माँ चंद्रघंटा के मंत्र और उनकी दिव्यता
नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, जो शक्ति, शांति और संपूर्णता का प्रतीक हैं। माँ चंद्रघंटा की पूजा में उनके मंत्रों का विशेष महत्व होता है। ये मंत्र भक्तों को मानसिक शांति, बल, और समृद्धि प्राप्त करने में सहायता करते हैं। यहां पर माँ चंद्रघंटा के प्रमुख मंत्रों और उनके उपयोग की जानकारी दी जा रही है।
मंत्र/Mantra
ॐ देवी चन्द्र घण्टायै नमः
यह मंत्र माँ चंद्रघंटा को समर्पित है और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए जप किया जाता है। यह मंत्र ध्यान केंद्रित करने और आंतरिक शक्ति प्राप्त करने में मदद करता है।
पूजा मंत्र/Puja Mantra
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
इस मंत्र के माध्यम से भक्त माँ चंद्रघंटा से प्रसाद की प्राप्ति की कामना करते हैं। यह मंत्र माँ की कृपा और आशीर्वाद को आकर्षित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
स्तुति मंत्र/Stuti Mantra
या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघण्टा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
यह स्तुति मंत्र माँ चंद्रघंटा की सभी रूपों में स्तुति करता है। यह मंत्र माँ के प्रति पूर्ण श्रद्धा और समर्पण को व्यक्त करता है।
ध्यान मंत्र/Meditation Mantra
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चन्द्रघण्टा यशस्विनीम्॥
मणिपुर स्थिताम् तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
खङ्ग, गदा, त्रिशूल, चापशर, पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥
प्रफुल्ल वन्दना बिबाधारा कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥
यह ध्यान मंत्र माँ चंद्रघंटा की दिव्य छवि को ध्यान में रखते हुए उनका ध्यान और पूजन करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह मंत्र मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन को प्राप्त करने में मदद करता है।
स्रोत/Source
आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्।
अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टम् मन्त्र स्वरूपिणीम्।
धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायिनीम्।
सौभाग्यारोग्यदायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
ये स्रोत मंत्र माँ चंद्रघंटा की विभिन्न शक्तियों और उनके भक्तों के लिए प्रदान किए गए आशीर्वादों का उल्लेख करते हैं। ये मंत्र श्रद्धा और भक्ति के साथ उनके समक्ष प्रणाम करने की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हैं।
कूष्माण्डा
• अर्थ: कूष्माण्डा का अर्थ होता है "पूरा जगत उनके पैर में है"। वह ब्रह्मांड की उत्पत्ति का प्रतीक हैं। नवरात्रि के चौथे दिन उनकी पूजा की जाती है। वह सृजन शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं।
- नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्माण्डा की महिमा और आशीर्वाद
- माँ कूष्माण्डा की स्तुति: नवरात्रि पर विशेष शायरी और शुभकामनाएं
- माँ कूष्माण्डा की महिमा: नवरात्रि के चौथे दिन की पूजा का महत्व
- माँ कूष्माण्डा पर विशेष कविता
- माँ कूष्माण्डा की महिमा पर सर्वश्रेष्ठ कविता
- माँ कूष्माण्डा देवी: सृष्टि की आदि शक्ति और उनकी पूजा विधि
- माता कूष्माण्डा की कथा: नवरात्रि के चौथे दिन की देवी
- श्री कूष्माण्डा देवी पूजा विधि
- माता कुष्मांडा की कहानी और पूजा का महत्व
- माँ कूष्मांडा देवी का इतिहास और पौराणिक कथा
- नवरात्रि के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी की उपासना
- श्री कुष्माण्डा महामन्त्र जप विधि
- श्री कूष्माण्डा महामन्त्र जप विधि एवं महत्व
- माता कूष्माण्डा पूजा विधि: नवरात्रि की चतुर्थी पर विशेष
- माँ कूष्मांडा की पूजा विधि, मंत्र और महिमा
- पूजा विधि की पूर्णता: तृतीय, तुरिय, और पञ्चमावरण अनुष्ठान
- षडङ्ग तर्पणम् – कूष्माण्डा देवी की पूजा विधि
- कूष्माण्डा देवी पूजा विधि: षडङ्ग और लयाङ्ग तर्पणम्
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें