भगवान बदरीनाथ जी की सेवा में अर्पित होने वाली बदरी तुलसी

 भगवान बदरीनाथ जी की सेवा में अर्पित होने वाली बदरी तुलसी



बदरी तुलसी भगवान बदरीनाथ जी को अत्यंत प्रिय है एवं

जो भी श्रद्धालु श्री बदरीनाथ धाम आते हैं इस तुलसी की

सुगंध से वह इसकी दिव्यता का अनुभव करते हैं ।।


शास्त्रों में वर्णित तुलसी के बारे में कुछ अद्भुत बातें


या दृष्ट्वा निखिलाघसंघशमनी स्पृष्टा वपु: पावनी

रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्तान्तकत्रासिनी ।।

प्रत्यासतिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य संरोपिता

न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नमः ।।

(ब्रह्मवैवर्त पुराण)


ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार तुलसी दर्शन से सब पापों को

दूर करने वाली, स्पर्श करने से देह शुद्ध करने वाली, प्रणाम

करने से रोगों को दूर करने वाली, सींचने से यमराज को

डराने वाली, पौधा लगाने से भगवान के समीप पहुंचाने

वाली तथा भगवान के चरणों में अर्पित करने से मोक्ष

प्रदान करने वाली उस तुलसी को प्रणाम है ।।


श्री बदरीनाथ धाम में नित्य तुलसी की मालाएं माल्या

पंचायत के भक्तों एवं बामणी गांव के भक्तों द्वारा बनाई

जाती है ।।


श्री बदरीनाथ जी की आरती "पवन मंद सुगंध शीतल" में

जो सुगंध शब्द की बात आई है वह इसी बदरी तुलसी से

संबंधित है , तुलसी की मकरंद युक्त हवाएं श्री बदरीनाथ

धाम में मन्द मन्द बहती है जो पूरे बदरीपुरी को अपनी

सुगंध से ओतप्रोत कर देती है ।।


भारतीय संस्कृति में तुलसी को पूजनीय माना जाता है,

धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ तुलसी औषधीय गुणों

से भी भरपूर है। आयुर्वेद में तो तुलसी को उसके औषधीय

गुणों के कारण विशेष महत्व दिया गया है। तुलसी ऐसी

औषधि है जो ज्यादातर बीमारियों में काम आती है।

इसका उपयोग सर्दी-जुकाम, खॉसी, दंत रोग और श्वास

सम्बंधी रोग के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है ।।

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