वो गांव - गांव की प्राकृतिक सरलता और उसकी खासियत - That village - the natural simplicity of the village and its specialty
गांव की प्राकृतिक सरलता और उसकी खासियत
कविता:
जानवरों और प्रकृति से खाश रिश्ता था
खाने में हमारे कौओं का भी हिस्सा था।
बोतल बंद वॉटर की चाह कहाँ थी
पहाड़ों से बूँद बूँद जल अमृत रिस्ता था।
मैगी, पास्ता, बर्गर फरमाइश नहीं थे
पानी के घट से ताजा आटा पिसता था।
ब्यूटी प्रोडक्ट्स के लुभाते ब्रांड नहीं थे
हल्दी के संग शीतल चंदन घिसता था।
गाय बैल के प्रति भी कृतज्ञता दिखती
पक्षियों से प्रेम घुघती त्यार निभता था।
मानवता की मिसाल वो गांव था "राजू"
हर आदमी में पाक इंसान दिखता था।
अर्थ और विश्लेषण:
"वो गांव" कविता गांव की सरलता, प्राकृतिक जीवन और पारंपरिक मूल्यों को उजागर करती है।
1. प्राकृतिक जीवन:
- कविता में गांव की प्राकृतिक जीवनशैली की सराहना की गई है, जिसमें जानवरों और प्रकृति के साथ गहरा रिश्ता था। यहां, प्राकृतिक जल स्रोतों से पानी मिलता था और हर वस्तु को ताजगी के साथ तैयार किया जाता था।
2. पारंपरिक भोजन:
- आधुनिक फास्ट फूड की जगह पर पारंपरिक भोजन की तारीफ की गई है, जैसे कि पानी के घट से ताजा आटा पिसने की बात। यह गांव के स्वाभाविक और शुद्ध खाने की ओर इशारा करता है।
3. प्राकृतिक सौंदर्य और स्वास्थ:
- ब्यूटी प्रोडक्ट्स की जगह पर गांव में हल्दी और चंदन का उपयोग किया जाता था, जो प्राकृतिक सौंदर्य और स्वास्थ्य के प्रतीक हैं।
4. पारंपरिक रिश्ते और मानवीय मूल्यों:
- गांव में गाय और बैल के प्रति कृतज्ञता और पक्षियों के प्रति प्रेम की भावना को व्यक्त किया गया है। यह गांव के पारंपरिक मूल्यों और रिश्तों की गहराई को दर्शाता है।
5. मानवता और सरलता:
- कविता अंत में गांव की मानवता और पाक इंसानियत की तारीफ करती है, जो हर व्यक्ति में साफ-सुथरी और नेक भावनाओं का प्रतीक था।
Keywords:
- प्राकृतिक जीवन
- पारंपरिक भोजन
- गांव की सरलता
- प्राकृतिक सौंदर्य
- मानवीय मूल्य
"वो गांव" कविता एक खूबसूरत चित्रण है गांव की जीवनशैली, जहां आधुनिकता के प्रभाव से दूर, पारंपरिक और सरल जीवन जीया जाता था। यह कविता हमें प्राकृतिक संसाधनों, पारंपरिक मूल्यों और मानवता के महत्व की याद दिलाती है
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