श्री शैलपुत्री पूजा: एक दिव्य अनुभव - Sri Shailputri Puja: A Divine Experience

श्री शैलपुत्री पूजा: एक दिव्य अनुभव

परिचय

श्री शैलपुत्री माता की पूजा एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जो विशेष रूप से नवरात्रि के दिनों में की जाती है। इस पूजा का उद्देश्य भक्तों की सभी इच्छाओं की पूर्ति और उनके जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन करना होता है। यहाँ हम शैलपुत्री पूजा के विभिन्न आवरणों और तर्पण विधियों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं।


प्रथमावरणम्

मंत्र:

  • ॐ सौः क्लीं ऐं सर्वाशापरिपूरकाय
  • ॐ ऐं इन्द्राय नमः। इन्द्र श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
  • ॐ धं धर्मराजाय नमः। धर्मराज श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
  • ॐ वं वरुणाय नमः। वरुण श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
  • ॐ क्रीं कुबेराय नमः। कुबेर श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।

आवाहनम्:

  • ॐ एताः प्रथमावरण देवताः साङ्गाः सायुधाः सशक्तिकाः सवाहनाः सपरिवाराः सर्वोपचारैः सम्पूजिताः सन्तर्पिताः सन्तुष्टाः सन्तु नमः।
  • ॐ ह्रीं श्रीं ऐं सौः सौः ऐं श्रीं ह्रीं ॐ शैलपुत्र्यै नमः। शैलपुत्री श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।

प्रार्थना:

  • ॐ अभीष्टसिद्धि में देहि शरणागत वत्सले।
  • भक्त्या समर्पये तुभ्यं प्रथमावरणार्चनम्।

द्वितीयावरणम्

मंत्र:

  • ॐ सं संहाराय नमः। संहार श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
  • ॐ कं कालरुद्राय नमः। कालरुद्र श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
  • ॐ विं विकरलाय नमः। विकरल श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
  • ॐ सौः करालाय नमः। कराल श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
  • ॐ ह्रीं कालाग्नये नमः। कालाग्नि श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
  • ॐ रुं रुरु भैरवाय नमः। रुरु भैरव श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
  • ॐ सौः सुप्तभैरवाय नमः। सुप्तभैरव श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
  • ॐ ह्रीं उन्मत्त भैरवाय नमः। उन्मत्त भैरव श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।

आवाहनम्:

  • ॐ एताः द्वितीयावरण देवताः साङ्गाः सायुधाः सशक्तिकाः सवाहनाः सपरिवाराः सर्वोपचारैः सम्पूजिताः सन्तर्पिताः सन्तुष्टाः सन्तु नमः।
  • ॐ ह्रीं श्रीं ऐं सौः सौः ऐं श्रीं ह्रीं ॐ शैलपुत्र्यै नमः। शैलपुत्री श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।

प्रार्थना:

  • ॐ अभीष्टसिद्धि में देहि शरणागत वत्सले।
  • भक्त्या समर्पये तुभ्यं द्वितीयावरणार्चणम्।

तृतीयावरणम्

मंत्र:

  • ॐ सर्वसंमोहनाय नमः।
  • ॐ ह्रीं भुवनेश्वर्यै नमः। भुवनेश्वरी श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
  • ॐ ऐं क्लीं सौः बालायै नमः। बाला श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
  • ॐ क्लीं बगलायै नमः। बगला श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
  • ॐ ह्रीं सौः सरस्वत्यै नमः। सरस्वती श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
  • ॐ सः छीं छिन्नमस्तायै नमः। छिन्नमस्ता श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
  • ॐ श्रीं प्रीं पद्मावत्यै नमः। पद्मावती श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।

आवाहनम्:

  • ॐ एताः तृतीयावरण देवताः साङ्गाः सायुधाः सशक्तिकाः सवाहनाः सपरिवाराः सर्वोपचारैः सम्पूजिताः सन्तर्पिताः सन्तुष्टाः सन्तुष्टाः सन्तु नमः।
  • ॐ ह्रीं श्रीं ऐं सौः सौः ऐं श्रीं ह्रीं ॐ शैलपुत्र्यै नमः। शैलपुत्री श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।

प्रार्थना:

  • ॐ अभीष्टसिद्धि में देहि शरणागत वत्सले।
  • भक्त्या समर्पये तुभ्यं तृतीयावरणार्चणम्।

तुरियावरणम्

मंत्र:

  • ॐ गं गङ्गायै नमः। गङ्गा श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
  • ॐ यं यमुनायै नमः। यमुना श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
  • ॐ सौः सरस्वत्यै नमः। सरस्वती श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।

प्रार्थना:

  • अनेन तुरियावरणार्चनेन श्री शैलपुत्र्यम्बा प्रीयथाम्।

निष्कर्ष

श्री शैलपुत्री पूजा के इन विभिन्न आवरणों और तर्पण विधियों के माध्यम से भक्त माता शैलपुत्री की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में समृद्धि और सफलता का अनुभव कर सकते हैं। यह पूजा विधि न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है, बल्कि जीवन के सभी पहलुओं में संतुलन और सकारात्मकता भी लाती है।

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ब्रह्मचारिणी

अर्थ: ब्रह्मचारिणी का अर्थ है "ब्रह्मचारीणी" अर्थात तपस्विनी। वह संयम और आत्म-संयम की प्रतीक हैं। नवरात्रि के दूसरे दिन उनकी पूजा की जाती है। उनकी साधना हमें संयम और धैर्य की शिक्षा देती है।

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