माँ शैलपुत्री कवच (Maa Shailputri Kavach)

माँ शैलपुत्री कवच (Maa Shailputri Kavach)


ओमकार: मे शिर: पातु, मूलाधार निवासिनी।
हींकार पातु ललाटे, बीजरूपा महेश्वरी॥

श्रीकार पातु वदने, लज्जारूपा महेश्वरी।
हूंकार पातु हृदये, तारिणी शक्ति स्वघृत॥

फट्कार पातु सर्वागे, सर्व सिद्धि फलप्रदा।

कवच का महत्व:

माँ शैलपुत्री का यह कवच अपने भक्तों की सभी प्रकार की बुराइयों, नकारात्मक शक्तियों, और बाधाओं से रक्षा करता है। इसे धारण करने से साधक के भीतर सुरक्षा, शांति और शक्ति की अनुभूति होती है। इस कवच का जप विशेष रूप से नवरात्रि के प्रथम दिन किया जाता है, जिससे जीवन में आने वाली विपत्तियों और संकटों से रक्षा होती है।

माँ शैलपुत्री, जो मूलाधार चक्र में स्थित हैं, साधक को आंतरिक शक्ति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती हैं। यह कवच भक्तों के शरीर, मन, और आत्मा की सुरक्षा सुनिश्चित करता है और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिलाता है।


कवच का नियमित जप आपको माँ शैलपुत्री की कृपा और आशीर्वाद से हर संकट से मुक्ति और सभी सिद्धियों की प्राप्ति कराएगा।

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ब्रह्मचारिणी

  1. अर्थ: ब्रह्मचारिणी का अर्थ है "ब्रह्मचारीणी" अर्थात तपस्विनी। वह संयम और आत्म-संयम की प्रतीक हैं। नवरात्रि के दूसरे दिन उनकी पूजा की जाती है। उनकी साधना हमें संयम और धैर्य की शिक्षा देती है।

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