मां चंद्रघंटा का स्वरूप: नवरात्रि के तीसरे दिन की विशेष पूजा - Maa Chandraghanta Avatar: Special Puja on the Third Day of Navratri
मां चंद्रघंटा का स्वरूप: नवरात्रि के तीसरे दिन की विशेष पूजा
शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन विशेष रूप से मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप, मां चंद्रघंटा की पूजा के लिए समर्पित है। मां चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत अलौकिक और शांति प्रदान करने वाला है। आइए, जानें मां चंद्रघंटा के स्वरूप के बारे में विस्तार से:
मां चंद्रघंटा का स्वरूप
वाहन: मां चंद्रघंटा का वाहन सिंह है, जो शक्ति और बल का प्रतीक है।
मस्तक पर अर्धचंद्रमा: मां चंद्रघंटा के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्रमा है, जिसके कारण उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। यह स्वरूप दिव्य और शांतिदायक है।
स्वर्ण रंग: मां चंद्रघंटा का शरीर स्वर्ण जैसा चमकीला है, जो उनके दिव्य और तेजस्वी स्वरूप को दर्शाता है।
दस भुजाएं: मां चंद्रघंटा की दस भुजाएं होती हैं, जिनमें विभिन्न शस्त्र और अस्त्र होते हैं।
हस्तों में शस्त्र: मां चंद्रघंटा के हाथों में गदा, त्रिशूल, तलवार, धनुष, कमंडल, खड्ग आदि शस्त्र हैं, जो उनकी शक्ति और युद्धकला को दर्शाते हैं।
अलौकिक और अतुलनीय रूप: मां चंद्रघंटा का रूप अत्यंत अलौकिक और अतुलनीय है, जो भक्तों को दिव्य शांति और शक्ति प्रदान करता है।
शांतिदायक स्वरूप: मां चंद्रघंटा का स्वरूप शांति और सुख का प्रतीक है, और वे राक्षसों के वध के लिए प्रकट हुई थीं।
त्रिदेव की शक्तियां: मां चंद्रघंटा में त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, और शिव) की शक्तियां समाहित हैं, जो उनके पवित्र और शक्तिशाली स्वरूप को प्रदर्शित करती हैं।
पूजा का समय: मां चंद्रघंटा की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है, जो विशेष महत्व रखता है।
सुगंध प्रिय: मां चंद्रघंटा को सुगंध बहुत पसंद है, इसलिए पूजा में सुगंधित सामग्री का उपयोग किया जाता है।
अग्नि जैसा वर्ण: मां चंद्रघंटा को अग्नि जैसा वर्ण वाली और ज्ञान से जगमगाने वाली देवी कहा जाता है, जो उनकी दिव्यता और ज्ञान की शक्ति को दर्शाता है।
पूजा विधि
मां चंद्रघंटा की पूजा में विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि पूजा स्थल को स्वच्छ और सुगंधित बनाया जाए। मां की तस्वीर या प्रतिमा के सामने दीपक जलाकर, उन्हें लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें और गंधर्व पूजा करें। उनके मंत्रों का जप करें और विशेष रूप से दूध का उपयोग करें, जो उनकी पूजा में महत्वपूर्ण है।
मां चंद्रघंटा की उपासना से मन को शांति और सुकून मिलता है, और भक्त उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त करते हैं।
कूष्माण्डा
• अर्थ: कूष्माण्डा का अर्थ होता है "पूरा जगत उनके पैर में है"। वह ब्रह्मांड की उत्पत्ति का प्रतीक हैं। नवरात्रि के चौथे दिन उनकी पूजा की जाती है। वह सृजन शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं।
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