पहाड़ों की यादें: प्रकृति की सादगी और जीवन की सुंदरता - Memories of the mountains: the simplicity of nature and the beauty of life.

पहाड़ों की यादें: प्रकृति की सादगी और जीवन की सुंदरता

पहाड़ों की बातों में एक अनोखा आकर्षण होता है। वहां की हवा, मिट्टी, और जीवनशैली सबकुछ बहुत खास है। इस कविता में पहाड़ों की उन सभी यादों और बातों का जिक्र है, जो वहां की ज़िंदगी को सरल और सुंदर बनाती हैं। आइए, इस खूबसूरत पहाड़ी कविता के माध्यम से पहाड़ों की अनमोल यादों में खो जाएं:

पहाड़े याद बाते बात
चाहा घुटुक दूध भात
न्योत पाट, दै ठेकि हात

इन पंक्तियों में पहाड़ की सादगी और वहाँ की खाने-पीने की संस्कृति का वर्णन है। चाहे दूध-भात हो या कोई पाट (त्योहार), यहाँ की हर छोटी-बड़ी चीज़ दिल से जुड़ी होती है।

दातुल ज्योड़ दौड़ा दौड़
जागेर लगूँण, बानर हकूण

यहां जीवन की गति और मेहनत को दिखाया गया है, जहाँ लोग अपने काम में लगे रहते हैं, मेहनत करते हैं, और जीवन को सहजता से जीते हैं।

सेक लागण, आग तापण
कंकड़ तोड़, सड़का मोड़

यह पंक्तियाँ पहाड़ों के कठिन रास्तों और जीवन के संघर्षों का प्रतीक हैं। यहां आग तापना और रास्तों पर चलना हर रोज़ का हिस्सा है।

ह्यूनक पाव्, रूडी हाव्
अल्ले हुलार, अल्ले उकाव

ये पंक्तियां जीवन के उतार-चढ़ाव को बताती हैं, जहाँ हुलार और उकाव में जीवन की सच्चाई छिपी है।

सड़का फेर, बाड़ घेर
तामे गागर, दामू नागर

यहां जीवन के हर पहलू को खूबसूरती से दर्शाया गया है। चाहे गागर भरना हो या नागर के काम, हर काम में एक स्वाभाविकता है।

घट जानर, गुणि बानर
टिक पिठ्या, नाके नथ

ये पंक्तियां पहाड़ों की उन स्मृतियों का चित्रण करती हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी वहाँ के लोगों के साथ जुड़ी रहती हैं।

फूलदे छापड़, खतड़ूव काकड़
घुघूती माव, बसंतपंचिमी जौ

फूलदे के त्योहार और प्रकृति के विभिन्न रंगों का ज़िक्र है, जो पहाड़ों की संस्कृति का अहम हिस्सा हैं।

सौणों हर्याव, बग्वाई च्यूड़
चैतो आव, घित्यारो घ्यूँ
और आब के कूं।

यह अंतिम पंक्तियाँ उस समय की ओर इशारा करती हैं जब मौसम बदलता है, हरियाली छा जाती है, और गांवों में त्योहारों का रंग भर जाता है।


इस कविता के माध्यम से पहाड़ों की सरलता, वहाँ के मौसम, लोगों की मेहनत, और पर्व-त्योहारों की झलक मिलती है। यह यादें हर उस व्यक्ति को अपनी ओर खींचती हैं जिसने कभी पहाड़ों में समय बिताया हो।

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