जिले की प्रमुख नदियां
उत्तराखंड के पहाड़ी जिले की नदियां न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का हिस्सा हैं, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। आइए जानते हैं जिले की प्रमुख नदियों के बारे में:
1. अलकनन्दा
- पौराणिक ग्रंथों में इसे "देवनदी" के नाम से वर्णित किया गया है।
- यह सत्यपथ (सतोपंथ) ग्लेशियर से निकलती है।
- वसुधारा इसका प्रमुख सहायक जलस्रोत है।
- बद्रीनाथ तक इसका अपवाह पथ 24 किमी है।
2. ऋषि गंगा
- बद्रीनाथ में अलकनन्दा में शामिल हो जाती है।
3. सरस्वती
- देवताल से निकलती है और ऋग्वेद में इसे "सिन्धुकी माता" कहा गया है।
- अरवा इसकी सहायक नदी है।
- माणा के निकट यह नदी केशवप्रयाग नामक स्थान पर अलकनन्दा में मिलती है।
- अलकनन्दा में शामिल होने वाली यह पहली नदी है, और इसका अपवाह क्षेत्र 50 किमी है।
4. धौलीगंगा
- यह देवबन पर्वत से निकलती है और विष्णुप्रयाग में अलकनन्दा में मिलती है (92 किमी)।
- गणेश गंगा, गिरथी गंगा एवं ऋषिगंगा इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं।
5. बिरही गंगा
- नन्दाघुघटी एवं त्रिशुल पर्वतों से निकलकर अलकनन्दा में समाहित हो जाती है (35 किमी)।
6. बालखिल्य
- बालखिल्य पर्वत (तुंगनाथ-रुद्रनाथ की श्रेणी) से निकलकर अलकापुरी के समीप अलकनन्दा में शामिल होती है (30 किमी)।
- अमृतगंगा इसकी सहायक नदी है।
7. निगोल नदी
- यह तुंगनाथ पर्वत की तलहटी से निकलकर (30-35 किमी) सोनला के निकट उत्तरों में अलकनन्दा में शामिल हो जाती है।
8. नन्दाकिनी
- नन्दाकिनी पर्वत से निकलकर नन्दप्रयाग में अलकनन्दा में (30-35 किमी) सम्मिलित हो जाती है।
- चुपलागाड़, गौरी नदी, मौलागाड इसकी सहायक नदियां हैं।
9. पिण्डर
- पिण्डारी ग्लेशियर से निकलकर कर्णप्रयाग में अलकनन्दा में शामिल होती है (105 किमी)।
- प्राणमती, आटागाड़, ज्ञानगंगा सहायक नदियां हैं।
10. गिरथी गंगा
- नीति माणा घाटी में प्रवाहित होने वाली नदी है।
- यह किंगरी-बिंगरी से निकलती है।
इसके अलावा, रुद्रगंगा, कचनगंगा, गरुड़गंगा, पातालगंगा, भ्यूंडार आदि भी अलकनन्दा में सम्मिलित होती हैं। ये नदियां न केवल जल स्रोत प्रदान करती हैं, बल्कि क्षेत्र की पारिस्थितिकी और स्थानीय जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
निष्कर्ष
इन नदियों की धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्वपूर्णता ने इन्हें स्थानीय लोगों के लिए विशेष बना दिया है। उत्तराखंड की ये नदियां अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य और आस्था का प्रतीक हैं।
FQCs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
1. अलकनन्दा नदी कहाँ से निकलती है?
- अलकनन्दा नदी सत्यपथ (सतोपंथ) ग्लेशियर से निकलती है और इसे पौराणिक ग्रंथों में "देवनदी" के नाम से भी जाना जाता है।
2. सरस्वती नदी का उद्गम स्थल क्या है?
- सरस्वती नदी देवताल से निकलती है और माणा के निकट केशवप्रयाग में अलकनन्दा में मिलती है। इसे ऋग्वेद में "सिन्धुकी माता" कहा गया है।
3. धौलीगंगा नदी कहाँ से निकलती है और कहाँ मिलती है?
- धौलीगंगा देवबन पर्वत से निकलती है और विष्णुप्रयाग में अलकनन्दा में मिलती है। इसकी लंबाई लगभग 92 किमी है।
4. कौन सी नदी बिरही गंगा कहलाती है?
- बिरही गंगा नन्दाघुघटी एवं त्रिशुल पर्वतों से निकलकर अलकनन्दा में समाहित होती है और इसकी लंबाई 35 किमी है।
5. बालखिल्य नदी का प्रवाह मार्ग क्या है?
- बालखिल्य नदी बालखिल्य पर्वत (तुंगनाथ-रुद्रनाथ की श्रेणी) से निकलकर अलकापुरी के समीप अलकनन्दा में शामिल होती है। यह 30 किमी लंबी है।
6. निगोल नदी की विशेषता क्या है?
- निगोल नदी तुंगनाथ पर्वत की तलहटी से निकलकर सोनला के निकट उत्तरों में अलकनन्दा में शामिल होती है, इसकी लंबाई 30-35 किमी है।
7. नन्दाकिनी नदी कहाँ से निकलती है?
- नन्दाकिनी नदी नन्दाकिनी पर्वत से निकलकर नन्दप्रयाग में अलकनन्दा में सम्मिलित होती है, और इसकी लंबाई लगभग 30-35 किमी है।
8. पिण्डर नदी का स्रोत क्या है?
- पिण्डर नदी पिण्डारी ग्लेशियर से निकलती है और कर्णप्रयाग में अलकनन्दा में शामिल होती है। इसकी लंबाई 105 किमी है।
9. गिरथी गंगा किस घाटी में प्रवाहित होती है?
- गिरथी गंगा नीति माणा घाटी में प्रवाहित होती है और यह किंगरी-बिंगरी से निकलती है।
10. क्या अन्य नदियाँ अलकनन्दा में सम्मिलित होती हैं?
- हाँ, रुद्रगंगा, कचनगंगा, गरुड़गंगा, पातालगंगा, भ्यूंडार आदि नदियाँ भी अलकनन्दा में सम्मिलित होती हैं।
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