बद्रीनाथ मन्दिर: उत्तराखण्ड का प्रमुख धार्मिक स्थल


- तप्त कुंड: एक गर्म पानी का झरना, जहां तीर्थयात्री स्नान करते हैं।
- ब्रह्म कपाल: यहां पितरों के तर्पण के लिए स्थान है।
- शेषनेत्र: शेषनाग की छाप वाला शिलाखंड।
- चरणपादुका: भगवान विष्णु के पदचिह्नों का स्थान।
कैसे पहुंचे? बद्रीनाथ तक पहुंचने के लिए कई रास्ते उपलब्ध हैं:
- हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट है, जो ऋषिकेश से 26 किलोमीटर दूर स्थित है।
- रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, जो 297 किलोमीटर दूर स्थित है।
- सड़क मार्ग: दिल्ली से बद्रीनाथ के लिए सीधी बस सेवा उपलब्ध है, जो कश्मीरी गेट से रात में रवाना होती है और अगले दिन तड़के तीर्थनगरी पहुंचती है।
Frequently Asked Questions (FAQs) – बद्रीनाथ मन्दिर
बद्रीनाथ मन्दिर कहाँ स्थित है?
बद्रीनाथ मन्दिर उत्तराखण्ड राज्य के चमोली जिले में अलकनन्दा नदी के तट पर स्थित है। यह मन्दिर हिमालय के ऊँचे शिखरों में 3,133 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।बद्रीनाथ मन्दिर का इतिहास क्या है?
बद्रीनाथ मन्दिर का निर्माण 7वीं-9वीं शताब्दी के बीच हुआ था। इसे आदि शंकराचार्य ने पुनर्निर्मित किया था और यहां भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित की थी।बद्रीनाथ मन्दिर तक कैसे पहुंचे?
बद्रीनाथ मन्दिर तक पहुंचने के लिए ऋषिकेश से सड़क मार्ग, हवाई मार्ग (जॉली ग्रांट एयरपोर्ट) और रेल मार्ग (ऋषिकेश रेलवे स्टेशन) द्वारा यात्रा की जा सकती है।बद्रीनाथ मन्दिर में किस देवता की पूजा होती है?
बद्रीनाथ मन्दिर में भगवान विष्णु के एक रूप "बद्रीनारायण" की पूजा होती है। उनकी शालिग्राम से बनी मूर्ति यहां स्थापित है।बद्रीनाथ मन्दिर का धार्मिक महत्त्व क्या है?
यह मन्दिर हिन्दू धर्म के चार धामों में से एक है और इसे विष्णु को समर्पित 108 दिव्य देशों में से एक माना जाता है। यहां आने से तीर्थयात्री के पापों से मुक्ति की मान्यता है।बद्रीनाथ मन्दिर कब खुलता है और कब बंद होता है?
मन्दिर प्रत्येक वर्ष अप्रैल के अंत से नवंबर की शुरुआत तक खुलता है। जाड़े के मौसम के कारण मन्दिर को शीतकाल में बंद किया जाता है।बद्रीनाथ मन्दिर में कौन मुख्य पुजारी होते हैं?
बद्रीनाथ मन्दिर के मुख्य पुजारी को "रावल" कहा जाता है, जो दक्षिण भारत के केरल राज्य के नम्बूदरी ब्राह्मण होते हैं।बद्रीनाथ मन्दिर में किस प्रकार के धार्मिक स्थल हैं?
बद्रीनाथ मन्दिर के आसपास कई पवित्र स्थल हैं जैसे तप्त कुंड, ब्रह्म कपाल, शेषनेत्र, और चरणपादुका, जो धार्मिक महत्व रखते हैं।बद्रीनाथ मन्दिर में किस पौराणिक घटना का उल्लेख है?
बद्रीनाथ मन्दिर का उल्लेख विष्णु पुराण, महाभारत और स्कन्द पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। यह स्थान भगवान विष्णु के तपस्या स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।क्या बद्रीनाथ मन्दिर का संबंध किसी अन्य मन्दिर से है?
बद्रीनाथ मन्दिर को "पंच-बद्री" के रूप में पूजा जाता है, जिसमें अन्य चार मन्दिर – योगध्यान-बद्री, भविष्य-बद्री, वृद्ध-बद्री, और आदि-बद्री – शामिल हैं।
गर्व और वीरता की अद्भुत कहानियाँ
1914-18 के दौरान गढ़वाल रेजिमेंट की वीरता, जिसने युद्ध के मैदान में असाधारण साहस दिखाया।
गढ़वाल रेजिमेंट की साहसिकता, जो युद्ध के दौरान हर चुनौती का सामना करते हुए आगे बढ़ी।
गढ़वाल राइफल्स की वीरता की कहानी, जो हर भारतीय के दिल में बस गई।
1962 के भारत-चीन युद्ध में गढ़वाल राइफल्स की साहसिकता और वीरता की गाथाएँ।
एक बहादुर सैनिक की प्रेरणादायक कहानी, जिसने सेना में अपनी वीरता से नाम कमाया।
1971 के भारत-पाक युद्ध की एक झलक, जिसमें गढ़वाल राइफल्स की वीरता की तस्वीर खींची गई।
1965 के भारत-पाक युद्ध में गढ़वाल राइफल्स के अद्वितीय साहस और वीरता की गाथाएँ।
गब्बर सिंह नेगी की कहानी, जिन्होंने युद्ध में वीरता और साहस का प्रदर्शन किया।
दरवान सिंह नेगी की वीरता, जिन्होंने विक्टोरिया क्रॉस प्राप्त किया और गढ़वाल राइफल्स का नाम रोशन किया।
उन सैनिकों का बलिदान, जिन्होंने देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति दी।
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