माँ चंद्रघंटा की पूजा पर आधारित श्रेष्ठ कविताएँ - Best poems based on worship of Maa Chandraghanta

नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की आराधना: श्रद्धा से भरी 5 कविताएँ

माता की पूजा करने से मिलती है शांति
माना जाता है कि देवी के इस रूप की पूजा करने से मन को अलौकिक शांति प्राप्त होती है और इससे न केवल इस लोक में अपितु परलोक में भी परम कल्याण की प्राप्ति होती है। इनके वंदन से मन को परम सूक्ष्म ध्वनि सुनाई देती है, जो मन को बहुत शांति प्रदान करती है। चूंकि इनका वर्ण स्वर्ण जैसा चमकीला है और ये हमेशा आसुरिक शक्तियों के विनाश के लिए सदैव तत्पर रहती हैं, इसलिए इनकी आराधना करने वाले को भी अपूर्व शक्ति का अनुभव होता है। मां चंद्रघंटा की पूजा में दूध का प्रयोग कल्याणकारी माना गया है।

1. माँ चंद्रघंटा का आशीर्वाद


नवरात्रि का तीसरा दिन आया,
माँ चंद्रघंटा का भव्य रूप दिखाया।
दूध की मिठाई, केसर की खीर,
पंचामृत से सजाएं भोग, मन से कील।

सफेद कमल, पीले गुलाब की माला,
हर अर्पण में छिपी माँ की प्यारी ताला।
केले का फल, सुनहरे वस्त्रों की छांव,
माँ चंद्रघंटा का आशीर्वाद, सजे घर हर धाव।

2. नवरात्रि की पूजा

नवरात्रि के तीसरे दिन, पूजा का उत्सव सजाया,
माँ चंद्रघंटा की भक्ति में हर दिल को समाया।
दूध, खीर, शहद और मिश्री की मिठास,
माँ के चरणों में अर्पित, हर मन का उल्लास।

सिंह की सवारी, घंटे का अर्धचंद्र,
माँ के चरणों में बसी हो भक्तों की संपूर्ण ममता।
सुनहरे वस्त्रों में, देवी का ध्यान,
नवरात्रि की बेला पर, मन में लाओ सुख का ध्यान।

3. माँ चंद्रघंटा की आराधना

माँ चंद्रघंटा के दिन मन में बसी खुशी,
भोग अर्पित करें, प्यार से सजी पूजा की तृप्ति।
दूध, खीर और शहद की मिठास का भेंट,
माँ के चरणों में सजे, भक्तों की श्रद्धा का संकेत।

सफेद कमल और पीले गुलाब की माला,
केले का फल, सुनहरे वस्त्रों का प्यारा जला।
सिंह की सवारी, अर्धचंद्र की छाया,
माँ की आराधना से हर दिल हो सवेरा, हर मन बसा सवेरा।

4. माँ चंद्रघंटा का भव्य रूप

माँ चंद्रघंटा का रूप नवरात्रि पर भव्य,
भोग की मिठास से सजाए हर घर का मन।
दूध और खीर में छुपी माँ की ममता,
सफेद कमल, पीले गुलाब की माला में बसी हर तृप्ति की छाया।

सुनहरे वस्त्रों में बसी माँ की कृपा,
सिंह की सवारी, अर्धचंद्र की छवि बेमिसाल।
हर दिल में माँ का आशीर्वाद बसाए,
नवरात्रि की पूजा से हर संकट को मिटाए।

5. भक्ति का पर्व

नवरात्रि का पर्व आया, माँ चंद्रघंटा की पूजा सजी,
दूध और खीर से सजाई भक्ति की छवि।
पंचामृत का भोग, शहद की मिठास,
माँ की आराधना से भरा हर दिल का उल्लास।

सफेद कमल, पीले गुलाब का आभूषण,
सुनहरे वस्त्रों में बसी माँ की कृपा की ध्वनि।
सिंह पर सवार, अर्धचंद्र की रेखा,
माँ चंद्रघंटा के चरणों में, सभी की दुनिया एक दिशा में बहे।


कूष्माण्डा

• अर्थ: कूष्माण्डा का अर्थ होता है "पूरा जगत उनके पैर में है"। वह ब्रह्मांड की उत्पत्ति का प्रतीक हैं। नवरात्रि के चौथे दिन उनकी पूजा की जाती है। वह सृजन शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं।

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