माँ शैलपुत्री का मंत्र (Maa Shailputri Mantra)

 माँ शैलपुत्री का मंत्र (Maa Shailputri Mantra)


वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।

पूणेन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता।।

प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधरां कातंकपोलां तुंग कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम्।।

या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।।

ओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।

मंत्र का महत्व:

यह मंत्र माँ शैलपुत्री की आराधना का अति शक्तिशाली साधन है। इसे श्रद्धा और भक्ति से जपने से जीवन में समृद्धि, सुख और शांति की प्राप्ति होती है। माँ शैलपुत्री का आशीर्वाद उनके भक्तों को सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्त करता है और उन्हें शक्ति एवं ऊर्जा प्रदान करता है। नवरात्रि के प्रथम दिन इस मंत्र का उच्चारण विशेष फलदायी माना जाता है, जिससे साधक के सभी संकट दूर होते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।


नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की आराधना करके उनके इस मंत्र का जप करें और उनकी कृपा प्राप्त करें।

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  1. अर्थ: ब्रह्मचारिणी का अर्थ है "ब्रह्मचारीणी" अर्थात तपस्विनी। वह संयम और आत्म-संयम की प्रतीक हैं। नवरात्रि के दूसरे दिन उनकी पूजा की जाती है। उनकी साधना हमें संयम और धैर्य की शिक्षा देती है।

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