नवरात्रि में न करें ये गलतियाँ: पूजा और व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
नवरात्रि, देवी दुर्गा की पूजा और उपासना का विशेष पर्व है, जो शक्ति, भक्ति और साधना का प्रतीक होता है। इस पावन अवसर पर भक्तगण देवी की आराधना और उपासना में लगे रहते हैं। लेकिन, कई बार अज्ञानता या लापरवाही के कारण कुछ ऐसी गलतियाँ हो जाती हैं, जो पूजा और व्रत की पूर्णता को प्रभावित कर सकती हैं। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें दी गई हैं जिन्हें नवरात्रि के दौरान ध्यान में रखना चाहिए:
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पूजा में ध्यान रखने योग्य बातें
तुलसी के पत्ते न चढ़ाएं: नवरात्रि के दौरान देवी की पूजा में तुलसी के पत्ते का उपयोग नहीं करना चाहिए। यह नियम विशेष रूप से चंद्रघंटा माता की पूजा के दौरान लागू होता है।
शेर की दहाड़ न हो: माँ चंद्रघंटा की किसी भी छवि में शेर की दहाड़ का प्रतीक नहीं होना चाहिए। देवी के प्रतीक में शेर शांत और सौम्य होना चाहिए।
दूर्वा का प्रयोग न करें: देवी को दूर्वा चढ़ाने की प्रथा नवरात्रि के दौरान नहीं अपनाई जाती।
आसन का चुनाव: पूजा के दौरान हमेशा जूट या ऊनी आसन पर बैठकर पूजा करें। यह आसन पूजा की पवित्रता को बनाए रखता है।
चित्र या मूर्ति के बाईं ओर दीया: देवी के चित्र या मूर्ति के बाईं ओर एक दीया रखना चाहिए, जबकि ज्वार को देवी के चित्र या मूर्ति के दायीं ओर रखें।
घर को न छोड़ें: अगर आप नवरात्रि में ज्वार की बुवाई कर रहे हैं या अखंड ज्योति लगा रहे हैं, तो घर को खाली न छोड़ें।
व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
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बाल और नाखून: नवरात्रि के नौ दिनों तक व्रत रखते समय अपनी दाढ़ी, मूंछ या बाल न कटवाएं। हालांकि, बच्चों के सिर मुंडवाने के लिए नवरात्रि एक शुभ समय है।
नाखून काटना: नवरात्रि के दौरान नाखून नहीं काटना चाहिए।
प्याज, लहसुन, और मांसाहारी भोजन: नवरात्रि के दौरान प्याज, लहसुन या मांसाहारी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
काले कपड़े: व्रत रखने के दौरान काले कपड़े न पहनें।
चमड़े की वस्तुएं: चमड़े से बनी किसी भी चीज़ का उपयोग न करें, जैसे चमड़े के जूते, बैग या बेल्ट।
नींबू न काटें: व्रत के दौरान नींबू नहीं काटना चाहिए।
नमक के दाने: व्रत के दौरान नमक के दानों का सेवन न करें। केवल समारी चावल, शाहबलूत आटा, साबूदाना, सेंधा नमक, फल, आलू, मेवा और मूंगफली का सेवन करें।
दिन में सोना और तंबाकू का सेवन: विष्णु पुराण के अनुसार, दिन में सोना, तंबाकू का सेवन और शारीरिक संबंध बनाने से व्रत का फल नहीं मिलता।
निष्कर्ष
नवरात्रि का पर्व भक्ति, अनुशासन और साधना का समय होता है। इस समय में इन छोटी-छोटी गलतियों से बचना महत्वपूर्ण है, ताकि पूजा और व्रत की पूर्णता बनी रहे। इन नियमों का पालन करके आप न केवल देवी माँ की कृपा प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि अपने व्रत और पूजा को भी सफल बना सकते हैं।
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कूष्माण्डा
• अर्थ: कूष्माण्डा का अर्थ होता है "पूरा जगत उनके पैर में है"। वह ब्रह्मांड की उत्पत्ति का प्रतीक हैं। नवरात्रि के चौथे दिन उनकी पूजा की जाती है। वह सृजन शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं।
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