कराती हैं।
  • ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा: देवी के मंत्र जाप से सभी दुखों और समस्याओं का समाधान होता है।
  • जय गायत्री वेद की माता: मां ब्रह्मचारिणी वेदों की माता हैं, जिनका ध्यान करने से सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।
  • रुद्राक्ष की माला ले कर: श्रद्धा और भक्ति से रुद्राक्ष की माला जाप करते हुए मां के गुणगान का संदेश मिलता है।
  • आलस छोड़ करे गुणगाना: आलस्य को त्याग कर मां की आरती और गुणगान करने से सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
  • ब्रह्माचारिणी तेरो नाम: मां ब्रह्मचारिणी का नाम संपूर्ण जीवन को साकारात्मक दिशा प्रदान करता है और भक्त की इच्छाएं पूरी होती हैं।
  • भक्त तेरे चरणों का पुजारी: भक्त अपनी भक्ति और श्रद्धा से मां ब्रह्मचारिणी के चरणों की पूजा करता है और उनकी कृपा प्राप्त करता है।

पूजा विधि

  1. आरती की तैयारी:

    • पूजा के स्थान को स्वच्छ करें और एक चौकी पर मां ब्रह्मचारिणी की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें।
    • दीपक, अगरबत्ती, और पूजा सामग्री तैयार करें।
  2. आरती का पाठ:

    • आरती का पाठ ध्यानपूर्वक और श्रद्धा से करें।
    • दीपक जलाकर आरती करें और मां की विशेष पूजा करें।
  3. भोग और नैवेद्य:

    • मां को भोग अर्पित करें और उन्हें प्रसाद दें।
    • पूजा के बाद भक्तों में प्रसाद वितरित करें।
  4. मंत्र जाप:

    • मां के मंत्रों का जाप करें और ध्यान लगाएं।

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3. चंद्रघंटा

• अर्थ: चंद्रघंटा का अर्थ है "चाँद की तरह चमकने वाली"। उनके मस्तक पर घंटे के आकार का चंद्र होता है। वह शक्ति और साहस की प्रतीक हैं। नवरात्रि के तीसरे दिन उनकी पूजा होती है।

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