नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा: भोग, पसंदीदा वस्तुएं और विशेष जानकारी - Maa Chandraghanta is worshipped on the third day of Navratri

नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा: भोग, पसंदीदा वस्तुएं और विशेष जानकारी

नवरात्रि के तीसरे दिन, माँ चंद्रघंटा की पूजा बड़े धूमधाम से की जाती है। इस दिन विशेष रूप से देवी चंद्रघंटा की आराधना और उनके भोग की तैयारी का महत्व है। यहाँ माँ चंद्रघंटा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी और उनके भोग लगाने की विधि दी जा रही है:

माँ चंद्रघंटा को भोग

माँ चंद्रघंटा की पूजा के दौरान निम्नलिखित भोग अर्पित किए जाते हैं:

  1. दूध या दूध से बनी मिठाई: दूध और दूध से बनी मिठाई जैसे खोया या खीर माँ चंद्रघंटा को अर्पित की जाती है। यह भोग देवी को प्रसन्न करने के लिए महत्वपूर्ण है।

  2. केसर या साबूदाने की खीर: केसर और साबूदाना के साथ बनाई गई खीर भी माँ चंद्रघंटा को भोग के रूप में अर्पित की जाती है। यह विशेष रूप से इस दिन की पूजा में शामिल किया जाता है।

  3. शहद: शहद का भोग भी माँ चंद्रघंटा को अर्पित किया जाता है, जो उनकी पूजा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

  4. पंचामृत: पंचामृत, जिसमें दूध, दही, घी, शहद और चीनी शामिल होते हैं, देवी को अर्पित किया जाता है। यह एक पवित्र मिश्रण होता है।

  5. चीनी और मिश्री: चीनी और मिश्री भी माँ चंद्रघंटा को भोग के रूप में अर्पित की जाती है, जो मिठास और सुख-समृद्धि का प्रतीक है।

भोग के बाद के कार्य

  • दूध का दान: पूजा के बाद, दूध का दान भी किया जा सकता है। यह दान पुण्य और देवी की कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।

  • ब्राह्मण को भोजन और दक्षिणा: ब्राह्मण को भोजन करवाकर और दक्षिणा देकर न केवल पुण्य अर्जित किया जा सकता है, बल्कि देवी माँ की कृपा भी प्राप्त की जा सकती है।

माँ चंद्रघंटा से जुड़ी विशेष बातें

  1. पसंदीदा रंग: माँ चंद्रघंटा का पसंदीदा रंग लाल है। इस दिन पूजा करते समय लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।

  2. फूलों की माला: माँ चंद्रघंटा को सफेद कमल और पीले गुलाब की माला अर्पित करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

  3. फलों में पसंद: माँ चंद्रघंटा को केले का फल भी पसंद है। पूजा में केले को भी भोग के रूप में अर्पित किया जा सकता है।

  4. वस्त्र का रंग: पूजा करते समय सुनहरे या पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।

  5. वाहन: माँ चंद्रघंटा का वाहन सिंह है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है।

  6. अर्धचंद्र का आकार: माँ चंद्रघंटा के मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, जो उनके दिव्य स्वरूप का प्रतीक है।

  7. शरीर का रंग: माँ चंद्रघंटा का शरीर स्वर्ण के समान चमकीला है, जो उनके दिव्य और शक्तिशाली रूप को दर्शाता है।

निष्कर्ष

नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा में इन भोगों का विशेष महत्व है और उनके पसंदीदा वस्तुओं को ध्यान में रखते हुए पूजा करनी चाहिए। यह दिन देवी माँ की कृपा प्राप्त करने और उनके आशीर्वाद से जीवन को खुशहाल बनाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

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कूष्माण्डा

• अर्थ: कूष्माण्डा का अर्थ होता है "पूरा जगत उनके पैर में है"। वह ब्रह्मांड की उत्पत्ति का प्रतीक हैं। नवरात्रि के चौथे दिन उनकी पूजा की जाती है। वह सृजन शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं।

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