हिमाचल प्रदेश कि प्रकृतिक आपदा(Natural Disasters of Himachal Pradesh)
- भूकंप - हिमाचल प्रदेश में अब तक का विनाशकारी भूकंप 4 अप्रैल, 1905 ई. में काँगड़ा में आया था। इसमें करीब 20,000 जानें गई थी और लगभग 6,00,000 वर्ग मील तक इसका असर पड़ा था। यह भूकम्प रिक्टर पैमाने पर 8 तक मापा गया था। हिमाचल प्रदेश हिमालय पर्वत के उस क्षेत्र में पड़ता है, जहाँ पर भूकंप के झटके लगने की संभावना ज्यादा पाई गई है।
- बादल फटना - बादल फटने की घटना आमतौर पर 2000 मी. से 3000 मी. तक की ऊँचाई के क्षेत्रों में पाई गई है। यह घटना मुख्यत: वर्षा ऋतु में घटती है। कुल्लू व शिमला जिलें मुख्यत: इस प्राकृतिक आपदा से अधिक प्रभावित रहे हैं।
- बाढ़ - हिमाचल प्रदेश में मुख्यत: बाढ़ आने का कारण बादल फटना है। बादल फटने से नदियों का जल स्तर एकाएक बढ़ जाता है और अपने तटवर्ती क्षेत्रों में जान-माल को भारी हानि पहुंचाता है।
कांगड़ा भूकंप (2004)
11 नवंबर 2004 को सुबह 7.43 बजे कांगड़ा और चंबा में रिक्टर पैमाने पर 4.6 तीव्रता का भीषण भूकंप आया। और उसी दिन सुबह 8.16 बजे रिक्टर पैमाने पर 4.2 तीव्रता का दूसरा भूकंप आया। हालांकि जान-माल के किसी नुकसान की खबर नहीं है. कांगड़ा, धर्मशाला और चंबा से भी कई घरों में दरारें आने की खबरें हैं।
भारी बारिश-मानसून
- वर्ष 2000 के दौरान हिमाचल प्रदेश में भारी मानसूनी बारिश के कारण 35 लोगों की जान चली गई और 1411 मवेशियों की मौत हो गई। निजी और सार्वजनिक संपत्ति की कुल क्षति रु. 1466.26 करोड़.
- वर्ष 2001 में हिमाचल प्रदेश में भारी मानसूनी बारिश में 45 लोगों की जान चली गई और 915 मवेशियों की मौत हो गई। निजी और सार्वजनिक संपत्ति की कुल क्षति रुपये की सीमा तक थी। 138.25 करोड़.
- वर्ष 2003 में हिमाचल प्रदेश में अत्यधिक वर्षा के कारण 89 लोगों की मृत्यु हो गई तथा 452 मवेशियों की मृत्यु हो गई। फसलों, घरों और सार्वजनिक उपयोगिताओं को कुल क्षति रु। 263.00 करोड़.
- वर्ष 2005 में हिमाचल प्रदेश में भारी मानसूनी वर्षा के कारण एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई तथा 24 मवेशियों की मृत्यु हो गई। निजी और सार्वजनिक संपत्ति का कुल नुकसान रुपये की सीमा तक था। 800.00 करोड़.
- वर्ष 2006 के दौरान हिमाचल प्रदेश में भारी मानसूनी बारिश के कारण 48 लोगों की जान चली गयी और 846 मवेशी मर गये। 87,122 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र और 6718 हेक्टेयर बागवानी क्षेत्र प्रभावित हुआ है। निजी और सार्वजनिक संपत्ति को कुल नुकसान रु. 53,370.97 लाख.
- वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में भारी मानसूनी बारिश के कारण 98 लोगों की जान चली गई और 3087 मवेशी मारे गए। कृषि फसलों का 1,12,982 हेक्टेयर क्षेत्र और बागवानी का 66,748 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है। सार्वजनिक और निजी संपत्ति को धन के रूप में 1269.00 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया गया है।
यह भी पढे 👇👇👇👇
- हिमाचल प्रदेश स्थिति व जिले (Himachal Pradesh Status & Districts)
- हिमाचल प्रदेश पर्वत शृंखलाएँ व चोटियाँ (Himachal Pradesh Mountain Ranges and Peaks)
- हिमाचल प्रदेश का मौसम और जलवायु (Himachal Pradesh Weather and Climate)
- हिमाचल प्रदेश का वर्षा, वनस्पति और जीव-जन्तु (Rainfall, Flora and Fauna of Himachal Pradesh)
- हिमाचल प्रदेश का दर्रे जोतें(Plough the passes of Himachal Pradesh)
- हिमाचल प्रदेश की मिट्टी (Soils of Himachal Pradesh)
- हिमाचल प्रदेश की झीलें (Lakes of Himachal Pradesh)
- हिमाचल प्रदेश की नदियाँ (Rivers of Himachal Pradesh )
- हिमाचल प्रदेश की घाटियाँ (Valleys of Himachal Pradesh)
- हिमाचल प्रदेश के चश्मे व झरने (himachal pradesh ke chashme v jharne)
- हिमाचल प्रदेश के ग्लेशियर (Glaciers of Himachal Pradesh)
- हिमाचल प्रदेश कि प्रकृतिक आपदा(Natural Disasters of Himachal Pradesh)
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें